पीएससी प्रारम्भिक, परीक्षा 2019-2021 के परिणामों की संवैधानिकता के संबंध में ं मध्यप्रदेश शासन और आयोग को हाईकोर्ट का नोटिस जारी
जबलपुर यशभारत। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा प्रारंभिक परीक्षा 2019 एवं 2021 का दो भागों में 87 प्रतिशत एवं 13 प्रतिशत पर जारी किया गया परीक्षा परिणामो की संवैधानिकता को चार आधारों पर चुनोती दी गई है । उक्त प्रकरणों की प्रारंभिक सुनवाई जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ द्वारा की गई ।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवम विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया की समान्य प्रशासन विभाग ने दिनांक 29.9.22 को एक परिपत्र जारी करके समस्त विभागों में 87 प्रतिशत पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए गए है । उक्त सर्कुलर दिनांक 29.9.22 संविधान के अनुछेद 14 एवं 16 का उल्लघ्ंान सहित राज्य सेवा भर्ती परीक्षा नियम 2015 तथा आरक्षण अधिनियम 1994 के नियम 4 के तथा हाईकोर्ट के आदेश दिनांक 7.4.22 के बिपरीत है । अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष स्पष्ट रूप से बताया की यदि सरकार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना नहीं चाहती इसलिए मध्य का रास्ता निकालकर 87 प्रतिशत एवं विवादित 13 प्रतिशत का असंवैधनिक खेल खेला जा रहा है । शासन के उक्त सर्कुलर के परिपालन में क्कस्ष्ट ने प्रारंभिक परीक्षा 2019 तथा 2021 का परिणाम दो भागों में जारी किया गया है ।
2019 के भाग-अ में कुल 8965 अभ्यर्थी चयनित किए गए है जिसमे ओबीसी को केवल 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देकर सभी वर्गों में से 87प्रतिशत अभ्यर्थीयों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित किया गया है तथा भाग-ब में 13प्रतिशत ओबीसी तथा 13प्रतिशत अनारक्षित के कुल 4215 अभ्यर्थीयों को चयनित को प्रावधिक रूप से चयनित किया गया है, अर्थात कुल 113प्रतिशत पर अभ्यर्थीयों को मुख्य परीक्षा हेतु सिलेक्ट किया गया है । ठीक इसी प्रकार 2021 में भाग-अ में 6509 तथा भाग-ब में 4002 अभ्यर्थीयों को चयनित किया गया है ।
प्रावधिक भाग में आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस छात्रों को स्थान नही दिया गया है । उक्त चयन में आयोग ने कम्युनल आरक्षण लागू किया जाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लघन किया गया है । प्रावधिक भाग के अभ्यर्थियों को परीक्षा के अगले चरण में 87त्न पदों के विरूद्ध चयनित नही किए जाने का भी असंवैधनिक प्रावधान किया गया है । अधिवक्ताओ के उक्त तर्कों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन सामान्य प्रशासन विभाग, लोकसेवा आयोग को नोटिस जारी करके एक सप्ताह में जबाब तलब किया गया है । प्रकरण की अगली सुनवाई 20/12/22 नियत की गई है । उक्त याचिकाओ में अभ्यर्थीयों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवम विनायक शाह,रूप सिंह मरावी, अंजनी कुमार कोरी द्वारा पैरवी की गई है ।