जबलपुरमध्य प्रदेश

मूंग हेराफेरी मामला:कहाँ गई 50 लाख की बैंक गारंटी, कैसे होगी छतिपूर्ति

जबलपुर, यश भारत। पिछले दिनों मझौली में खरीदी के दौरान हुई हेरा फेरी को लेकर लगातार खुलासे होते जा रहे हैं। एक ओर जहां खरीदी और गुणवत्ता को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आई है। वही कार्यालय स्तर पर भी अमर लता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के संबंध में बहुत सारी जानकारियां स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं। अधिकारियों की माने तो किसी भी एफपीओ को काम देने के लिए कुछ निर्धारित मापदंड व कुछ दस्तावेज आवश्यक किए गए हैं। जिसमें से बहुत सारे दस्तावेज सरकारी कार्यालयों में है ही नहीं। जिसको लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी गोल-गोल जवाब दे रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी बात तो यह है कि एफपीयू को उपार्जन का काम लेने के लिए 50 लाख की  बैंक गारंटी देना होती है। लेकिन इस मामले में कोई भी अधिकारी यह बताने तैयार नहीं है कि एफपीओ द्वारा 50 लाख का एफडीआर या बैंक गारंटी जमा किया हुआ है या नहीं किया हुआ है।
कौन करेगा भरपाई
शासन द्वारा 50 लाख का एफडीआर लेने की मंशा यह होती है कि यदि कोई एफपीओ कुछ गड़बड़ करता है, तो उक्त राशि से उसकी भरपाई सुनिश्चित की जा सके। जबकि इस पूरे मामले में बड़ी राशि की हेरा फेरी की बातें प्रशासनिक स्तर पर और एफ आई आर में की जा रही हैं। ऐसे में क्षतिपूर्ति को लेकर सवाल तो खड़े होंगे ही। क्योंकि गोदाम में जो मूंग जमा है वह भी निम्न गुणवत्ता की है। यदि उसकी सफाई कराई जाती है तो उसका वजन भी कम होगा ऐसे में उस कम वजन की क्षतिपूर्ति कहां से होगी यह सवाल बना हुआ है।
लंबे समय से चल रहा खेल
केंद्र सरकार द्वारा किसानों को संगठित व स्वावलंबी बनाने के लिए उपार्जन में फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी याने एफपीओ की भूमिका सुनिश्चित की थी। लेकिन यहां किसानों को दरकिनार करके व्यापारी इसका सबसे ज्यादा फायदा उठाते हुए दिख रहे हैं। यदि अधिकारी अपनी नींद से जाग कर पूर्व में हुई खरीदियों के रिकार्ड खंगाल ले तो कई एफपीओ के काले करना में सामने आ जाएंगे। यदि पुराने मामलों को नहीं भी खंगाला जाए तो भी इस बार मूंग उपार्जन में जिन एफपीओ को काम दिया गया है उनके दस्तावेज ही नियमानुसार चेक कर लिए जाएं तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। साथ ही साथ इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि किन अधिकारियों के कहने पर एफपीओ को प्राथमिकता से कम दिया जा रहा है।
हमारे कार्यालय में अमर लता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की बैंक की गारंटी उपलब्ध नहीं है। संभवतः दूसरे कार्यालय में यह जमा कराई गई हो लेकिन हमारे कार्यालय में जमा नहीं हुई है।
रवि आम्रवंशी
 उपसंचालक कृषि
मूंग से संबंधित उपार्जन की समस्त जिम्मेदारियां सहायक संचालक कृषि विभाग के पास थी। हमारा मूंग में कुछ भी लेना देना नहीं था। ऐसे में जो भी दस्तावेज है वह सहायक संचालक कृषि कार्यालय में जमा कराए गए होंगे।
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