परमहंसी में मां राजराजेश्वरी मैया का श्रीराम स्वरूप में हुआ मनमोहक श्रृंगार
गोटेगांव अंतर्गत धार्मिक स्थल परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर स्थित श्री वानम की पहाड़ियों के बीचो-बीच बसा अति सुंदर कलात्मक आकर्षक मनमोहक भव्य मंदिरजी में विराजमान अनंतकोटि ब्रह्मांड नायिका मां भगवती त्रिपुरसुंदरी राजराजेश्वरी माताजी का चैत्र नवरात्रि पावन पर्व नव संवत्सर के शुभ अवसर पर प्रतिदिन अलग अलग रूप में श्रृंगार किया जाता है,इसी के चलते नौवें दिवस रामनवमी पावन पर्व पर जगतजननी मातारानी का भगवान श्रीराम के स्वरूप में सुसज्जित मनभावक आकर्षक मनमोहक मातारानी का मनोहरी दिव्य दर्शन हेतु अलौकिक भव्य अद्वितीय श्रृंगार किया गया, मनमोहक अद्भुत विशेष श्रृंगार को देखकर श्रद्धालुओं का मन दर्शन करते ही प्रफुल्लित हो उठने के उपरांत मैयाजी के दरबार में श्रद्धालु बंधुओं द्वारा विशेष पूजन अर्चन आरती वंदनकर प्रसाद वितरित करने के पश्चात ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराजश्री के समाधि स्थल पर जाकर दर्शन पूजन अर्चन कर धर्मलाभ उठाकर अपना मानव जीवन सफल बनाने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे
नवरात्र अखंड ज्योत का महत्व
भगवती जगदम्बा की ज्योति भी एक मूर्ति है। ज्योति साक्षात् भगवती का ही रूप है। ज्योति कर्म की गाक्षिणी है। नवरात्रि के पवित्र पर्व पर अखण्ड ज्योति के रूप में जगदम्बा की सेवा होती है। ज्योति प्रसारित करने से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। सुख समृद्धि प्रदान करती है एवं विघ्न बाधाओं का अनिष्टा का द्ध निवारण होता है। उत्तम पक्ष यह है कि नी अखण्ड ज्योति मुदत से प्रज्ज्वलित त की जाय। यदि धूत यां? प्रज्ज्वलित से करने में असमर्थत्ता हो तो तेल ज्योति दूर के द्वारा भी जगदम्बा की सेवा की स जाती है। इसी प्रकार गोटेगांव नगर के माँ समीपवर्ती परमहंसी गंगा आश्रम में व अखंड ज्योति कलश नवरात्रि के ही पावन पर्व पर प्रज्वलित किए जा रहे हैं वी सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र का और अधिक महत्व है। नवरात्र में मां दुर्गा की पूरे विधि- विधान के साथ पूजा की जाती है और भक्तगण अपनी क्षमतानुसार नौ दिनों का या सिर्फ पहले से आखिरी दिन तक व्रत रखते हैं। साथ ही अखंड ज्योति जलाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र नवरात्र के दौरान अखंड ज्योति जलाने से साधक की मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।