अध्यात्मदेशमध्य प्रदेशराज्यलाइफ स्टाइल

पृथ्वी से कभी भी टकरा सकता है ये खतरनाक एस्टेरॉयड, लेकिन…

खगोलविदों ने एक विशाल उल्कापिंड (Asteroid) की खोज की है, जो सूरज की तेज़ रोशनी में छिपा हुआ था. ये खतरनाक एस्टेरॉयड एक दिन पृथ्वी से टकरा सकता है. यह एस्टेरॉयड 1.5 किलोमीटर चौड़ा है, जो पिछले आठ सालों में देखे गए एस्टेरॉयड में से सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक है. वैज्ञानिकों ने इसे सबसे खतरनाक यानी Potentially hazardous asteroid की श्रेणी में रखा है. यह एस्टेरॉयड अगर पृथ्वी से टकराएगा, तो इसके प्रभाव कई महाद्वीपों में महसूस किए जाएंगे, इसीलिए इसे ‘प्लेनेट किलर’ (Planet Killer) कहा जा रहा है.

इस एस्टेरॉयड का नाम 2022 AP7 है. इसे इतने लंबे समय तक इसलिए नहीं खोजा जा सका क्योंकि यह पृथ्वी और शुक्र के बीच के क्षेत्र में परिक्रमा करता है. इस क्षेत्र में एस्टेरॉयड को खोजने के लिए, खगोलविदों को सूर्य की दिशा में देखना पड़ता है. सूरज की तेज चमक की वजह से वहां देख पाना बेहद मुश्किल है. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और हबल स्पेस टेलीस्कोप जैसे मुख्य टेलीस्कोप कभी सूरज की ओर नहीं देखते हैं, क्योंकि सूरज की चमक उनके संवेदनशील लैंस और ऑप्टिक्स को प्रभावित कर देगी.

asteroid
 सूरज की तेज रोशनी में छिपे हैं कई एस्टेरॉयड (Photo: Getty)

अब तक सिर्फ़ 25 एस्टेरॉयड ही खोजे जा सके हैं

इसी वजह से खगोलविद इस क्षेत्र में छिपे हुए एस्टेरॉयड के बारे में कम जानते हैं. ऐसे में कभी-कभी अचानक से कोई एस्टेरॉयड आकर नुक्सान पहुंचा सकता है. कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस एंड प्लैनेट्स लेबोरेटरी के अर्थ और प्लैनेट लैबोरेटरी के एस्ट्रोनॉमर और शोध के लेखक स्कॉट एस शेपर्ड (Scott S. Sheppard) का कहना है कि सूर्य की चमक से न दिख पाने की वजह से अब तक केवल 25 एस्टेरॉयड ही खोजे जा सके हैं.

अगर ये टकराया तो बहुत नुकसान पहुंचाएगा

2013 में, एक बहुत छोटा एस्टेरॉयड, जो केवल 66 फीट चौड़ा था, बिना किसी चेतावनी के सूर्य की दिशा से पृथ्वी पर आ गया. वह एस्टेरॉयड दक्षिणपूर्वी रूस के चेल्याबिंस्क(Chelyabinsk) शहर के ऊपर आकर फट गया, जिससे हजारों इमारतों की खिड़कियां टूट गई थीं. वैज्ञानिकों के मुताबिक 2022 AP7 अगर पृथ्वी से टकराता है तो चेल्याबिंस्क की तुलना में ये कहीं ज्यादा हानिकारक होगा. हालांकि अभी वैज्ञानिकों ने यह गणना नहीं की है कि ये पृथ्वी से कब टकराएगा, लेकिन इतना जरूर है कि भविष्य में ये एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकरा सकता है.

asteroid
छोटे एस्टेरॉयड भी भारी नुकसान कर सकते हैं (Photo: Getty)

सुपरसेंटिव डार्क एनर्जी कैमरा ने खोजा

चिली में सेरो टोलोलो इंटर-अमेरिकन ऑब्जर्वेटरी (Cerro Tololo Inter-American Observatory) में सुपरसेंटिव डार्क एनर्जी कैमरा (DEC) ने इस एस्टेरॉयड को खोज निकाला. यह कैमरा सांझ या गोधूलि के समय (twilight hours) पूरे आकाश को स्कैन करता है. इसी दौरान रोजाना 10 मिनट के टाइम फ्रेम में इन एस्टेरॉयड्स को देखा जा सकता है.

दो और एस्टेरॉयड भी मिले

खतरनाक 2022 AP7 के अलावा, खगोलविदों ने दो और छोटे एस्टेरॉयड खोजे हैं, जिनमें से एक सूर्य के सबसे करीब है. इसका नाम है 2021 PH27. इसके अलावा दूसरे एस्टेरॉयड का नाम है 2021 LJ4. ये दोनों क्षुद्रग्रह उन ऑर्बिट को फॉलो करते हैं जो पृथ्वी के साथ नहीं अड़तीं.

खगोलविद फिलहाल 2,200 से ज्यादा खतरनाक क्षुद्रग्रहों और स्पेस रॉक की निगरानी करते हैं जो पृथ्वी के काफी करीब हैं और जिनकी चौड़ाई 1 किमी से ज्यादा है. ऐसे क्षुद्रग्रह चिंता का विषय इसलिए हैं क्योंकि इनसे बड़ा विनाश हो सकता है और ये पूरे पृथ्वी को प्रभावित करेंगे. हालांकि, छोटे एस्टेरॉयड भी अगर किसी घनी आबादी वाले इलाके पर गिरते हैं तो बहुत तबाही मचा सकते हैं.

खतरा तो है, पर अब हल भी है

ये अच्छी बात है कि खगोलविद एस्टेरॉयड की ट्राज्क्टरी की गणना कर सकते हैं और फिलहाल ऐसी कोई अंतरिक्ष चट्टान नहीं है जिससे हमें परेशान होने की जरूरत है. अगर ऐसी कोई चट्टान दिखेगी तो पूरा अंतरिक्ष समुदाय पृथ्वी की रक्षा करने के लिए आगे आएगा. इसी साल सितंबर में, नासा के डार्ट (NASA’s Double Asteroid Redirection Test-DART) मिशन ने 525-फुट-चौड़े एस्टेरॉयड डिमोर्फोस (Dimorphos) की ट्रैजेक्टरी को बदल दिया था, यानी एक स्पेस्क्राफ्ट की टक्कर से इस एस्टेरॉयड की दिशा बदल दी गई थी. यह अपनी तरह का पहला सफल प्रयोग था. इसकी सफलता के बाद ये कहा जा सकता है कि आने वाले किसी भी खतरे का रास्ता मोड़ा जा सकता है.

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button