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विशेष टिप्पणी आशीष शुक्ला: सिंदूरी छटा में नारी सशक्तिकरण की साक्षी बनी राजधानी

ऑपरेशन सिंदूर के प्रति मोहन सरकार का आभार

 

झीलों की  नगरी भोपाल आज सिंदूरी रंग में पूरी तरह से सराबोर दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजधानी दौरे पर सूबे के सरदार डॉ मोहन यादव ने प्रदेश की जनता की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के प्रति आभार व्यक्त करने की ऐसी अदभुत और बेजोड़ तैयारी की है, जिसकी धमक पूरे देश में गूंज रही है। देवी अहिल्याबाई होलकर की 300 वी जयंती के उपलक्ष्य में जंबूरी मैदान में आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में शामिल होकर पीएम मोदी मध्यप्रदेश की धरती से यह संदेश दे दिया है कि आधी आबादी को जमीनी तौर मजबूत बनाने की दिशा में डॉ मोहन यादव की सरकार तेजी से आगे बढ रही है। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य हैं जहां लाड़ली बहना ने इतिहास रचकर अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल का काम कर दिखाया।

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अब इस राज्य की नारीशक्ति स्वर्णिम मध्यप्रदेश गढऩे को आतुर है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार महिलाओं के किसी सम्मेलन में शामिल हैं, लिहाजा सूबे के कर्मप्रधान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने समूचे समारोह को विविधता के रंगों से भर देने में पूरी शक्ति लगाई है, लेकिन इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि साइट मैनेजमेंट, मंच संचालन, हेलिपैड से लेकर कारकेट तक हर स्तर पर महिलाएं प्रमुख भूमिका में रहें। नारी सशक्तिकरण की दिशा में यह नायब प्रयोग करने वाला एमपी पहला राज्य बनने वाला है, जहां पीएम की मौजूदगी वाले इतने विशाल और भव्य समारोह के सारे सूत्र महिलाओं के हाथ में दिखे हैं। महासम्मेलन के लिए भोपाल से 500 किलोमीटर के दायरे के 16 जिलों की महिलाएं इसमें शामिल हैं। करीब दो लाख महिलाएं ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को लेकर पीएम मोदी का आभार व्यक्त करने जुटी हैं। इसके पीछे डॉ मोहन यादव की सरकार और भाजपा का प्रदेश संगठन के प्रयास हैं। महिला महासम्मेलन में चार महिलाओं ने पीएम मोदी को सिंदूर का पौधा भेंट किया हैं। यह चारों महिलाएं गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि की हैं। इसके साथ ही दतिया एयरपोर्ट पर उद्घाटन के दौरान जो प्लेन टेक ऑफ किया , उसकी पायलट भी महिला ही थी। पीएम मोदी भोपाल में लगभग दो घंटे रहे। 45 मिनिट के अपने उद्बोधन में उनके द्वारा वैश्विक स्तर पर यह संदेश दे दिया है कि 21 वी सदी का भारत किसी मामले में कमजोर नहीं हैं। यहां महिलाएं बाकी क्षेत्रों के साथ सैन्य क्षेत्र में भी अपनी वीरता का लोहा मनवा चुकी हैं। संभवत: इसी संदेश को ध्यान में रखकर राजधानी की सड़कों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के साथ होर्डिंग्स में कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका भी नजर आ रही हैं। समारोह का वह दृश्य देखने लायक था, जब सिंदूरी साड़ी में 15 हजार महिलाएं पीएम का स्वागत करने मौजूद थीं।
व्यवस्थाएं संभालने वाली कुछ महिलाएं सिंदूरी साड़ी तो कुछ महेश्वरी साड़ी में दिखीं। इनमें से कुछ सेना जैसी वर्दी में भी नजर आयीं। राजपूती परिधान के साथ ही मराठी साड़ी, आदिवासी परिधान में भी महिलाएं कार्यक्रम में शामिल हुईं। मोहन सरकार का साथ देने में संगठन भी कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहता, लिहाजा भोपाल जिले के 1600 बूथों से महिला कार्यकर्ताओं को इस सम्मेलन में बुलाया गया था। नजदीकी बूथ से 100 महिलाएं और ग्रामीण क्षेत्र के बूथों से 50-50 महिलाएं बुलाईं गई थीं। कुल मिलाकर सम्मेलन की व्यवस्थाओं में 1550 महिलाओं की ड्यूटी लगाकर सारा कुछ महिलाओं के जिम्मे छोड़ दिया गया था। मंच पर भी महिला जनप्रतिनिधियों को भी स्थान मिला।
पीएम ने भोपाल प्रवास के मौके पर मध्यप्रदेश की जनता को बड़ी सौगातें दी हैं। कई बड़ी योजनाओं की आधारशिला रखने के साथ विरासत से विकास की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में इंदौर मेट्रो रेल तथा सतना और दतिया के नवविकसित हवाई अड्डों का वर्चझुली लोकापर्ण भी पीएम मोदी द्वारा किया गया। प्रदेश में डॉ मोहन यादव को सत्ता संभाले डेढ़ साल से भी कम समय हुआ है, लेकिन उन्होंने काम करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में अपनी छवि गढ़ ली है। उनके वादों पर लोगों को भरोसा है। खुद को जमीनी नेता के तौर पर स्थापित कर लेना किसी राजनीतिक व्यक्ति के लिए आसान नहीं, लेकिन मोहन यादव अल्प समय में ही इस राह के मुसाफिर हो चुके हैं। उनकी मेहनत का नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर केंद्रीय स्तर के तमाम नेता उन्हें पसंद करते हैं। केंद्रीय मंत्रियों से प्रदेश के विकास को लेकर वे सतत संपर्क में रहते हैं। दिल्ली दरबार में अमूमन हर माह उनकी हाजिरी ये प्रमाणित करने के लिए काफी है कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों को लेकर उनकी समझ को महत्व मिल रहा है।
मुख्यमंत्री की मेहनत यूपी चुनाव में भी जाहिर हुई और अब बिहार चुनाव में पार्टी उन्हें बड़े यादव नेता के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनका उपयोग कर सकती है। दरअसल भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बिहार के मतदाताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा भी यादव समाज के नेता को प्रभावी तौर पर तैयार कर सकती है। एमपी के विकास में उनके जमीनी कार्यों की फेहरिस्त लंबी है। मोहन यादव जहां एक तरफ शहर से लगी कृषि भूमि को आवासीय में तब्दील करने की मुहिम में लगातार जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने फसलों का रकबा बढ़ाने और भूगर्भीय जल के स्तर को ऊपर उटाने की मुहिम गंगा जल संवर्धन अभियान के तहत छेड़ रखी है जो 30 जून तक चलने वाली है। इसके तहत खेत तालाब से लेकर सूखे नलकूपों की रीचार्जिंग से लेकर पुराने कुए बावडियों के जीर्णोद्धार का काम शामिल है। यानि वह आवासीय होती खेती की जमीनों के बदले बची हुई खेती की जमीन से फसलों का उत्पादन बढ़ाकर उसकी भरपाई करना चाहते हैं। इसके लिए निजी भागीदारी से लेकर सरकारी अनुदान तक की योजनाएं चलाई गई हैं।

 

 

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