Jabalpur News- सरकारी संपत्ति की सूरत बिगाड़ रही है नेताओं की होर्डिंग,विज्ञापन एजेंसी पैसा देकर भी होर्डिंग नहीं लगा पा रही
एजेंसी विज्ञापन में निजी का कब्जा, जब मन आया उखाड़कर-फाड़कर फेंक देते हैं
जबलपुर, यशभारत। विज्ञापन एजेंसी नगर निगम को लाखों रूपए देकर व्यापार करने की कोशिश में जुटी है लेकिन इनकी होर्डिंग में निजी होर्डिंग्स का कब्जा है। निजी होर्डिंग लगाने वाले ऐसी दादागिरी है कि जब इनका मन चाहता है तो विज्ञापन एजेंसी की होर्डिंग फाड़ देते हैं या फिर उखाड़ देते हैं। हैरानी तो इस बात पर है कि इनकी दादागिरी नगर निगम सहित पुलिस प्रशासन को दिखती है बाबजूद संबंधितों पर कार्रवाई नहीं होती है। लाखों रूपए नगर निगम को देने वाले विज्ञापन एजेंसी संचालकों का कहना है कि अगर इस तरह से निजी होर्डिंग उनकी होर्डिंग में लगेंगी उनके व्यापार पर असर पड़ेगा और वह नगर निगम को होर्डिंग लगाने के पैसे नहीं दे पाएंगे।
ऐसे शुरू होता है होर्डिंग लगाने का खेल
झूठी वाहवाही वाले फ्लैक्स और होर्डिंग से शहर अटा पड़ा है। हर प्रमुख चौराहा, जेंट्रीगेट, सरकारी होर्डिंग पर जनप्रतिनिधियों का कब्जा है। दरअसल, शहर के नामी और कद्दावर नेताओं के प्रयासों को उनके समर्थकों ने कैश कराने के लिए जगह-जगह होर्डिंग लगा दिए। कार्यकर्ताओं को अपने नेताजी की साख की भी परवाह नहीं है।
इसे देख दूसरे पक्ष के लोग भी चौकन्ने हो जाते हैं। वे भी समर्थकों में संदेश भिजवाते हैं और जगह-जगह होर्डिंग्स-पोस्टर टांग देते हैं। सेवा बहाल होने को लेकर भी दोनों पक्षों में इसका श्रेय लूटने की होड़ शुरू रहती है। इसी तरह पहली स्मार्ट सिटी में शहर का चयन होने से लेकर अन्य मामलों में भी जनप्रतिनिधियों के फोन घनघनाते ही उनके समर्थक होर्डिंग लगाना शुरू कर देते हैं। इसके बाद पूरे शहर में उनके होर्डिंग लगाकर वाहवाही लूटी जाती है।
होर्डिंग लगाने के यह है नियम
नगर निगम ने शहर में जेंट्रीगेट लगाने के लिए एजेंसी को ठेका दिया है। एजेंसी जेंट्रीगेट लगाकर एक तरफ विज्ञापन प्रदर्शित करती है। जेंट्रीगेट पर एक तरफ शहर के प्रमुख स्थानों को जाने वाले मागज़् की सूची और संकेत के साथ दूरी प्रदर्शित की जाती है। सूची पर किसी को भी विज्ञापन प्रदर्शन की अनुमति नहीं होती है। ऐसा होने पर निगम को एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है। यदि एजेंसी की बिना अनुमति के किसी ने जेंट्रीगेट पर विज्ञापन का प्रदर्शन किया है, तो उसे एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार है।
सरकारी संपत्ति की सूरत बिगड़ रही है
अनधिकृत विज्ञापन सामग्री सरकारी संपत्ति की सूरत बिगाड़ रही है और सरकारी एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। जिला प्रशासन इनसे निपटने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है, जबकि शहर राजनीतिक सहित अन्य प्रकार की विज्ञापन सामग्री से लगातार पटता जा रहा है। एक्ट में अनधिकृत रूप से विज्ञापन सामग्री लगाने वालों से निपटने के प्रावधान हैं, लेकिन कोई भी इसके तहत कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।