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PRIME TIME WITH ASHISH SHUKLA: जन्म का खगोलीय महत्व और जन्म पत्रिका की वैज्ञानिक व्याख्या

जबलपुर। जन्मदिन हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका गहरा खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व भी होता है? जब किसी व्यक्ति का जन्म होता है, उस वक्त पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की जो खगोलीय स्थिति होती है, वही स्थिति ठीक एक वर्ष बाद पुनः बनती है कृ और यही वजह है कि जन्मदिन को विशेष माना जाता है। यह बात प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला के ज्योतिष कार्यक्रम में रिटायर आईपीएस अधिकारी और ज्योतिष के जानकार मनोहर वर्मा ने कही।

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उन्होंने चर्चा में कहा कि जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है, तो उस समय की तिथि, नक्षत्र, चंद्र स्थिति और अन्य ग्रहों की स्थिति को आधार बनाकर ष्जन्म पत्रिकाष् तैयार की जाती है। यह पत्रिका एक प्रकार का खगोलीय नक्शा होती है जो यह बताती है कि जन्म के समय आकाश में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति क्या थी।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी का जन्म कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ हो और उस समय चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में भ्रमण कर रहा हो, तो वही विशेष खगोलीय स्थिति एक वर्ष में केवल एक बार बनती है कृ और यही व्यक्ति का सच्चा जन्मदिन माना जाता है।

भारतीय पंचांग में हम जिसे तारीख कहते हैं, वह तिथि कहलाती है कृ और यह तिथि 1 से 15 तक होती है। यह कभी घटती-बढ़ती रहती है। कई बार एक ही तिथि दो दिन तक चलती है या कोई तिथि किसी वर्ष आती ही नहीं, जिससे अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से जन्मदिन हर साल एक जैसे दिन नहीं आता।

जन्म पत्रिका क्या होती है?

संक्षेप में कहा जाए तो जन्म पत्रिका वह ज्योतिषीय चार्ट है जो व्यक्ति के जन्म के समय की खगोलीय स्थिति को दर्शाती है। यह चार्ट व्यक्ति के भविष्य, स्वभाव, स्वास्थ्य, संबंध, करियर और जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। चर्चा के दौरान श्री वर्मा ने संस्थापक आशीष शुक्ला को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। ईश्वर उन्हें उत्तम स्वास्थ्य, अपार सफलता और जीवन में नई ऊँचाइयों की प्राप्ति कराए। वे उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बनें जो उनसे जुड़े हैं।

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