MP PSC प्री-2019 और 2021 के रिजल्ट को हाईकोर्ट में चुनौती

जबलपुर यशभारत। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग विगत पांच वर्षों से नियमो के विपरीत कार्य करके 2019 से परीक्षा परिणामो को किसी न किसी तरह विवादित बनाकर लाखो छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है । आयोग द्वारा एक बार फिर 2019 तथा 2021 के प्रारम्भिक परीक्षा परिणामो को दिनांक 10/10/22 तथा 20/10/22 को 87 प्रतिशत पर नियम 2015 तथा हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के विरूद्ध घोषित किया गया है । उक्त परीक्षा परिणामो में ओबीसी की 13 प्रतिशत सीटो को होल्ड किया गया है तथा 13प्रतिशत
सामान्य वर्ग/अनारक्षित वर्ग में प्राविधिक रूप से चयनित करके रिजल्ट जारी किए गए है ।
उक्त रिजल्ट में आयोग द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 29/9/2022 के परिपत्र के अनुसार कम्युनल आरक्षण लागू करते हुए 113त्न पदों पर दोनों परीक्षाओ का रिजल्ट जारी किया गया है । श्चह्यष् 2019 में कुल 571 पदों के विरूद्ध भाग-अ में चयनित अनारक्षित वर्ग में 3004, एस.सी. वर्ग में 1420, एस.टी. वर्ग में 1800, ओबीसी में 1715, श्वङ्खस् में 1026 कुल 8965 भाग-ब में अनारक्षित वर्ग में प्राविधिक रूप से 13त्न में 2177 पदों पर तथा 13त्न ओबीसी 2038 कुल 4215 इस प्रकार कुल 13180 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा 2019 हेतु चयनित किया यहाँ यह उल्लेखनीय है की भाग-ब में अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 146 है जिसमे एक भी आरक्षित वर्ग का मेरिटोरियस छात्र को चयनित नही किया गया है उदाहरण के तौर पर एक एससी वर्ग की छात्रा जिसके प्राप्तांक 146 है उक्त छात्रा को आरक्षित वर्ग में ही चयनित किया गया है जबकि उसे अनारक्षित वर्ग में चयनित किया जाना था, ठीक इसी प्रकार आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा 2021 के दिनांक 20/10/22 को घोषित परीक्षा परिणामो में किया गया है तथा उक्त रिजल्ट में ओबीसी की कटऑफ अनारक्षित वर्ग से दो अंक ज्यादा है ।
सामान्य प्रशासन विभाग तथा आयोग के उपरोक्त कृत्यों के विरूद्ध ओबीसी तथा एससी वर्ग के छात्रों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवम विनायक प्रसाद शाह के माध्यम से याचिका क्रमांक 2श्च/24247/22 तथा 2श्च/24847/22 दायर की गई है । उक्त याचिकाओं में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सर्कुलर/आदेश दिनांक 29/9/2022 तथा प्रारंभिक परीक्षा 2019 तथा 2021 का घोषित परिणाम दिनांक 10/10/22 तथा 20/10/22 को असंवैधानिक घोषित कर राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के नियम 4 के अनुसार जारी करने की राहत चाही गई है । उक्त याचिकाओं की सुनवाई माननीय मुख्य न्यायमुर्ति द्वारा स्पेशल बैंच गठित कर अगले हप्ते सुनवाई की जा सकती है । मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मनमाने रूप से समस्त नियमो तथा संवैधानिक प्रावधानों सहित सुप्रीम कोर्ट एवम मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसलों एवम आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधानों को दरकिनार करके दिनांक 29/9/22 को परिपत्र/आदेश जारी किया गया है जिसमे की जाने वाली समस्त भर्तीयो को ओबीसी का 13त्न आरक्षण होल्ड करके 87त्न पदों पर नियुक्तियां करने के निर्देश दिए गए है ।
??मध्यप्रदेश शासन की ओर से ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों में हाईकोर्ट में चल रहे प्रकरणों में ओबीसी का पक्ष रखने के लिए महामहिम राज्यपाल द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह का मत है की क्कस्ष्ट द्वारा घोषित उक्त परीक्षा परिणाम मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के नियम 4 के प्रावधानों के विपरीत होने के साथ – साथ, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 एवम 16 के विपरीत है तथा इंद्रा शाहनी वनाम भारत संघ के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजो की संवैधानिक पीठ द्वारा पारित फैसले के पैरा क्रमांक 811तथा 812 के भी विपरीत है तथा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) में भी स्पष्ट प्रावधान है की यदि कोई भी आरक्षित वर्ग का मेरिट में उच्च है तो वह अनारक्षित वर्ग में ही चयनित होगा न की अपनी केरेगिरी में तथा साम्य न्याय का प्रतिस्थापित सिद्धान्त है की, अनारक्षित वर्ग की सीटो में सिर्फ मेरिटोरियस/प्रतिभावान अभ्यर्थियों का ही चयन किया जाएगा चाहे वो किसी भी वर्ग या जाति के हो । उक्त अधिवक्ताओ का मत है की आयोग द्वारा जारी प्रारंभिक परीक्षा परिणाम 2019 एवम 2021 असंवैधानिक तथा नियम विरुद्ध है । मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लंबित ओबीसी आरक्षण के किसी भी प्रकरण में न्यायलय द्वारा ओबीसी का 13त्न होल्ड करके 87त्न पदों पर भर्ती करने का आदेश नही दिया गया है तथा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2019, के प्रवर्तन पर स्टे नही है इसलिए ओबीसी का 13त्न आरक्षण को होल्ड नही किया जाना चाहिए ।