शंकराचार्य अविमुक्ते श्वरानंद ने कहा राजनीति करने वाले बिच्छु का मंत्र जानते नहीं है , सांप के बिल में हाथ डाल रहे,
भाजपा-कांग्रेस बंद करें धर्म की राजनीति

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जबलपुर, यशभारत। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ संचालक मोहन भागवत द्वारा वर्ण व्यवस्था को लेकर दिए गए बयान पर एक बार फिर चुटकी ली है। शंकराचार्य ने कहा कि धर्म की बात वह लोग कर रहे हैं जिनका काम राजनीति करना है। यह तो वही बात हो गई कि बिच्छु का मंत्र जानते नहीं है , सांप के बिल में हाथ डालने चले। शंकराचार्य बेलखाड़ू में जगदुरुकुलम के भूमिपूजन पर पहुंचे थे। उन्होंने भाजपा-कांग्रेस दोनों से अनुरोध किया है कि धर्म की राजनीति न करें। धर्म के बारे में बोलने के लिए दूसरे लोग है।
राजनीति करो पर धर्म को छोड़कर
शंकराचार्य ने कहा कि राजनीति के लोग विवाद कर रहे हैं। हमारा यह कहना है कि राजनीति आप जो कर रहे हो, रामायण के कितने विशेषज्ञ हो? रामायण के विशेषज्ञों से यह बात आनी चाहिए। वे तो कुछ कह नहीं रहे हैं। राजनीतिक लोग इसमें कैसे आ गए। वे कब से रामचरित मानस के विशेषज्ञ हो गए। रामचरित मानस के विशेषज्ञ नहीं हैं, तो उनको देश में इतना बड़ा कोलाहल नहीं करना चाहिए। जब हम सांप का मंत्र जानते हैं, तभी उसके बिल में हाथ डालना चाहिए। इसी तरह जिस विषय का ज्ञान न हो, उस पर नहीं बोलना चाहिए। आपने धर्मशास्त्र पढ़ा नहीं और धर्मशास्त्र को लेकर भ्रम फैला रहे हो। यह काम मत करो। सनातन धर्म में व्यक्ति गड़बड़ी छिपाकर आगे बढ़ता है। आप उस पर फोकस करवा रहे हो।
भागवत जी ने कौन सा अनुसंधान किया हमे भी बता दें
शंकराचार्य ने कहा, लगता है मोहन भागवत का ज्ञान बहुत बढ़ गया है। मोहन भागवत ने कौन सा अनुसंधान किया? वो हमें भी बता दीजिए, बाकि हमने तो गीता में पढ़ा है। भगवान कृष्ण ने कहा है- मैंने बनाई हैं हर जाति, वर्ण व्यवस्था। इसी गीता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बराक ओबामा को भेंट की थी। यदि मोहन भागवत गीता को भी गलत मान रहें, तो बताएं कि उन्होंने कहां से यह ज्ञान प्राप्त किया?