JABALPUR NEWS- पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई मेडिकल यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाओं से नाखुश
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्टाफ बढ़ाने को कहा

जबलपुर, यशभारत। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई ने एक बार फिर खुद की सरकार को घेरा है। इस बार मुद्दा है मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाओं को लेकर है। दरअसल पूर्व स्वास्थ्य मंत्री यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाओं से नाखुश है उनका मानना है कि लचर कार्यप्रणाली की वजह से विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है। साथ ही चिकित्सा जैसी शिक्षा प्राप्त करने में विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। पाटन से भाजपा विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी में स्टाफ बढ़ाने की मांग रखी है।
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पढ़ाई छोड़ भ्रष्टाचार की सुर्खियां बटोर रहा विवि
जबलपुर में जब से मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई है तब से यह पढ़ाई को छोड़कर भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में रही है। यहां के निचले कर्मचारी ऑनलाइन रिश्वत रहे हैं, तो वहीं पूर्व कुलपतियों पर पद के दुरुपयोग के संगीन आरोप लगते रहे हैं। मेडिकल के परीक्षा करवाने वाली एजेंसियों पर पुलिस मुकदमे चल रहे हैं, तो शिकायतों का भी यहां पर अंबार लगा हुआ है लेकिन सरकार है कि इस ओर ध्यान नहीं दे रही है लिहाजा आखिरकार एक बार पुन: मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री अजय विश्नोई को सामने आकर अपनी ही सरकार को आइना दिखाना पड़ रहा है।
3 साल में परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे छात्र
पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का कहना है कि मेडिकल एजुकेशन की लापरवाहियों का ही नतीजा है कि आज नर्सिंग के हजारों छात्र बीते 3 साल में परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं और ना ही उन्होंने परीक्षा दी है। पाटन विधायक अजय विश्नोई का कहना है कि नर्सिंग कॉलेजों की गड़बड़ी के बारे में उन्होंने खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को जानकारी दी थी। इतना ही नहीं जब इस पूरे मामले में कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया लेकिन अभी परिणाम जस के तस हैं।
हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई का कहना है कि मध्य प्रदेश के हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, नर्सिंग कॉलेजों की परीक्षाएं बीते 3 सालों से नहीं हुई है, हजारों छात्र-छात्राएं अभी भी सरकार की और आस लगाए बैठे हैं लेकिन सरकार है कि इस मामले में कोई फैसला नहीं कर रही है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि कोरोना संक्रमण जैसी महामारी देखने के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार चिकित्सा शिक्षा को लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि 3 साल से मध्यप्रदेश में आखिर क्यों कोई भी नई नर्स की भर्ती नही हुई है। अब जबकि कोरोना संक्रमण एक बार फिर धीरे-धीरे बढऩे लगा है और ऐसे में अगर अचानक से ही नर्सिंग स्टाफ की जरूरत पड़ेगी तो यह स्टाफ कहां से आएगा।
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