सदन में उठा नर्मदा किनारे पट्टे देने का मामला. श्रद्धांंजलि के बाद सदन की कार्रवाई 12 बजे तक स्थगित

सदन में उठा नर्मदा किनारे पट्टे देने का मामला. श्रद्धांंजलि के बाद सदन की कार्रवाई 12 बजे तक स्थगित
आशीष शुक्ला, विधानसभा लाइव। मानसून सत्र के दूसरे हफ्ते के बुधवार को सदन की कार्रवाई की शुरूआत में पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक एवं उत्तराखंड में आई आपदा में मृत हुए लोगों को श्रद्धांंजलि दी गई। इसके बाद सदन १२ बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। यह वक्त प्रश्रकाल का रहता है। जिनके लिखित उत्तर आ जाते हैं पूरक प्रश्र नहीं हो पाए। इन्हीं प्रश्रों में नर्मदा नदी से लगी कितनी दूरी पर रहवासियों को आवासीय पट्टे दिए जाने की बात पूछी गई है। इस पर सरकार ने लिखित जवाब में बताया कि जबलपुर जिला के भेड़ाघाट पर्यटन क्षेत्र नर्मदा नदी से तीन सौ मीटर की परिधि में निर्माण करना निषेध है। वहीं शासकीय भूमि धारकों को पट्टा दिए जाने स्वामित्व योजना के नियमों के तहत पट्टा दिया जाता है। जिसमें नर्मदा दूरी का उल्लेख नहीं है।

इस पर बरगी विधायक नीरज सिंह ने सदन से बाहर कहा कि सरकार स्थिति क्यों स्पष्ट नहीं कर रही है। पूरी नर्मदा नदी के किनारे एक रूपता लाए कि कितनी दूरी तक निर्माण हो सकता है या नहीं। साथ ही जो वर्षों से काबिज हैं उन्हें पट्टा क्यों नहीं दिया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में परिवहन मंत्री ने बताया है कि ग्रामीण परिवहन सेवा शीघ्र ही शुरू की जाएगी। रनिंग – विधानसभा की कार्रवाई समय पर शुरू हुई। विधानसभा में आज पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक एवं उत्तराखंड में हुए दर्दनाक हादसे में मृतकों को श्रद्धांजलि दी गई। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, विपक्ष के नेता उमंग सिंघार, अजय सिंह ने श्रद्धांजलि देते हुए परिजनों को दुख सहन करने की ईश्वर से प्रार्थना की। दिवंगत नेता सतपाल मलिक के राजनैतिक जीवन का उल्लेख करते हुए सभी नेताओं ने इसे अपूर्णीय क्षति बताया। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने दो मिनट का मौन रखकर विधानसभा १२ बजे तक के लिए स्थगित कर दी। यह समय प्रश्रकाल का रहता है। जिन विधायकों ने सवाल पूछे थे, उन्हें लिखित उत्तर प्राप्त हो गए हैं, लेकिन पूरक प्रश्र नहीं हो सके।

उनमें विधायक बरगी नीरज सिंह ठाकुर ने राजस्व मंत्री से लिखित में पूछा था कि नर्मदा नदी से लगी कितनी दूरी तक बसे रहवासियों को पट्टा देने का प्रावधान है। इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाए। इसमें भेड़ाघाट पर्यटन क्षेत्र भी शामिल हैं। भेड़ाघाट क्षेत्र में कई वर्षों से लोग मकान बनाकर रह रहे हैं। क्या उन्हें तीन सौ मीटर की दूरी पर मकान होने के कारण आवासीय पट्टे नहीं मिल रहे हैं। ऐसे कितने लोग हैं, जिन्हें पट्टा नहीं मिल पा रहा है। सूची उपलब्ध कराई जाए। इस पर राजस्व मंत्री ने लिखित जवाब में बताया कि इनमें नर्मदा नदी से दूरी का कोई उल्लेख नहीं है। जबलपुर विकास योजना २०२१ अंतर्गत नर्मदा नदी से ३०० मीटर की दूरी तक निर्माण कार्य निषेध है। उत्तर में बताया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में प्रचलित याचिका क्रमांक डब्ल्यूपी १०५६१/ २०१९ में प्रसारित निर्देश में संदर्भ में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति द्वारा फ्लड प्लान जोन का निर्धारण किया जा रहा है। समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है। सदन के बाहर मूल प्रश्नकर्ता बरगी विधायक नीरज सिंह ने इस प्रतिनिधि से कहा कि उन्हें आज अवसर मिलता तो वे शासन से यह पूछते कि नर्मदा नदी के किनारे हाई पावर कमेटी बनी है उसकी अध्यक्षता सीएस कर रहे हैं वह अभी तक रिपोर्ट ही नहीं दे रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि जबलपुर जिले में ३०० मीटर की दूरी तक निर्माण कर्य पर रोक है। जो वर्षों से नर्मदा तट के किनारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं, उन्हें भी पट्टा नहीं दिया जा रहा है। जिससे स्थायी पट्टा नहीं होने से सरकार की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।

उन्होंने साफ कहा कि तीन सौ मीटर तक निर्माण कार्य पर रोक है, लेकिन वर्षों से रह रहे लोग जो जमीन खेती भी करते हैं उन्हें निर्माण ना करने दें, लेकिन उनके अलावा नर्मदा तट के किनारे दो- दो पीढ़ी से रह रहे लागों को पट्टा नहीं दिए जा रहे हैं। इन पट्टों के नहीं मिलने से स्कूल, शिक्षा व स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। आज सदन स्थगित होने से आज वे अपनी बात नहीं रख सके। फिर भी भविष्य में अन्य तर्कों के साथ स्थाई पट्टे के लिए सदन में अपना पक्ष रखेंगे। एक प्रश्र के लिखित जवाब में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि परिवहन नीति २०२० के अंतर्गत ग्रामीण परिवहन योजना लागू है। ऐसा मार्ग जो किसी ग्राम या नगर को दूसरे नगर या ग्राम से रोकता है, जिसकी दूरी १० किमी है वह सम्मलित नहीं है। ग्रामीण सेवा का मार्ग सौ किमी से अधिक सम्मलित है। जिस पर निर्धारित क्षमता के वाहनों के संचालन के लिए आवेदन देने पर परमिट देने का प्रावधान है। १ मई २०२२ से छह माह के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विदिशा में काम करने का निर्णय लिया गय था। इसमें वाहन चालकों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने एवं उक्त वाहन के मासिक मोटर यान कर में छूट दिया जाना प्रस्तावित है जो पूर्णत: सफल नहीं होने पर योजना लागू नहीं की जा सकी। वर्तमान में संचालित योजना के तहत शासन अब कोई सब्सिीड नहीं देता है। अपितु ग्रामीण सेवा यानों को साधारण मार्गों पर केवलयान के मानक मूल्य का एक प्रतिशत मोटरयान किए जाने का प्रावधान है।







