जबलपुर यश भारत।जीएसटी प्रणाली लागू होने के सात साल बाद भी पोर्टल की बदहाली दूर नहीं हो रही । गुरुवार तारीख 11 अप्रैल को, मार्च के मासिक जीएसटी -1 भरने की अंतिम तारीख है। आखिरी तारीख एक दिन पहले से दोपहर से जीएसटी पोर्टल ने घुटने टेक दिए। शाम तक पोर्टल बहाल नहीं हो सका। जीएसटी पोर्टल क्रैश हो गया और संदेश मिलने लगा कि अधिक ट्रैफिक के कारण पोर्टल रिटर्न लेने में अक्षम है। हैरानी ये कि पोर्टल के विकास के लिए सरकार सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। व्यापारियों पर आनलाइन रिटर्न दाखिल करने की अनिवार्यता है लेकिन पोर्टल ठप हो जाता है। जीएसटी पोर्टल ठप हो जाने की वजह से यदि कोई व्यापारी आखिरी तारीख पर यदि किसी व्यवसाय का जीएसटी 1 प्रस्तुत नहीं हो सका तो उनसे माल क्रय करने वाले समस्त व्यवसायियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होगा।यह जीएसटी काउंसिल की जवाबदारी है कि आखिरी समय तक पोर्टल ठीक काम करे।इसके अलावा ई इन्वॉयस की दिक्कत पिछले 7 दिनों से चलती आ रही है…जीएसटी पोर्टल पर जिससे वह डाउनलोड भी नहीं हो रहे थे।
कर अधिवक्ता अभिषेक ध्यानी का कहना है कि आज तारीख तक सरकार द्वारा 1500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा जीएसटी पोर्टल पर इन्वेस्ट किया जा चुका है….आश्चर्य की बात यह है कि 2017 से जब से जीएसटी लागू हुआ है, आज तारीख तक यह परेशानी बनी हुई है जिससे कर सलाहकार और व्यापारी बहुत त्रस्त हो चुके हैं।अगर व्यापारी को किसी प्रकार की भी शास्ति लगती है तो इसके लिए सीधे सीधे तौर पर इंफोसिस का बनाया हुआ सॉफ्टवेयर जिम्मेदार है…इससे पहले भी सरकार को सुझाव दिया गया है कि सभी व्यापारियों के लिए मासिक रिटर्न को त्रैमासिक कर देना चाहिए..सरकार द्वारा जीएसटी की मूल संरचना जब की गई थी तो उसमें मात्र एक रिटर्न का ही भरने का प्रावधान था, परंतु आज तारीख तक व्यापारी कई रिटर्ंस भर के परेशानी झेलते रहता है…अधिकतर व्यापारियों को यह समझ में नहीं आता कि वह व्यापार करें कि हर महीने रिटर्न भरने की परेशानियों से जूझते रहे…