जिसने ठोंके 400 रन, उसे नहीं माना था अंडर-19 टीम के लायक, अब बढ़ी सेलेक्टर्स की परेशानी
प्रखर चतुर्वेदी ने तोड़ा युवराज को रिकॉर्ड, जबलपुर से है गहरा नाता
शिवमोगा, एजेंसी । अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है। यह डायलॉग तो फिल्मी है, पर हकीकत से रूबरू कराने वाली. जिंदगी हो या खेल, ऐसी मिसालें आपको जरूर मिल जाएंगी, जिन्हें कामयाबी पाने में देर लगी. अकसर शुरुआत में उन्हें दुत्कार दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने दम पर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई. प्रखर चतुर्वेदी भी ऐसा ही नाम है, जिसे क्रिकेट बिरादरी ने समय पर नहीं पहचाना. उन्हें ना तो अंडर-16 भारतीय टीम में चुना गया और ना ही अंडर-19 टीम में. लेकिन प्रखर चतुर्वेदी ने जो मंच मिला, उसे ही इतना बड़ा बना दिया कि अब उन्हें जूनियर तो छोड़िए, सीनियर टीम में लेने की बात होने लगी है.
कर्नाटक के प्रखर चतुर्वेदी ने मुंबई के खिलाफ कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल में 404 रन की ऐतिहासिक पारी खेली. इसके साथ ही वे भारत के ऐसे पहले क्रिकेटर बन गए, जिन्होंने कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल में 400 रन का आंकड़ा पार किया है. प्रखर चतुर्वेदी से पहले फाइनल में सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड युवराज सिंह (358 रन) के नाम था, जो अब पीछे छूट गया. और पीछे छूट गई है प्रखर चतुर्वेदी की नजरअंदाज किए जाने की कहानी. अब वे ना सिर्फ कर्नाटक, बल्कि भारतीय चयनकर्ताओं की निगाहों पर जरूर आ गए हैं. बात करें प्रखर चतुर्वेदी की तो उनका क्रिकेट का संघर्ष जितना अहम है, उतना ही बैकग्राउंड दिलचस्प है. प्रखर की मां डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं, जबकि पिता इंजीनियर हैं. उल्लेखनीय है कि प्रखर चतुर्वेदी का जबलपुर से गहरा नाता है। प्रखर चतुर्वेदी की नानी श्रीमती आशा दुबे यादव कालोनी जबलपुर में रहती हैं।
बैकग्राउंड दिलचस्प है, जबलपुर में हुआ जन्म
बात करें प्रखर चतुर्वेदी की तो उनका क्रिकेट का संघर्ष जितना अहम है, उतना ही बैकग्राउंड दिलचस्प है. प्रखर की मां डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं, जबकि पिता इंजीनियर हैं. उल्लेखनीय है कि प्रखर चतुर्वेदी का जबलपुर से गहरा नाता है। प्रखर चतुर्वेदी का जन्म जबलपुर में ही हुआ है। प्रखर चतुर्वेदी की नानी श्रीमती आशा दुबे यादव कालोनी जबलपुर में रहती हैं। उनके नाना आर एन दुबे अपने समय के बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं प्रखर की नानी श्रीमती आशा दुबे जो यादव कालोनी जबलपुर में रहती हैं। वे बताती हैंकि प्रखर जितना पढ़ाई में अव्वल है उतना ही खेल में। बचपन से ही क्रिकेटरों को देखकर उसके मन में एक बेहतरीन क्रिकेटर बनने की लालसा जागी। क्रिकेट के प्रति उसकी लगन को देखते हुए हम लोगों ने उसे क्रिकेट को ही कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित किया और बेंगलूरु में रहते हुए उसने कई क्रिकेट अकादमियों में मशहूर क्रिकेटरों से खेल की बारीकियां सीखीं।
फिलहाल वह राहुल द्रविड की अकादमी में प्रशिक्षण पा रहा है। बल्लेबाजी के हर फन में माहिर प्रखर की प्रतिभा की वरिष्ठ खिलाडिय़ों ने सराहना की। वह बहुत ही अनुशासित खिलाड़ी है। उसके माता पिता उसके खेल के प्रति लगाव को देखते हुए पूरा सपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रखर कई बार असफल भी हुआ पर माता पिता विचलित नहीं हुए। प्रखर ने जिस तरह से कूचविहार ट्राफी में अपना प्रदर्शन किया है वह निश्चित ही आने वाले समय में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेगा।