इस शख्स ने की थी जबलपुर में नर्मदा प्राकट्योत्सव की शुरुआत, 41 साल पूरे कर चुका है यह महोत्सव
![इस शख्स ने की थी जबलपुर में नर्मदा प्राकट्योत्सव की शुरुआत, 41 साल पूरे कर चुका है यह महोत्सव 1 Untitled design 25](https://yashbharat.co.in/wp-content/uploads/2024/02/Untitled-design-25.jpg)
JABALPUR. संस्कारधानी जबलपुर में नर्मदा प्राकट्योत्सव की छठा हर साल बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर एकाएक नर्मदा जन्मोत्सव मनाने की शुरुआत कबसे हुई। तो यशभारत की टीम ने उस शख्स को ढूंढ निकाला जिन्होंने हरिद्वार में गंगा दशहरा पर मनाए जाने वाले गंगा प्राकट्योत्सव से प्रेरणा लेकर जबलपुर में नर्मदा जन्मोत्सव की शुरुआत की थी।
1983 में हुई थी शुरुआत
जी हां, यह बात साल 1983 की है, जब शहर की 65 फीसदी आबादी का जन्म भी नहीं हुआ होगा। तब नर्मदा तट पर तलवार वाले पंडा बसंतलाल उपाध्याय ने 1-1 रुपए चंदा इकट्ठा करके नर्मदा प्राकट्योत्सव की शुरुआत की थी। वयोवृद्ध बसंत लाल उपाध्याय ने बताया कि शुरुआती वर्ष में महज 300 रुपए चंदा हुआ था, जो उस समय काफी बड़ी रकम हुआ करती थी।
उस दौरान ग्वारीघाट में एक बड़ी नाव चला करती थी, जिसे बड़ा जहाज कहते थे, जिसमें कार भी नर्मदा तट के पार लग जाती थी। उस नाव से मां नर्मदा का अभिषेक किया गया था। उस समय ग्वारीघाट में नर्मदा की धारा के बीच वह मंदिर भी नहीं होता था जो आज मौजूद है।
3 लोगों ने की थी आयोजन की शुरुआत
तलवार वाले पंडा बताते हैं कि उन दिनों महज 3 लोग ही इस आयोजन का कार्यभार संभालते थे। वक्त के साथ इस परिवार में बीजेपी नेता भूपेंद्र दुबे, सेठ गोविंददास परिवार भी जुड़ गए। उस समय को याद कर तलवार वाले वयोवृद्ध पंडा ने बताया कि जब हमने मशहूर श्याम बैंड को इस आयोजन के लिए बुलवाया तो बैंड के संचालक ईश्वरी बेन जो कि हमारे यजमान भी थे, महज आने-जाने का ऑटो का किराया ही लिया था।
समय के साथ नर्मदा प्राकट्योत्सव भव्य से भव्यतम होता गया, जिसे देखकर इसके प्रथम आयोजक श्री उपाध्याय काफी हर्षित होते हैं। उनका कहना है कि अब हम रहें न रहें, मां नर्मदा के लिए किया गया यह कार्य और यह महोत्सव अब अजर-अमर हो चुका है।