जोशीमठ में भूस्खलन शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज श्री का वक्तव्य: भूमि के धंस के धस जाने की घटना बहुत ही दुःखद

_जोशीमठ में भूस्खलन पर आये विषम संकट एवं आपदा पर अनंत श्रीविभूषित द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज श्री ने वक्तव्य में महाराज श्री जी ने कहा कि जो भूमि का स्खलन ओर भूमि के धंस के धस जाने की घटना बहुत ही दुःखद है इससे अधिक लोगों को कष्ट पहुँचा होगा
जो वास्तव मे ऐसा क्यों हुआ यह हम प्रकृति का प्रकोप मानते है लेकिन प्रकृति से साथ जो छेड़छाड़ करने से स्वाभाविक ओर नैसर्गिक सुंदरता है वह नष्ट होती है ओर आपदा की स्थिति की उत्पन्न होती है
अनिवेश नाम के शिष्य ने अपने गुरू से पूछा कि प्रकृति में विगुणता कहां से आती है
तब आत्रेय मुनि ने कहा इसका मूल रूप अधर्म है ओर असत कर्म क्या हे मतलब मनमाना कार्य करना अपनी बुद्धि से मनमानी कर यह समझना कि हम जो कर रहे हैं वही श्रेष्ठ है इसलिए ऐसी आपत्ति विपत्तियां आती है
वहाँ विकास के लिए जितनी भी परियोजनायें 30,40 वर्षों से चलाई जा रही है बड़े बड़े बांध का बाँधा जाना देशकाल ओर परिस्थितियों को देखकर तथा स्थान की परिस्थितियों को देखकर योजनाओं को विकसित करना चाहिए| | उत्तराखंड देवभूमि है उसे पर्यट्न स्थल का रूप देने से क्षति ही होगी एवं इसकी अक्षुण्णता पर संकट आएगा यह सामान्य भूमि नही है इसे सामान्य समझने की भूल भी नही करना चाहिए |उत्तराखंड देवभूमि है यहां बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने तपस्या की है इसे पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित या स्थापित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए स्वयं देवाधिदेव महादेव का यह स्थान है|
ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर (एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर) जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने ईस्वी सन् 2008 में ही गंगा सेवा अभियानम् के माध्यम से अपनी राय देश के सामने रख दी थी जिसमें उन्होंने बड़ी विद्युत परियोजनाओं और हर उस बड़े प्रोजेक्ट को पहाड़ों के लिए विनाशक बताया था जो पहाड़ों को हिला रहे थे। उन्होंने एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड प्रोजेक्ट के सन्दर्भ में स्पष्ट रूप से कहा था कि ऐसा न हो कि इस प्रोजेक्ट के प्रभाव से जोशीमठ सदा-सदा के लिए नष्ट हो जाए। आज उनकी आशंका शत-प्रतिशत सच साबित हो रही है। अतः हमें स्पष्टता के साथ जोशीमठ की रक्षा के लिए ऐसे प्रोजेक्ट को रोकना ही होगा।
ओर आज वही परिस्थिति सामने है आ रही है इससे निश्चित रूप से बचने के लिए अपनी योजनाओं पर विकास की योजनाएं बनी है ओर जिन संसाधनों का उपयोग वहाँ के विकास के लिए किया जा रहा है उस पर एक बार पुनः विचार करना पड़ेगा मंथन करना पड़ेगा वर्तमान में लोगों को जो सुविधा है हम सब मिलकर दे सकते है देना चाहिए जैसा शासन का उत्तरदायित्व है वैसा समाज का भी उत्तरदायित्व है|
हमारे गुरुभाई ज्योतिषपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज जी उसी क्षेत्र में सेवा के कार्यों का निरीक्षण करने गए हुए है अपनो से मिल रहे है और सबके दुख दर्द में उनका साथ दे रहे हैं ऐसी हमारी भी इक्छा है ऐसा करना चाहिए हम लोग भी जोशीमठ के नगरवासियों के साथ हैं|
पूरा देश साथ में है हर विपत्ति समय पर टल जाती है अतः धैर्य धारण करें|
कितनी ही बड़ी विपत्ति क्यों न हो समय अनुसार उसे टलना ही पड़ता है। अतः विपत्ति के समय धैर्य धारण करने का उपदेश हमारे पूर्वजों ने हमें प्रदान किया है। विपत्ति के समय धैर्य धारण करते हुए उसके निवारण का प्रयत्न करना चाहिए। घबराने से तो विपत्ति और अधिक प्रभावी हो जाती है। इसलिए समस्त जोशीमठवासी भाई-बहनों से हमारी अपील है कि वे धैर्यपूर्वक बिना किसी घबराहट के इस आसन्न विपत्ति का सामना करें। इसके लिए हम हर वह उपाय अपनाएंगे जिससे विपत्ति टलती हो। परमात्मा इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे साथ ही भगवान बद्रीनाथ ओर द्वारकाधीश जी से प्रार्थना करते हैं |
और ऐसी घटना फिर न घटे इसके लिए हम सभी को विचार करना चाहिए|