M DS परीक्षा मामले हाईकोर्ट ने कहा – मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की गलती तो सजा छात्रों को क्यों बैठाया जाए कल की परीक्षा में
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ जिसमें न्यायमूर्ति श्री सुजॉय पाल जी और न्यायमूर्ति श्री अचल कुमार पालीवाल थे ने आज एक अंतरिम आदेश पारित कर तीन एम डी एस के विद्यार्थियों को कल दिनांक 25.जुलाई से प्रारंभ होने वाले एमडीएस पार्ट 2 एग्जाम में भाग लेने की अनुमति दी है | नरिन्दरपाल सिंह रूपराह अधिवक्ता ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी की | प्रकरण के तथ्य यह थे कि यह तीनों एमटीएस के छात्र 2020 में नीट एग्जाम में पास हुए थे और उसके बाद एम्ए डी एस पार्ग्जाट I की परीक्षा 2021 में होना थी जो कि 2022 में हुई | परंतु प्रथम अटेंप्ट में वे पास नहीं हो पाए और दूसरा दूसरा इंतिहान 5.जून को हुआ जिसका अभी तक रिजल्ट नहीं निकला और इसी बीच 25.जुलाई को फाइनल एग्जाम एम् डी एस. II घोशित हो गया जिसमें इन्हें बैठने की अनुमति इसलिए नहीं दी जा रही क्योंकि इनका एमडीएस पार्ट वन एग्जाम का रिजल्मेंट नहीं निकला था | इसीलिए इन्हें याचिका लगानी पड़ी और उस याचिका में यह बोला कि जो गलती है वह प्रत्यर्थी गणों की है, शासन की है, । मेडिकल यूनिवर्सिटी की है कि इन्होंने MDS Part I का एग्जाम ही लेट करवाया | एमडीएस पार्ट वन का इसलिए रिजल्ट नहीं निकला तो हमारी गलती नहीं | हमें एमडीएस पार्ट 2 में अपीयर होने दिया जाए | उच्च न्यायालय ने ऐसा अंतरिम आदेश पारित किया है की इन विद्नोयार्टिथियों को M DS पार्सट II में appear होने दिया जाए | सभी प्रत्याशी गणों से जवाब मांगा है।