
जबलपुर यशभारत। यात्री ट्रेनों के कोच में अनेक स्टेशनों के नाम बोर्ड में लिखे होने के कारण रेल यात्री न केवल परेशान होते हैं बल्कि इससे भ्रमित होकर कई बार उनकी ट्रेन छूट भी जाती है। क्योंकि ट्रेन को जिस दिशा में जाना है उसके विपरीत बोर्ड में नाम लिखें रहते हैं। इस तरह से ट्रेन के गलत दिशा में जाने या यात्रियों के ट्रेनों पर गलत स्टेशन का नाम होने से यात्री परेशान हो रहे हैं।
इस संबंध में रेलवे सूत्रों ने बताया कि लंबी दूरी की गाड़ी यार्ड में वॉशिंग होने के लिए जाती है जहां पर उसके बोर्ड चेंज नहीं किए जाते हैं।
जबलपुर से खुलने वाली अनेक गाड़ियों में लिखे हैं अनेक नाम
उदाहरण के रूप में जिस गाड़ी में यात्री को इटारसी की ओर सफर करना है ठीक इसके विपरीत उस गाड़ी के कोच की पट्टिका में कटनी रीवा सिंगरौली लिखा रहता है। इसी तरह से जबलपुर से चलकर इंदौर जाने वाली ओवरनाइट एक्सप्रेस में भी अनेक नाम लिखे होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आधा दर्जन स्टेशनों के नाम. यात्री भ्रमित
जबलपुर स्टेशन से खुलने वाली अनेक गाड़ियों में यही हालत हैं जिनके कोचों में 6 से लेकर 8 स्टेशनों के नाम लिखे रहते हैं। ऐसी स्थिति में जो यात्री ट्रेनों में सफर करते रहते हैं वह तो गाड़ी को पहचान जाते हैं कि यह गाड़ी किस दिशा में जाएगी किंतु आम व्यक्ति इससे अंजान रहता है और फिर उसके सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है। अनेक की स्टेशनों के नाम का बोर्ड लिखा हुआ है।इससे यात्री परेशान हो रहे हैं।एक ट्रेन की बोगियों के बोर्ड पर इतने सारे स्टेशनों का नाम पढ़कर अक्सर रेलयात्री परेशान होकर उस ट्रेन को छोड़ देते हैं या इंक्वायरी काउंटर पर जाकर ट्रेन की जानकारी लेते हैं इससे पहले ट्रेन गंतव्य को रवाना हो जाती है। जबलपुर से चलने वाली अधिकांशत ट्रेनों में लगी कोच की पट्टिका में अनेक स्टेशनों के नाम लिखे होने के कारण यात्री भ्रमित हो रहे हैं।
दौड़कर चढ़ने में होती है घटनाएं
यात्री ट्रेनों के कोचों में एक साथ अनेक स्टेशनों के नाम लिखे होने के कारण यात्री प्लेटफार्म पर खड़े होकर यही सोचता रहता है कि यह ट्रेन कहां जा रही है और जब उसको पता चलता है की जहां की वह यात्रा करना चाहता है उसी दिशा पर जा रही है तो वह ट्रेन छूटने के बाद दौड़ लगाकर सवार होने के चक्कर में दुर्घटनाओं का शिकार हो जाता है। जैसे की जबलपुर से अंबिकापुर जाने वाली ट्रेन में सिंगरौली रीवा तो दिल्ली जाने वाली ट्रेन में अमरावती और ओवरनाइट ट्रेन में सोमनाथ का बोर्ड लगा रहता है।
सभी तबके के लोग करते हैं सफर
ट्रेनों में ऐसा तो नहीं है कि केवल पढ़े लिखे व्यक्ति ही सफर करते हों जिससे कि वह गाड़ी नंबर से समझ लेते हैं कि हमको इसी गाड़ी में सवार होना है किंतु ट्रेनों में सभी तबके के लोग चाहे वह मजदूर हो या फिर अनपढ़ उनके सामने इस तरह से गाड़ियों में अनेक नाम के बोर्ड लगे होने के कारण वह इधर-उधर यह पूछते रहते हैं कि साहब यह गाड़ी फलां स्टेशन जा रही है कि नहीं इसके बाद ही वह गाड़ी में स्वर होते हैं अनेक नाम के बोर्ड लगे होने के कारण यात्री गाड़ियों से चढ़ते उतरते हुए भी रहते हैं। रेल यात्रियों को हो रही इन परेशानियों का जिम्मेदार आखिर कौन है…?