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21 घंटे तक नर्स को बनाकर रखा डिजिटल अरेस्ट…, इस तरह हुआ मामले का खुलासा

मध्यप्रदेश के खंडवा जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स को ठगों ने 21 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट बनाकर रखा। इतना ही नहीं जालसाजों ने पीड़ित को पानी पीने और खाना खाने के लिए भी मोबाइल के सामने से उठकर जाने नहीं दिया। परिजनों ने पीड़ित से संपर्क न होने के बाद इस बात की सूचना उसके पड़ोसियों को दी। पड़ोसियों ने नर्स के कमरे का दरवाजा लंबे समय से बंद होने की जानकारी पुलिस को दी।

जिसके बाद किसी तरह मामले का खुलासा हो सका। अब साइबर क्राइम पुलिस मामला दर्ज कर आरोपियों की पहचान कर रही है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऑनलाइन किसी तरह के गिफ्ट, पैकेट के लालच में न आएं। इसके अलावा अगर कोई आपको फोन पर पुलिस अधिकारी या कस्टम अधिकारी बनकर बात करता है तो उसकी पुष्टि जरूर करें।

नर्स पर लगाया था ड्रग्स तस्करी का आरोप 

पुलिस के अनुसार पीड़िता कंचन उइके खंडवा मेडिकल कॉलेज सह-जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स है। बदमाशों ने खुद को महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच का होने की बात कही थी और नर्स को वीडियो काल किया था। पुलिस ड्रेस में एक शख्स को देख नर्स घबरा गई, फोन करने वाले ने नर्स को ड्रग्स की तस्करी करने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात की।

डिजिटल अरेस्ट पर पुलिस ने की एडवाइजरी जारी

फोन करने वाले ने पूछताछ के बहाने नर्स को डिजिटल अरेस्ट करके रखा। उससे हर कॉल का स्क्रीन शेयर करवाया। खंडवा एसपी मनोज कुमार राय ने जानकारी देते हुए बताया पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। इसे लेकर भारतीय पुलिस का कोई कानून नहीं है। इस प्रकार के फोन या वीडियो कॉल्स आते हैं तो वह फ्रॉड है। इसकी आप अपने नजदीकी पुलिस थाना और सायबर सेल में शिकायत करें। पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है।

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