GOJRAT RIOTS- गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा गाम कांड के सभी आरोपी बरी : 11 लोग जिंदा जले थे : 21 साल बाद आया फैसला

अहमदाबाद ( एजेंसी)। 2002 के गुजरात दंगों में नरोदा गाम मामले में 21साल बाद आए फैसले में सभी आरोपी बरी कर दिये गए हैं। इस मामले में 11 लोगों की मौत के लिए गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी केअलावा 86 लोग आरोपी थे। एसआईटी मामलों के विशेष जज एस.के बख्शी की अदालत ने फैसला सुनाया। 86 आरोपियों में से 18 की मौत हो चुकी है।28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद शहर के पास नरोडा में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे। इस मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल समेत 69 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।

उधर, शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने कहा है कि वह फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।सिटी सिविल कोर्ट के प्रिंसिपल और एसआईटी के विशेष जज शुभदा बक्षी ने सबूतों के अभाव में सभी 69 आरोपितों को बरी करने का आदेश सुनाया। 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में अयोध्या से वापस आ रहे कारसेवकों को रेल के डिब्बे में पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया था। इस घटना के बाद 28 फरवरी, 2002 को गुजरात बंद के दौरान अहमदाबाद शहर समेत पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। 28 फरवरी कोअहमदाबाद के नरोडा गाम में 11 लोगों को घर और बाहर जिंदा जलाने का आरोप था। 26 अगस्त, 2008 को सुप्रीम कोर्ट में मानवाधिकार आयोग और पीड़ितों ने इस घटना को लेकर रिट पिटिशन दाखिल की थी। इसके जवाब में गुजरात सरकार ने केस की जांच के लिए एसआईटी गठन का प्रस्ताव रखा।
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सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार किया, जिसके बाद श्री राघवन के नेतृत्व में एसआईटी बनाई गई। इसमें गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी पीएल माल को शामिल किया गया। एसआईटी की जांच के दौरान नरोडा की विधायक डॉ . माया कोडनानी, डॉ जयदीप पटेल, विहिप के नेता बाबू बजरंगी समेत अन्य आरोपितों को गिरफ्तार कर आरोप पत्र दाखिल किया गया।एसआईटी के जज ने फैसले के लिए 6 से अधिक स्टेनोग्राफर की मदद से 7 अप्रैल को फैसला लिखा था।
सरकार, शिकायतकर्ता पक्ष, बचाव पक्ष की ओर से 10 हजार से अधिक पन्ने की लिखित दलील और 100 से अधिक फैसले को संदर्भ के तौर पर पेश किया गया। पुलिस और एसआईटी ने 86 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इसमें एक आरोपित को कोर्ट ने डिस्चार्ज कर दिया था। वहीं 17 आरोपितों को चालू ट्रायल के दौरान मौत हो जाने के बाद केस लंबित रखा गया था। केस में कुल 69 आरोपितों के खिलाफ ट्रायल किया गया। जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से गोधरा कांड समेत 9 केसों की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। इसमें 8 मामलों का फैसला आ चुका है।