JABALPUR NEWS:-पुलिस की चार्जशीट को लेकर भविष्य पर सतर्क रहने दी हिदायत

खदान संचालक पर दुर्भावनाग्रस्त एफआईआर पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
जबलपुर यशभारत । हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में पुलिस की जांच के घटिया होने संबंधी तल्ख टिप्पणी की। इसी के साथ जबलपुर निवासी खदान संचालक नीरज श्रीवास्तव के विरुद्ध वर्ष 2018 में दर्ज धोखाधड़ी की एफआइआर दुर्भावनाग्रस्त पाते हुए निरस्त कर दी। यही नहीं चार्जशीट के आधार पर शुरू अदालती प्रक्रिया पर भी विराम लगा दिया। न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि यह मामला पूरी तरह सिविल प्रकृति का है। लिहाजा, धोखाधड़ी का कोई मामला नहीं बनता। इसके बावजूद पुलिस ने शिकायतकर्ता प्रतीक जैन के साथ मिलीभगत कर मनमाने तरीके से आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की गलती की। दरअसल, यह मामला पुलिस की घटिया जांच का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। जांच पुलिस की जांच के घटिया होने संबंधी तल्ख टिप्पणी करते हुए भविष्य में सतर्क रहने दी हिदायत – सिविल प्रकृति के मामले को पुलिस की मिलीभगत से आपराधिक रंग देने को भी आड़े हाथों लिया अधिकारी से उम्मीद की जाती है कि वे भविष्य में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय सतर्क रहें, ताकि निष्पक्ष व पारदर्शी जांच से सत्य का पता लगाया जा सके।
क्या था मामला
जबलपुर निवासी लौह अयस्क खनन व्यापारी नीरज श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि झूठे और मनगढ़ंत तथ्यों के आधार
पर उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। अनावेदक प्रतीक जैन ने शिकायत में आरोप लगाया था कि श्रीवास्तव ने उसे खनन के व्यापार में पार्टनर बनाने के लिए एक ज्वाइंट वेंचर से एग्रीमेंट तैयार किया और 80 लाख रुपये ले लिए। नीरज ने प्रतीक को एनओसी का एक शासकीय पत्र दिखाया जिसके आधार पर इकरारनामा तैयार किया गया था। प्रतीक का कहना था कि बाद में उसने पाया कि नीरज ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एग्रीमेंट तैयार कर उससे 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि इस मामले में 21 माह बाद एफआइआर दर्ज की गई। कथित समझौते के निष्पादन के छह साल व नौ माह बाद प्रतीक ने नीरज के विरुद्ध सिविल कोर्ट की कार्रवाई शुरू की गई। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विवाद को आपराधिक रंग नहीं दिया जा सकता।