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मिलर हुए लामबंद: उपार्जन में शामिल होने से किया इनकार, 50 करोड़ से अधिक की रुकी पेमेंट, विभाग खामोश, खरीद के लिए नहीं जमा करेंगे बारदाना, केंद्रों से नहीं उठाएंगे धान

जबलपुर, यश भारत। धान उपार्जन शुरू होने के पहले ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राइस मिलों द्वारा उपार्जन में सहयोग करने से इनकार कर दिया है। मंगलवार को राइस मिलर संगठन की बैठक के दौरान निर्णय लिया गया है कि वह उपार्जन के लिए कोई भी बारदाना जमा नहीं करेंगे और ना ही उपार्जन केंद्रों से धान का उठाव करेंगे। जिसका कारण है लंबे समय से उनका रुका हुआ भुगतान। मिलरो का कहना है कि उन्हें पिछले साल से ना तो बारदाने का पैसा मिला है ना मिलिंग चार्ज मिले हैं और न ही फोर्टिफाइड राइस का पेमेंट हुआ है । ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और बैंक के खाते एनपीए हो रहे हैं ऐसे में वह कार्य नहीं कर सकते ।

यह होगा असर

यदि राइस मिलर मिलिंग को लेकर अनुबंध नहीं करते हैं तो सबसे पहले तो बारदाने की समस्या खड़ी हो जाएगी। क्योंकि जो उपार्जन नीति तैयार की गई है उसमें 46% पुराने बारदाने में धान की खरीदी होना है ,जो की राइस मिलरो के द्वारा जमा किया जाता है यदि यह जमा नहीं होगा तो बड़ी समस्या हो जाएगी। इसके अलावा उपार्जन केंद्रों से सीधे राइस मिलों को धान ले जाने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा निर्धारित की गई है। ऐसे यदि मिलर अनुबंध नहीं करते हैं तो फिर धान का उठाव भी प्रभावित होगा और भंडारण की समस्या सामने आएगी।

यह है मांग

राइस मिलरो का कहना है उन्हें 2022-23 और 23 24 की मिलिंग राशि, प्रोत्साहन राशि और अपग्रेडेसन राशि का भुगतान नहीं किया गया है। इसके अलावा जो बारदाना उन्होंने पिछले साल जमा किए हुए थे उसका भुगतान भी नहीं किया गया है। साथ ही साथ चावल में मिलने के लिए जो बारदाने का उपयोग किया जाता है उसका भुगतान भी विभाग नहीं कर रहा है। ऐसे में राइस मिलरो का कहना है कि जब तक उनके लंबित भुगतान नहीं किए जाएंगे तब तक वह अनुबंध नहीं करेंगे और आगामी 6 तारीख तक उन्होंने हड़ताल पर रहने का निर्णय किया है और उसके बाद आगामी निर्णय लिए जाएंगे।

मनमर्जी से काट दिए रिलीज ऑर्डर

बैठक के बाद राइस मिलर अपनी मांगों को लेकर विपणन संघ कार्यालय भी पहुंचे जहां पर उन्होंने विभाग द्वारा मनमर्जी से काटे जा रहे रिलीज ऑर्डर को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई ।राइस मिलरो का कहना है कि विपणन संघ के अधिकारी अपनी मनमर्जी से रिलीज ऑर्डर काट रहे हैं जबकि उन्हें जो गोदाम दी जा रही हैं वहां या स्टॉक है ही नहीं और यदि है तो सिर्फ कचरा है। जिसमें चावल निकलेगा ही नहीं ऐसे में विभाग तानाशाही कर रहा है और भुगतान के नाम पर खामोश हो जाता है।

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लंबे समय से विभाग द्वारा हमें न तो बारदाने का भुगतान किया गया है न ही मीनिंग राशि दी जा रही है और न ही प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। ऐसे में हमारे सामने गंभीर आर्थिक संकट है जिसके चलते आगे हम कस्टम मिलिंग का काम करने में सक्षम नहीं है, जब तक हमारा भुगतान नहीं होगा तब तक हम कोई भी काम नहीं करेंगे।

धवल अग्रवाल, प्रदेश महासचिव, राइस मिलर एसोसिएसन

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