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जुगलकिशोर मंदिर में पन्ना की महारानी का हंगामा:जन्माष्टमी पर चंवर छीनकर डुलाने लगीं, आरती उठाने की कोशिश; पुलिस ने महारानी को किया गिरफ्तार

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बुंदेलखंड के प्रसिद्ध जुगलकिशोर मंदिर में पन्ना राजघराने की महारानी जितेश्वरी देवी ने कृष्ण जन्माष्टमी पर हंगामा कर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव रात 12 बजे शुरू हुआ। इस दौरान जितेश्वरी देवी आरती के बीच से ​​​​​​उठीं और गर्भगृह में जाकर पुजारी से चंवर छुड़ा लिया। फिर भक्तों की तरफ देखकर गलत तरीके से चंवर डुलाने लगीं। अभद्रता की।

श्रद्धालुओं ने उनको गर्भगृह से बाहर करने की आवाजें लगाईं। पुजारी और वहां मौजूद लोगों ने जितेश्वरी देवी को गर्भगृह से बाहर करने की कोशिश की। इस दौरान वह गिर गईं। उन्हें पुलिस की मदद से घसीटकर बाहर किया गया। उन्होंने पुलिस से भी अभद्रता की।

पूजन में विघ्न के कारण पुजारी ने आरती बीच में ही रोक दी। भक्तों में काफी आक्रोश है, उन्होंने पन्ना के इतिहास में इसे सबसे निंदनीय घटना बताया है। मंदिर समिति के प्रबंधक संतोष कुमार तिवारी ने पुलिस को बताया कि महारानी शराब के नशे में थीं। पन्ना कोतवाली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। महारानी का कहना है कि मंदिर के मुसद्दी और पुजारी ने झूठे आरोप लगाए हैं। राज परिवार के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

पुलिस ने इस मामले में महारानी जितेश्वरी देवी को सीजीएम न्यायालय में पेश किया। वहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

पन्ना राजघराने की महारानी जितेश्वरी देवी ने पुजारी से चंवर छुड़ाया और डुलाने लगीं। श्रद्धालुओं ने उनको बाहर करने की आवाज लगाई तो वे श्रद्धालुओं की तरफ घूमकर चंवर गलत तरीके से डुलाने लगीं।
पन्ना राजघराने की महारानी जितेश्वरी देवी ने पुजारी से चंवर छुड़ाया और डुलाने लगीं। श्रद्धालुओं ने उनको बाहर करने की आवाज लगाई तो वे श्रद्धालुओं की तरफ घूमकर चंवर गलत तरीके से डुलाने लगीं।

300 वर्षों से चली आ रही मंदिर में परंपरा

पन्ना एसपी सांई कृष्ण एस थोटा ने बताया कि मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान कमेटी के किसी सदस्य ने जितेश्वरी देवी को बुलाया था। पन्ना राजघराने के 19वें वारिस महाराजा राघवेंद्र सिंह जू देव का इसी वर्ष जनवरी में निधन हो गया था। इसके बाद राजघराने की परंपराओं को निभाने की जिम्मेदारी उनके बेटे छत्रसाल द्वितीय को सौंपी गई। कृष्ण जन्मोत्सव पर मंदिर में चंवर डुलाने की परंपरा उनके द्वारा ही की जानी थी। किसी कारणवश वे मंदिर नहीं आ पाए। उनकी मां जितेश्वरी देवी मंदिर पहुंचीं और हंगामा कर दिया। मामले में जांच कर वैधानिक कार्रवाई करेंगे।

मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व मथुरा वृंदावन की तरह मनाया जाता है। यह परंपरा करीब 300 वर्ष से चली आ रही है। यहां पन्ना राजघराने के महाराजाओं की उपस्थिति में पूजन होता रहा है।

जितेश्वरी देवी ने महाआरती को उठाने का प्रयास किया। पुजारियों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो वे गिर गईं। फिर उन्हें पुलिस की मदद से बाहर किया गया।
जितेश्वरी देवी ने महाआरती को उठाने का प्रयास किया। पुजारियों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो वे गिर गईं। फिर उन्हें पुलिस की मदद से बाहर किया गया।

राजमाता की शिकायत पर जुलाई 2021 में महारानी गईं थी जेल

पन्‍ना राजघराने की अरबों की संपत्ति को लेकर राजमाता दिलहर कुमारी और उनकी बहू महारानी जितेश्‍वरी कुमारी के बीच 20 साल से विवाद चल रहा है। 19 जून 2021 को राज मंदिर पैलेस पन्‍ना में विवाद हुआ था। महारानी और उनके पति महाराज राघवेंद्र सिंह सहित छह लोगों ने पैलेस में राजमाता दिलहर कुमारी के क्षेत्र में घुसकर गाली-गलौज की थी। जुलाई 2021 में राजमाता ने महारानी के खिलाफ कोतवाली थाने में शिकायत की थी। पुलिस ने महारानी पर आर्म्स एक्ट, जान से मारने की धमकी सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया था। पुलिस ने महारानी जितेश्वरी कुमारी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था। यहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था।

महिला पुलिसकर्मी मंदिर में पहुंची तो जितेश्वरी देवी ने उनसे भी अभद्रता की। इसके बाद पुलिस को उन्हें जबरदस्ती मंदिर से बाहर ले जाना पड़ा।
महिला पुलिसकर्मी मंदिर में पहुंची तो जितेश्वरी देवी ने उनसे भी अभद्रता की। इसके बाद पुलिस को उन्हें जबरदस्ती मंदिर से बाहर ले जाना पड़ा।
पन्ना राजघराने के महाराज राघवेंद्र सिंह के साथ महारानी जितेश्वरी देवी।
पन्ना राजघराने के महाराज राघवेंद्र सिंह के साथ महारानी जितेश्वरी देवी।

भगवान की मुरली में पन्ना के बेशकीमती हीरे जड़े हैं

पन्ना के जुगलकिशोर मंदिर में बुंदेली छाप दिखती है। मंदिर उत्तर मध्यकालीन वास्तुशिल्प के अनुरूप बना है। मंदिर में राधा कृष्ण की जोड़ी के अनुपम दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की मुरली में बेशकीमती हीरे जड़े गए थे, जिसे लेकर सैकड़ों साल से यह भजन गाया जा रहा है, ‘पन्ना के जुगल किशोर हो, मुरलिया में हीरा जड़े हैं।’

पन्ना का जुगलकिशोर मंदिर। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
पन्ना का जुगलकिशोर मंदिर। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

ओरछा से पन्ना आए थे भगवान जुगलकिशोर

जुगलकिशोर मंदिर का निर्माण संवत् 1813 में तत्कालीन पन्ना नरेश हिन्दूपत ने कराया था। कहा जाता है कि राधा-कृष्ण की यह मूर्ति ओरछा से यहां लाई गई थी। जानकारों की मानें तो भगवान श्रीकृष्ण पहले ओरछा राज्य में विराजमान थे। उन्हें महाराज हिन्दूपत और नगर के दीक्षित परिवार ने पन्ना में विराजित कराया था। इसके पीछे की मान्यता है कि ओरछा के तत्कालीन राजा मधुकरशाह और उनकी प्रजा श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थी, लेकिन महारानी कुंवर गणेश ने यह प्रतिज्ञा की कि वे अपने आराध्य रामराजा को लेकर ही ओरछा वापस आएंगी और राज्य में एक ही राजा की सरकार रहेगी। या तो रामराजा सरकार रहेगी या फिर श्री जुगलकिशोर सरकार।

रामराजा आए तो श्रीकृष्ण को ओरछा छोड़ना पड़ा

जब महारानी कुंवर गणेश राम लला को अयोध्या से ओरछा लेकर आईं तो राजा मधुकरशाह ने अपनी राजधानी टीकमगढ़ स्थानांतरित कर दी। जिसके बाद पन्ना के राजा और दीक्षित परिवार भगवान जुगलकिशोर सरकार को ओरछा से पन्ना लेकर आए। यहां आने पर उन्हें विंध्यवासिनी मंदिर में अस्थाई रूप से रहना पड़ा। फिर स्थाई रूप से भगवान को मंदिर में विराजित करवाया गया, इसलिए ओरछा में रामराजा सरकार हुए और पन्ना में श्री जुगलकिशोर सरकार हो गए।

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