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मधुवाला के क्षेत्र में सीता सरोवर की दुर्गति

-राजीव गांधी वार्ड में स्थित तलैया के समीप खड़े होने से आ रही दुर्गंध

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पार्षद से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण रहवासी परेशान
जबलपुर, यशभारत। संस्कारधानी, जबालिपुरम और न जाने कितने नामों से पहचान बना चुकें जबलपुर में किसी दौर पर 52 ताल-तलैया हुआ करते थे। ताल-तलैया का निर्माण पूर्वजों ने इसी उद्देश्य को लेकर किया था कि शहर कभी प्यासा न रहे और मध्यप्रदेश में अलग पहचान बनाए। पूर्वज जब जिंदा थे तो ताल-तलैया की पहचान में कभी आंच नहीं है परंतु समय के बीतने के साथ सब बदल गया। कुछ जनप्रतिनिधि ताल-तलैया को बचाने में जुटे परंतु उनके ये भागीरथ प्रयास सिर्फ कुछ क्षेत्रों तक सीमित हो गए हैं। अन्य क्षेत्रों में स्थित ताल-तलैयों को ऐसा ही लावरिश छोड़ दिया गया है। आज बात हो रही है राजीव गांधी वार्ड स्थित सीता सरोवर की जिसकी दुर्गति हो चुकी है। क्षेत्रीय लोग सरोवर की स्थिति का कारण पार्ष मधुवाला और नगर निगम अधिकारियों को मानते हैं। लोगों का कहना है कि जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से माता सीता के नाम पर रखा गया सरोवर अपना मूर्त खोने को है।

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पूरी कॉलोनी का कचरा सीता सरोवर में डाला जा रहा है

नेताओ व अधिकारियों ने कुछ साल पूर्व तलैया का नामकरण माता सीता के नाम पर किया। बाकायदा तलैया की चारों तरफ बाउंडीª बाल में पेटिंग से सीता सरोवर लिखा गया परंतु जैसा नामकरण हुआ वैसा काम नहीं हुुआ। स्थिति ऐसी है कि सरोवर के पास खड़ा होना दुश्वार है, कुछ देर खड़े होकर एक-दूसरे बात कर ली जाए व्यक्ति बीमार हो जाए। पूरी कॉलोनी का कचरा सरोवर में डाला जा रहा है।

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राम मंदिर बाजू में पर फर्क किसी को नहीं पड़ता

सबसे खास बात ये है कि सीता सरोवर के बाजू से राम मंदिर है रोजाना इस मंदिर में सैंकड़ों लोग आते हैं, कॉलोनी के लोग भी पहंुचते हैं परंतु उन्हें सीता सरोवर की दुर्दशा से कोई लेना-देना नहीं है। लोगों का तो ये तक कहना है कि सफाई कराना हमारा काम नहीं है ये जिम्मेदारी नगर निगम अधिकारियों व क्षेत्रीय पार्षद की है।

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बाउंड्री बाल किसी भी दिन गिर सकती है

शांतिनगर कॉलोनी का सबसे प्रचलित सीता सरोवर के जीर्णोंदार के लिए प्रयास पहले अच्छे हुए हैं जिसके तहत चारों तरफ दीवार खड़ी कर दी गई, झरना से लेकर मूलभूत सुविधाओं का समावेश किया गया। लेकिन कुछ दिन तक सरोवर को बेहतर रखने के लिए प्रयास हुए इसके बाद स्थिति इतनी भयंकर हुई कि कुछ दिन बाद सरोवर कचरा घर बनकर रह गया।

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