मूंग उपार्जन मामला: भरी हुई गोदाम में खुल रहे केंद्र-मनमर्जी से निर्णय ले रहे अधिकारी नियमों का हो रहा उल्लंघन
जबलपुर यश भारत। मूग उपार्जन को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे है। इसमें अब कुछ तत्व ऐसे सामने आए हैं जो खुले रूप से अधिकारियों की मनमानी बता रहे। जानकारी के मुताबिक जो 21 उपार्जन केंद्र की सूची प्रशासन द्वारा बनाई गई है। उसमें कुछ गोदाम ऐसे हैं जो पहले से भरे हुए हैं या फिर उनके नाम ब्रांच स्तर पर नहीं भेजे गए थे। बल्कि जिला मुख्यालय में बैठे अधिकारियों द्वारा शॉर्टकट करके सीधे उनके नाम जोड़ दिए गए। ऐसे में सवाल उठता है कि किस से साठ- गांठ करके अधिकारियों द्वारा यह नाम केंद्र स्थापना में जोड़े गए।
समिति के साथ गोदाम भी बदल दिया
मूंग उपार्जन को लेकर विवाद की शुरुआत 1 जुलाई को पहली सूची आने के साथी हो गई थी। जब जिला उपार्जन समिति द्वारा 21 गोदाम में उपार्जन केंद्र की सूची जारी की गई थी। जिसमें वृताकार सेवा सहकारी संस्था कापा को जय भवानी स्टोरेज में मूंग खरीदी की जिम्मेदारी सौंप गई थी। लेकिन बाद में कापा समिति पर एफ़ आई आर की बातें प्रकाशित हुई तो आनन फानन में अधिकारियों द्वारा कापा समिति की जगह खाड समिति को उपार्जन की जिम्मेदारी दे दी। लेकिन इसके साथ ही जय भवानी स्टोरेज को भी बदल दिया गया और उसके स्थान पर श्रीजी वेयरहाउस को उपार्जन केंद्र बना दिया गया ऐसे में सवाल उठता है कि समिति बदलने के साथ ही वेयरहाउस बदलने का कौन सा औचित्य था।
विवादित है श्रीजी वेयरहाउस
खांड समिति को उपार्जन के लिए जो श्रीजी वेयरहाउस दिया है इसका नाता विवादों से पुराना रहा है। मूंग उपार्जन 2023 के दौरान यहां 3256 क्विंटल मूंग अतिरिक्त दर्ज कर दी गई थी, जो कि स्टॉक में मौजूद ही नहीं थी। फिर मिली भगत करके 125 किसानों के नाम डिलीट करके मामले को सेटल किया गया था। जिसको लेकर कई किसानों ने शिकायत भी दर्ज कराई थी। सिहोरा ब्रांच की तरफ से जो उपार्जन केंद्र खोलने के लिए उपयुक्त गोदामो की सूची भेजी गई थी उसमें भी श्रीजी वेयरहाउस का नाम नहीं था। क्योंकि उसमें मूंग और धान का पहले से भंडारण था और थोड़ी सी ही जगह खाली थी। ऐसे में वहां मूंग का उत्पादन संभव नहीं था लेकिन अधिकारियों द्वारा एक वेयरहाउस को बदलकर दूसरे विवादित वेयरहाउस का नाम उपार्जन केंद्र के रूप में जोड़ दिया गया, जबकि यहां पहले से मूंग का भंडारण है ऐसे में नए उपार्जन के दौरान पुराने माल की अदला बदली भी हो सकती है।
बिना ऑफर के खोल दिया केंद्र
उपार्जन केंद्र की स्थापना में एक से बढ़कर एक अनियमितताएं सामने आ रही हैं। महामृत्युंजय एग्रो केयर प्रोड्यूसर कंपनी को जिस जय अंबे वेयरहाउस गौराहा में खरीदी का ज़िमा दिया गया है उसने भंडारण के लिए इस वर्ष मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग कारपोरेशन में ऑफर ही नहीं किया था, और ना ही वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन की सिहोरा ब्रांच की तरफ से इस वेयरहाउस का नाम उपार्जन केंद्र की स्थापना के लिए भेजा गया था। ऐसे में सवाल तो उठेगा ही की अधिकारियों को आखिर ऐसा कौन सा स्वप्न हो गया जो उन्होंने बिना जानकारी के ही यहां केंद्र की स्थापना कर दी, जबकि सिहोरा ब्रांच के ही कर्मचारियों की माने तो इस गोदाम में धान भरी हुई है और यह मूंग उपार्जन के लिए उपयुक्त नहीं है।
यहां भी कम है जगह
यश भारत को मिली जानकारी के अनुसार श्रीजी और जय अंबे वेयरहाउस के अलावा और भी वेयरहाउस है जहां उपार्जन के लिए उपयुक्त और पर्याप्त स्थान नहीं है। जबकि शासन द्वारा मूग का उपार्जन गोदाम के अंदर ही सुरक्षित किया है ऐसे में भंडारण के साथ-साथ उपार्जन के लिए भी अच्छी खासी जगह की जरूरत होगी। जिसे देखते हुए शान द्वारा पर्याप्त स्थान रखने वाले गोदामो का चयन करना चाहिए था। वर्तमान समय में जिले में ऐसे बहुत से वेयरहाउस है जो पूर्ण रूप से खाली पड़े हुए लेकिन उसके बाद भी कुछ ऐसे वेयरहाउस में केंद्र बनाए गए हैं जहां जगह बहुत कम है। जैसे मोनिका वेयरहाउस में 1931 मेट्रिक टन की जगह खाली थी, भेड़ाघाट के पारस वेयरहाउस में 2000 मेट्रिक टन की जगह खाली थी, श्री राज वेयरहाउस में 1500 मेट्रिक टन की जगह खाली थी, शिवहरे वेयर हाउस में 2000 मेट्रिक टन की जगह खाली थी। उसके बाद भी यहां केंद्र खोल दिए गए जबकि उनके आसपास अतिरिक्त क्षमता के गोदाम मौजूद थे।