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व्यक्ति की भावनाओं पर नियंत्रण रखता है चंद्रमा: जानें चन्द्रमा का ज्योतिषीय महत्व

 

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चंद्रमा आपके मन-मस्तिष्क और भावनाओं को सीधे करता है प्रभावित
कहते हैं कि व्यक्ति का मन बड़ा चंचल होता है। इसलिए मन पर काबू पाना कठिन होता है। ज्योतिष में मन का सीधा कनेक्शन एक ग्रह से है। ये ग्रह हमारे मन को सीधे प्रभावित करता है। दरअसल, चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। मन के अलावा यह माता, मस्तिष्क, बुद्धिमता, स्वभाव, जननेद्रियों, प्रजनन संबंधी रोगों का भी कारक है। इसके अलावा चंद्र व्यक्ति की भावनाओं पर नियंत्रण रखता है।
सभी तरल पदार्थ चंद्र के प्रभाव क्षेत्र में आती है। चंद्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है। चंद्रमा किसी भी ग्रह को अपना शत्रु नहीं मानता है। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है। वहीं चंद्र वृषभ राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है। चंद्र वृश्चिक राशि में होने पर नीच राशि में होते हैं। चंद्र का भाग्य रत्न मोती है। चंद्रमा मंगल, गुरु, शुक्र व शनि से सम संबंध रखते हैं।
भारतीय वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है और व्यक्ति के जीवन से लेकर विवाह और फिर मृत्यु तक बहुत से क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को बहुत अधिक ध्यान से पढ़ा जाता है। भारतीय ज्योतिष पर आधारित दैनिक, साप्ताहिक तथा मासिक भविष्य फल भी व्यक्ति की जन्म के समय की चंद्र राशि के आधार पर बताए जाते हैं। चंद्रमा की गति से सर्वदा परिवर्तन होता रहता है। चंद्रमा दिल का स्वामी है।
चंद्र राशि लग्न भाव में हो या चंद्र जन्म राशि में हो या फिर चंद्र लग्न भाव में बली अवस्था में हो तो व्यक्ति को कफ रोग शीघ्र प्रभावित करता है। अगर जन्म कुण्डली में चंद्रमा मजबूत हो तो व्यक्ति सभी कामों में सफलता प्राप्त करता है और हमेशा उसका मन प्रसन्न रहता है। पद प्राप्ति व पदोन्नति, जलोत्पन्न, तरल व श्वेत पदार्थों के कारोबार से लाभ मिलता है।
चंद्रमा शरीर के बाईं आंख, गाल, मांस, रक्त बलगम, वायु, स्त्री में दाईं आंख, पेट, भोजन नली, गर्भाश्य, अण्डाशय, मूत्राशय, चंद्र कुण्डली में कमजोर हो तो व्यक्ति को ह्रदय रोग, फेफड़े, दमा, आतिसार, दस्त गुर्दा, बहुमूत्र, पीलिया, गर्भाशय के रोग, महावारी में अनियमितता, चर्म रोग की समस्याएं होती हैं। अगर चंद्रमा कृष्ण पक्ष का नीच या शत्रु राशि में हो तथा अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चंद्रमा निर्बल हो जाता है। ऐसी अवस्था में निद्रा व आलस्य घेरे रहता है। व्यक्ति मानसिक तौर पर बेचैन, मन चंचलता से भरा रहता है मन में भय व्याप्त रहता है।
चन्द्रमा एक शीत और नम ग्रह है और ज्योतिष की गणनाओं के लिए चंद्रमा को स्त्री ग्रह माना जाता है। चन्द्रमा सभी व्यक्ति की कुंडली में मुख्य रूप से माता तथा मन का कारक माना जाता है। और क्योंकि माता तथा मन दोनों ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्त्व रखते हैं, इसलिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति कुंडली धारक के लिए अति महत्त्वपूर्ण होती है।

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