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विद्युत विभाग की लापरवाही शिकायतों की अनदेखी और रखरखाव की औपचारिकता बन रही हादसों का कारण, जितना ध्यान वसूली पर यदि उससे आधा भी रखरखाव पर दिया जाता तो टल सकते थे कई हादसे

जबलपुर यश भारत। विद्युत वितरण कंपनी के लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों और ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। विद्युत कंपनी का पूरा फोकस सिर्फ बिलों की वसूली पर रहता है। कहने को तो बारिश की पूर्व मेंटेनेंस के नाम पर घंटे की बिजली कटौती की जाती है लेकिन सही पूछा जाए तो मेंटेनेंस की सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायतों की अंनदेखी ओर समय पर पर शिकायतों का निराकरण न करने के कारण अनेक हादसे से भी सामने आ चुके हैं जिनमें दो मामले तो अभी हाल के ही है। जब कोई हादसा हो तो जाता है तो कंपनी के आला अधिकारी कुछ दिन तो गंभीर और एक्टिव नजर आते हैं लेकिन उसके बाद सब कुछ पुराने हिसाब से चलने लगता है। विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण हाल ही में करंट लगने के कारण दो युवकों की मौत के समाचार सामने आए हैं। 14 जून को माढोताल थाना क्षेत्र के लमती में स्थित रिक्शा फॉर्म मैं पोल से टूटकर लटके हुए विद्युत तार की चपेट में आने से मूलत कटंगी के रहने वाले सौरभ ठाकुर नामक युवक की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुस्साए लोगों ने घंटो माढोताल थाने के सामने चकाजाम कर प्रदर्शन किया था। इस घटना के ठीक 1 दिन पहले 14 जून को कटंगी थाना क्षेत्र के ग्राम थूहा मैं 30 वर्षी युवक अरविंद लोधी के ऊपर बिजली का तार टूट कर गिर गया था और करंट लगने से उसकी मौत हो गई थी। इसके पहले मार्च के महीने में भी पाटन के सरैया गांव में 22 मार्च को सुबह 11 की भी लाइन की चपेट में आने से पूजा प्रधान और उसके भाई देव प्रधान की मौत हो गई थी जबकि एक अन्य भाई गणेश गंभीर रूप से झुलस गया था। इस घटना में मृत हुए पूजा की उम्र 9 साल की और उसके भाई देव की मात्र 5 साल। एक के बाद एक सामने आने वाली घटनाओं के बाद भी विद्युत कंपनी के द्वारा कोई सबक नहीं लिया जाता ज्यादा होता है तो घटना के बाद एक दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर या नोटिस देकर खाना पूर्ति कर ली जाती है और कुछ मुआवजा भी दे दिया जाता है लेकिन लापरवाह कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं किया जा रहा।

खेतों की कौन कहे रहवासी कॉलोनीयों के बीच मकान के ऊपर से गुजर रही है हाई टेंशन लाईनें

वर्तमान में जो भी हाई टेंशन लाइन गुजर रही है वह उस दौर की है जब ज्यादातर एरिया खाली हुआ करता था लेकिन वर्तमान में स्थितियां बदल गई हैं। यदि करमेता माढोताल की ही बात करें तो यहां से कई किलोमीटर आगे तक कालोनियां विकसित हो गई हैं और इन कॉलोनीयों के कई मकानों के ऊपर से बाकायदा हाई टेंशन लाइन जा रही है जिसके चलते हादसों का खतरा बढ़ गया है लेकिन इसकी ओर ध्यान देने की फुरसत ना तो विद्युत विभाग के आला अधिकारियों को है और ना ही उनकी मातहत कर्मचारी भी इसे गंभीरता से लेते हैं।

वर्षो पुरानी और झूलती विद्युत लाइने बन रही हादसों का कारण

लोगों की मांने तो वर्तमान में खेतों या मकान से जो लाइन गुजर रही है वह काफी पुरानी है और जरा सी आंधी या तेज हवा के कारण टूटकर गिर जाती है शिकायत करने के बाद भी या तो समय पर विद्युत कर्मी नहीं पहुंचते या पहुंचते भी है तो लाइन बदलने की वजाय इन्हें रिपेयर कर छोड़ देते हैं कुछ समय बाद फिर वही स्थिति बन जाती है।

कितनी लापरवाह है कर्मचारी

विद्युत विभाग के कर्मचारी कितने लापरवाह है इसका ताजा उदाहरण है माढोताल की घटना युवक सौरभ की मौत के बाद जब गुस्साए लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो उनका साफ कहना था कि 24 घंटे में पांच बार शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और ना ही कोई विद्युत कर्मी मौके पर आया यदि समय पर ध्यान दिया जाता तो युवक की जान बच सकती थी।

मूक जानवर भी हो जाते हैं शिकार

विद्युत विभाग की लापरवाही का खामियाजा इंसानों को नहीं मूक जानवरों को भी भुगताना पड़ता है कुछकुछ समय पूर्व पनागर क्षेत्र से ऐसी ही एक घटना सामने आई थी जब पहली विद्युत तार की चपेट में आने से जानवरों की मौत हो गई थी।

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