बुढ़ापे का सहारा बन रहा ऑपरेशन आस्था, डीआईजी का अभियान बुजुर्गों में सुरक्षा का भाव जगाने के साथ बना संबल

यश भारत,जबलपुर। घर में अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए ऑपरेशन आस्था बुढ़ापे का बन रहा है। यह अभियान बुजुर्गों में सुरक्षा का भाव जगाने के साथ अब एक दूसरे के लिए संबल बन चुका है। दरअसल डीआईजी तुषार कांत विद्यार्थी द्वारा पूरी संस्कारधानी में बुजुर्गों के सम्मान, सुरक्षा और अपनेपन के एहसास के लिए आस्था अभियान प्रारंभ किया गया है उसका विस्तार अब संस्कारधानी के प्रत्येक मोहल्ले में भी किया जा रहा है जिसमें सारे वरिष्ठ नागरिकों को आपस में भी जोड़ा जा रहा है और साथ ही साथ आपस में उनके बेहतर समन्वय के लिए उनकी स्वास्थ्य, विधिक और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए आपस में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से कनेक्ट किया जा रहा है। सबसे प्रथम आस्था ग्रुप सैनिक सोसायटी कॉलोनी के वरिष्ठ नागरिकों को जोडक़र बनाया गया था उसी क्रम में रविवार को सिविल लाइन में भी आस्था ग्रुप बनाया गया है जिसमें सिविल लाइन क्षेत्र के वरिष्ठजन बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। उक्त कार्यक्रम सिविल लाइन क्षेत्र में सिंघई पैलेस में आयोजित किया गया। डीआईजी श्री विद्यार्थी ने कहा की सभी वरिष्ठ नागरिक खास तौर पर जिनके बच्चे उनके साथ में नहीं है उनकी सुरक्षा और सहयोग की भावना को दृष्टिगत रखते हुए आस्था अभियान संचालित किया जा रहा है और अब प्रत्येक मोहल्ले में भी आस्था के छोटे-छोटे ग्रुप बनाए जा रहे हैं ताकि सभी वरिष्ठ नागरिक भी एक दूसरे के सुख दुख में सहभागी बन सके उनके साथ खड़े हो सके उनको संबल मिल सके और किसी भी तरह की जरूरत पडऩे पर उनको अकेलेपन का एहसास ना हो।

जरूर पड़े तो एक साथ अनेक हाथ खड़े रहेंगे-श्री विद्यार्थी ने मेडिकल सेल एंटरटेनमेंट सेल और लीगल सेल के बारे में भी विस्तार से बताया और यह भी कहा कि अब वरिष्ठ नागरिकों को किसी भी तरह की सुरक्षा और सहयोग की कोई कमी नहीं होनी चाहिए इनमें से किसी को भी अब कोई सहयोग की जरूरत पड़ेगी तो एक नहीं अब अनेक हाथ एक साथ खड़े रहेंगे। इस अवस पर कार्यक्रम के संयोजक विजन संस्था के राजेंद्र सिंह, अधिवक्ता एस के श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
इनका किया सम्मान-इसके साथ- साथ श्री विद्यार्थी ने उपस्थित 75 वर्ष की उम्र पूर्ण कर चुके कर्नलसुभाषचंद्रसाहनी,कर्नलजी.एस.बसवान,के.एन.शुक्ला,उमेश राय,बी एस राजपूत, माया शुक्ला प्रमीला बसवान,बी.विश्वनाथन,पुष्पादुबे,एच.डी.सीमा,वी.सी.घोषाल, आर.रालेगांव, एम एल बहरिया आदि का सम्मान किया। इस अवसर पर कुलजीत सिंह द्वारा जिनके हृदय सिया राम बसे फिर और का नाम लीयो न लियो – जिन मात पिता की फिर तीरथ धाम कियो न कियो भजन प्रस्तुत किया गया।