विकास के कोरे मायने : नदी पर पुल नहीं , 28 किलोमीटर का सफर घूम कर करना पड़ता है तय, मरीज, प्रसुताओं को ले जाने में होती है खासी परेशानी

मंडला| आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी जिले के वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र के लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे है। जिले की कुल जनसंख्या करीब 12 लाख के पास है। जिसमें करीब 480 से ज्यादा ग्राम पंचायत है। वहीं 5 नगरीय निकाय क्षेत्र है। आजादी के बाद जिले का विकास तो हुआ है लेकिन ग्रामीण अंचल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। खासकर वनांचल क्षेत्रों में विकास नहीं हो पाए है। आजादी के बाद भी वनग्रामों के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे है। वनांचल क्षेत्रों में योजना का क्रियान्वयन सिर्फ कागजों में ही हो रहा है। आजादी के सही मायने तभी होंगे, जब प्रत्येक नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होगी।
जानकारी अनुसार जिले में विकास के दावों की पोल विकासखंड घुघरी के कई पिछड़े और वनांचल क्षेत्रों की बदहाल स्थिति खोल रही है। आलम यह है कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी घुघरी को जोडऩे वाले नदी के उस पार दर्जनों ग्राम के लोग आज भी घुघरी पहुंच मार्ग का इंतजार कर रहे है। हलो नदी के उस पार ग्राम रूसा, इमलीटोला, जोगी लुढिय़ा, ईश्वरपुर, लाफन, नयगांव, पीपरदोन, नेझर, सिमरिया, ऐरी, ढूंढी, कूम्ही समेत अन्य गांव बसे हुए है। जहां के ग्रामीण आज भी घुघरी मुख्यालय पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ती है। बताया गया कि जिला का विकासखंड घुघरी 84 एरिया के नाम से विख्यात है। जिसकी मुख्यालय से दूरी करीब 40 किमी है। घुघरी क्षेत्र के कई ग्राम आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है। हलो नदी के उस पार बसे ग्रामों में मार्ग ना होने के कारण यहां के ग्रामीण साल भर परेशान होते है। इमरजेंसी में यहां के ग्रामीणों को करीब 25 से 30 किलोमीटर घूम कर आना पड़ता है। जिसके कारण लोगों का समय के साथ आर्थिक परेशानी भी उठानी पड़ती है।
मरीज को अस्पताल पहुंचने होती है दिक्कत
ग्रामीणों ने बताया कि यदि ग्राम में कोई बीमार हो जाए तो अस्पताल जाने के लिए बड़ी परेशानी होती है। इमरजेंसी में या तो नदी पार करके घुघरी जाना पड़ता है, या करीब 30 किलोमीटर की दूरी तय कर सड़क मार्ग से घूम कर बिछिया या घुघरी पहुंचना पड़ता है। हलो नदी में पुल ना होने के कारण यहां के ग्रामों में एम्बुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है। सड़क मार्ग से घुघरी पहुंचने में करीब 28 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, वहीं इन ग्रामों से बिछिया की दूरी भी 30 किलोमीटर के आसपास है। इमरजेंसी में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में भी काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन का इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं है। बताया गया कि घुघरी के समीप खमतरा से लगा हुआ हलो नदी है, जहां से घुघरी मुख्यालय पहुंचने के लिए करीब 100 मीटर का पथरीली घाटी है। इतना ही नहीं इमरजेंसी में प्रसूता की घर में ही डिलीवरी करनी पड़ती है।
जिसे चढऩे और उतरने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। हलो नदी के उस पार हजारों ग्रामीण घुघरी मुख्यालय बाजार, हॉट के लिए आते है, लेकिन मार्ग नहीं होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मार्ग निर्माण के लिए यहां के ग्रामीण वर्षो से जदोजहद कर रहे है। हलो नदी के पास स्थिति घाटी मार्ग आज दिनांक तक नहीं बन सका है, ना ही घाटी की कटिंग कराई गई। यदि इस घाटी की कटिंग करा दी जाए तो भी ग्रामीणों को कुछ राहत मिल सकती है। इस समस्या की तरफ शासन, प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। यहां के लोग अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए इधर उधर भटक रहे है।