जबलपुर

क्या सचमुच में सुरक्षित है आपकी लाडो???…….छह माह में 113 की लूटी गई आबरू, 142 से छेड़छाड़, सडक़ों से कोड रेड, शक्ति टास्क फोर्स गायब

क्या सचमुच में सुरक्षित है आपकी लाडो???…….छह माह में 113 की लूटी गई आबरू, 142 से छेड़छाड़, सडक़ों से कोड रेड, शक्ति टास्क फोर्स गायब

जबलपुर। परिवार में ही उनका जीवन है, प्यारी बेटियां  चाहे मुफलिसी में रहे या रईसी ठाठ में रहे वे पापा के लिए परियां तो मम्मी की राजदुलारी होती हैं, लेकिन दरिंदों की नजरें इन परियों पर हर दम टिकी रहते ही है। ऐसे  शोहदों को सबक सिखाने और महिला, युवतियों, बालिकाओं को सुरक्षा का अहसास दिलाने के उद्देश्य से सन् 2017 में कोड रेड पुलिस की शुरूवात हुई थी जो अब बंद हो चुकी है इसके अलावा सन् 2023 में छेड़छाड़ मुक्त जबलपुर बनाने की दिशा में गठित की गई शक्ति टास्क फोर्स अब सडक़ों से गायब हो चुका है। ऐसे में बेटियां सुरक्षित नहीं है। सन् 2024 में बीते छह माह में 113 दुष्कर्म तो 142 से छेड़छाड़ की वारदातें हुई। इन पीडि़तों युवतियां, बालिकाएं, महिलाएं शामिल है। हालांकि पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज बीते कुछ सालों के  तुलनात्मक आंकड़ों पर अगर नजर दौड़ाई जाएं तो इन वारदातों मेें कमी आई है। लेकिन न जाने कितने मामले ऐसे होते है जो बदनामी के डर से थानों की चौखट तक ही नहीं पहुंचते है और कई ऐसे भी होते है जिनकी शिकायतें होने के बाद बावजूद भी एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है।
कोड रेड ने डरते थे शोहदे, लड़कियां थी बेखौफ-
शोहदों को सबक सिखाने और महिला, युवतियों, बालिकाओं को सुरक्षा   का अहसास दिलाने सन् 2017 में कोड रेड पुलिस का गठन किया गया था। स्कूल, कॉलेज या ऐसी जगह जहां महिलाओं का आना-जाना अधिक होता था, वहां पहले कोड रेड की टीम तैनात होती थी। यह टीम नियमित रूप से गश्त करती थी। कहीं भी कोई सूचना या शिकायत मिलती, तो यह टीम मौके पर पहुंचती और शोहदों को सबक सिखाती थी। समय के साथ साथ कोड रेड की टीम सडक़ों से गायब हो गई। इस टीम से शोहदों में खौफ दिखता था।
ऐसे में कैसे पूरा होगा छेड़छाड़ मुक्त शहर का सपन
जबलपुर को छेड़छाड़ मुक्त करने और बेटियों के लिये सुरक्षित शहर बनाने की दिशा में पहल करने के साथ महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा और सम्मान की दृिष्ट से 8 अप्रैल 23 को शक्ति टास्क फोर्स का गठन किया गया था। कोड रेड की तर्ज पर शक्ति टास्क फोर्स का गठन हुआ था। प्रतिदिन टीम प्रभारी के साथ 4 का महिला बल एवं 2 पुरूष बल तैनात रहता था। ये फोर्स आवश्यक  संसाधनों से लैस होकर महिला सुरक्षा के लिए तैनात रहता था।  प्रत्येक दिवस एक टीम अलग-अलग थाना क्षेत्रों के महाविद्यालयों, स्कूल अन्य शैक्षणिक संस्थानों सार्वजनिक स्थलों पर प्रात: 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक एवं  शाम 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक उपरोक्त स्थानों भ्रमण करती थी। लेकिन चंद ही दिनों के बाद ये फोर्स सडक़ों से गायब हो गया। अब सवाल ये उठता है कि ऐसे में कैसे आखिर छेड़छाड़ मुक्त शहर का सपना कैसे होगा।
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