अब जरुरत सामाजिक पुलिसिंग की, वायरलैस सेट पर भारी मोबाइल नागरिकों का पुलिस से संवाद कम होना चिंता का विषय
अब जरुरत सामाजिक पुलिसिंग की, वायरलैस सेट पर भारी मोबाइल नागरिकों का पुलिस से संवाद कम होना चिंता का विषय

जबलपुर,यश भारत। पिछले दिनों पुलिस कप्तान ने क्राइम मीटिंग में साम्प्रदायिक भावना को भडक़ाने वाले व आपत्तिजनक पोस्ट करने वालो पर पैनी नजर रखी जाने की बात कही।इस दौरान उन्होंने ने कहा कि अगर कोई भडक़ाऊ पोस्ट करता है तो उसे तत्काल नोटिस दिया जाये यदि साम्प्रदायिक भावना को भडक़ाने वाली पोस्ट है तो तत्काल वैधानिक कार्यवाही करें, जो भी कार्यवाही करें, उसमें निष्पक्षता एवं पारदर्शिता होनी चाहिये। यह बात कप्तान ने तब कहीं है जब शहर में 15 दिनों के बीच पांच थानों में धार्मिक उन्माद फैलाने का मामला दर्ज हुआ था। पुलिस अधीक्षक का शहर की सौहार्दता पर चिंतित होना भी लाजिमी है परंतु चिंतन करने से अच्छा इन मामलों में कहां चूक हो रही है उस बारे में सोचने की जरूरत है।इस दौरान पुलिस विभाग की दो सबसे बड़ी त्रुटियां सामने आई है जिसमें समाजिक पुलिसिंग और वायरलैस सेट पर पुलिस कर्मियों की असक्रियता सबसे प्रमुख कारण है जबलपुर में सोशल पुलिसिंग एक महत्वपूर्ण पहलू है जो शहर की सुरक्षा और व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। सोशल पुलिसिंग के माध्यम से पुलिस और नागरिकों के बीच संवाद बढ़ता है, जिससे विश्वास और सहयोग की भावना पैदा होती है। वहीं दूसरी तरफ पुलिस विभाग में, वायरलेस सेट पुलिस कर्मियों के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सेट कानून व्यवस्था बनाए रखने, अपराधों को नियंत्रित करने, और जनता की शिकायतों के त्वरित निस्तारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पुलिस की पुरानी व्यवस्थाओ में इस सेट की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसमें कि अधिकारी एवं कर्मचारी इसकी महत्ता को भली-भांति जानते हैं परन्तु मोबाइल युग आते ही धीरे-धीरे विभाग में पदस्थ पुलिसकर्मियों ने सैट से दूरियां बना ली जिसका खामियाजा अब खुद ही पुलिस विभाग को भुगतना पड़ रहा है
मोबाइल के चलते वायरलैस सेट से हाय तौबा
वायरलेस सेट से दूर होते पुलिस कर्मी एक चिंताजनक मुद्दा है, जो पुलिस व्यवस्था की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है। वायरलेस सेट पुलिस कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, जो उन्हें आपातकालीन स्थितियों में तेजी से प्रतिक्रिया करने और समन्वय स्थापित करने में मदद करता है।
मोहल्ला समितियां पुलिस कागजों तक ही सीमित
मोहल्ला समितियां पुलिस कागजों तक ही सीमित होने से उनकी प्रभावशीलता कम हो गई ।मोहल्ला समितियों का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर पुलिस और जनता के बीच संवाद और सहयोग बढ़ाना, लेकिन अगर वे केवल कागजों पर ही सीमित रहती हैं तो उनका वास्तविक प्रभाव नहीं पड़ सकता है। मोहल्ला समितियों की नियमित बैठकें आयोजित की जानी चाहिए, जहां स्थानीय मुद्दों पर थाना स्तर पर चर्चा की जा सके और समाधान निकाले जा सकें। स्थानीय निवासियों और पुलिस अधिकारियों को मोहल्ला समितियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, ताकि वे अपने विचार और सुझाव दे सकें।
मोहल्ला समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि उनका वास्तविक प्रभाव पड़ सके। मोहल्ला समितियों के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए, ताकि जनता को पता चले कि उनके मुद्दों पर क्या कार्रवाई की जा रही है। वायरलेस सेट की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए:
1. आधुनिक उपकरण: वायरलेस सेट के आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके पुलिस कर्मियों की संचार क्षमता में सुधार किया जा सकता है।
2. नियमित प्रशिक्षण: पुलिस कर्मियों को वायरलेस सेट के उपयोग के लिए नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि वे इसका प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।
3. नेटवर्क की मजबूती: वायरलेस सेट के नेटवर्क को मजबूत बनाने से पुलिस कर्मियों के बीच संचार में सुधार हो सकता है और आपातकालीन स्थितियों में प्रतिक्रिया करने में मदद मिल सकती है। सोशल पुलिसिंग में जनता
से कैसे जुड़े पुलिस
– नागरिकों के साथ संवाद: नागरिकों के साथ संवाद बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए जिससे पुलिस और नागरिकों के बीच विश्वास निर्माण पैदा हो
– समाजिक पुलिसिंग: समाजिक पुलिसिंग कार्यक्रमों को बढ़ावा दे, जिसमें नागरिकों को पुलिस के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिले।
-सोशल मीडिया का उपयोग:पुलिस विभाग सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स जैसे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर सक्रिय रहकर जनता के साथ संवाद कर सकता है।वे सुरक्षा संबंधी जानकारी प्रदान कर सकते हैं और जनता की शिकायतों को सुन सकते हैं।
-नागरिक पुलिस मंच: पुलिस विभाग नागरिक पुलिस मंच की स्थापना कर सकता है, जहां नागरिक और पुलिस अधिकारी सुरक्षा और व्यवस्था संबंधी मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।
-पुलिस पब्लिक मीट: पुलिस विभाग पुलिस पब्लिक मीट का आयोजन कर सकता है, जहां नागरिक और पुलिस अधिकारी आमने-सामने मिल सकते हैं।इससे विश्वास निर्माण और सुरक्षा में सुधार हो सकता है। कभी एसपी, एडिशनल एसपी, सीएसपी, टीआई को नाम से जानती थी पुलिस
जबलपुर में कई अफसर रहे हैं जो सोशल पुलिसिंग के महारथी माने जाते हैं शहर की जनता से इनका इस प्रकार से जुड़ाव होता था कि इन? पुलिस अधिकारियों को जनता नाम से जानती थी और इनसे सीधे संवाद कर लिया करती थी।इनमें जिन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति से पहले जबलपुर पुलिसिंग में इतिहास रचा और कुछ अभी भी दूसरे बड़े जिलों में अपनी सामाजिक पुलिसिंग के द्वारा क्राइम रोक रहे हैं इन अफसरों ने अपनी सेवा के दौरान पूरी ऊर्जा, उत्साह और उमंग के साथ काम किया और जबलपुर की पुलिसिंग में एक नया अध्याय जोड़ा। सामाजिक पुलिसिंग और वायरलेस सेट दोनों ही पुलिस विभाग के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं। समाजिक पुलिसिंग पुलिस और समाज के बीच संबंध को बेहतर बनाती है, जबकि वायरलेस सेट पुलिस को प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करता है। दोनों को एक साथ इस्तेमाल करके, पुलिस समाज में अपराध को कम करने और शांति बनाए रखने में प्रभावी हो सकती है।