महारानी रानीदुर्गावती जबलपुर के लिए एक विरासत है
पुरातत्व-पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा 500वीं जयंती पर चर्चा कार्यक्रम आयोजित
जबलपुर, यशभारत। पुरातत्व , पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा आज स्मार्ट सिटी मीटिंग हॉल, मानस भवन में महारानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती के अवसर पर उनके अविस्मरणीय जीवन पर चर्चा एवं उनके गौरवशाली इतिहास की विरासत को संजोने हेतु इस विशेष सभा का आयोजन किया गया। विशेष सभा कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि महारानी रानीदुर्गावती जबलपुर के लिए एक विरासत है और उसे सहेज कर रखना हमारा काम है। कार्यक्रम में डॉ. अरुणा पाठक – विभागाध्यक्ष (सेवानिवृत्त), इतिहास विभाग, माणकुंवर बाई कॉलेज, जबलपुर, डॉ. अर्चना देओलिया – प्रोफेसर, इतिहास विभाग, माणकुंवर बाई कॉलेज,. डॉ. देवेंद्र देओलिया – विभागाध्यक्ष, भूविज्ञान विभाग, साइंस कॉलेज, सच्चिदानंद शेकटकर – उप आयुक्त (सेवानिवृत्त) डॉ. रंजना जैन – इतिहास विभाग, शासकीय कॉलेज, गढ़ा, . डॉ. चैधरी शिवव्रत महांती, निदेशक – कृष्णराव शोध संस्थान, डॉ. आनंद सिंह राणा – प्रोफेसर, जानकी रमन कॉलेज, (इतिहासकार), डॉ. नूपुर देशकर – प्रोफेसर, साइंस कॉलेज,
डॉ. अवध बिहारी श्रीवास्तव – सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं पूर्व सचिव, रानी दुर्गावती शोध संस्थान, डॉ. शरद नारायण खरे – प्राचार्य, शासकीय जेएमसी गर्ल्स कॉलेज, मंडला, रामकांत ताम्रकार – शोधकर्ता एवं कहानी लेखक, डॉ. एल. के. शर्मा – लेखक और संचार विशेषज्ञ, डॉ. अनुपम सिन्हा, डॉ. संगीता सिन्हा, राजकुमार गुप्ता – लेखक एवं शोधकर्ता, मुकुल यादव – फोटोग्राफर, राजेंद्र चंद्रकांत राय कथाकार के द्वारा वीरांगन रानीदुर्गावती के जीवन में प्रकाश डाला। सभी ने कहा कि समूचे महाकोशल के लिए रानी दुर्गावती का बलिदान प्ररेणा दायक है।