अब आधुनिक कृषि यंत्र से किसानों को मिलेगी राहत: पराली जलाने की समस्या खत्म. धान कटाई के बाद सीधे कर सकेंगे बुवाई
जबलपुर यशभारत।
धान की कटाई के बाद खेतों में किसानों द्वारा पराली जलाने से जहां खेत की नमी पर प्रभाव पड़ता है वही दूसरी ओर इससे उठने वाले धुएं से प्रदूषण भी फैलता है। इस संबंध में एन एल मेहरा सहायक कृषि यंत्री ने बताया कि इस समस्या से छुटकारा दिलाने के साथ ही खेती की लागत कम करने के तीन मशीनों को जोड़कर सुपर सीडर व हैप्पी सीडर मशीन बनाई है. इसमें एक प्रेस व्हील्स के साथ रोटरी टिलर और सीड प्लांट को जोड़ा गया है. इसका इस्तेमाल गेहूं, धान और चना जैसे बीज बोने के लिए किया जाता है. साथ ही इस मशीन का गन्ना, कपास, मक्का, केला जैसी कई फसलों के ठूंठो को हटाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
खेती का काम होता है आसान
सुपर सीडर मशीन एक मल्टी टास्किंग मशीन है. ये मशीन बुआई, जुताई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एकसाथ कर देती है. आसान शब्दों में कहें तो इस मशीन के इस्तेमाल से खेती के काम बेहद आसान हो जाते हैं. इसके अलावा सुपर सीडर खेत को तैयार करने में लगने वाले समय को कम देता है और लागत को घटा देता है।
समय व पैसे की होती है बचत
इन आधुनिक मशीनों से जहां किसानों के समय की बचत होती है वहीं दूसरी ओर पैसे भी कम लगते हैं।सहायक कृषि यंत्री ने आगे बताया कि सुपरसीडर यंत्र द्वारा खड़ी पराली में सीधे बुवाई की जाती है जिससे नरवाई जलाने की समस्या से निजात मिलती है।
किसानों को मिलता है अनुदान
इस यंत्र की कीमत लगभग ढाई लाख रुपए से 3 लाख रुपए के बीच में होती है एवं विभाग द्वारा इस पर 105000 का अनुदान दिया जाता है यह मशीन पराली को काटकर जमीन में मिला देती है एक बार में ही बोनी हो जाती है ।इस मशीन से एक बार कल्टीवेटर दो बार रोटावेटर चलने का खर्च भी बचता है तथा बुवाई 15 से 20 दिन पूर्व हो जाती है उत्पादन में लगभग 15 से 20% की वृद्धि होती है।
यह है हैप्पी सीडर की विशेषता
इसी तरह से हैप्पी सीडर यंत्र का प्रयोग भी सीधे पराली में बोनी हेतु किया जाता है यह यंत्र धान की पराली को सतह पर ही छोड़ देता है जिससे जमीन के ऊपर पराली की परत रहती है। जिसके कारण जमीन में उपलब्ध नमी का वाष्पीकरण नहीं हो पता है जिससे जमीन में नमी बनी रहती है तथा अंकुरण जल्दी हो जाता है खरपतवार भी काम उगते हैं यह पराली धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है तथा इसके कारण मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है एवं नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ती है इसके कारण फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि मिट्टी की हेल्थ सुधारने में यह यंत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस यंत्र की कीमत लगभग200000है ।
यह है आवेदन करने का तरीका
इस संबंध में सहायक कृषि यंत्री श्री मेहरा ने बताया कि किसान यदि यह को यह मशीन लेना चाहते हैं तो ई कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑन डिमांड के माध्यम से कृषक अपना आवेदन कर सकते हैं इसके लिए आवश्यक दस्तावेज
1 -जमीन की खतौनी
2- ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कार्ड ट्रैक्टर 60 हॉर्स पावर का होना चाहिए
3 -आधार कार्ड
4-बैंक पासबुक
-5अनुसूचित जाति जनजाति के कृषकों के लिए सक्षम अधिकारी का जाति प्रमाण पत्र आवश्यक हैं।