जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का पहला दिन, रूटीन डयूटी और ओपीडी बंद, परेशान हुए मरीज
जबलपुर, यशभारत। स्टाईपेंड समय पर उपलब्ध हो इसके लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने आज से हड़ताल शुरू कर दी है।जूनियर डॉक्टरों ने आज रूटीन डयूटी और ओपीडी बंद कर विरोध प्रदर्शन किया। हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि मरीजों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसका ध्यान में रखकर ही हड़ताल की जा रही है। इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेगी। डॉक्टरों का कहना था कि सरकार से मांग की है कि वेा सिर्फ समय पर स्टायफंड उपलब्ध कराए हमें हर बार स्टायफंड को लेकर सड़कों पर उतरना न पड़े। डॉक्टरों की हड़ताल को देखकर मेडिकल प्रबंधन कुछ जूनियर डॉक्टरों के खातों में राशि डाली है।
ज्ञात हो कि जूडा अपनी माँगों से जुड़ा पत्र अधिष्ठाता के समक्ष पहले ही प्रस्तुत कर चुका हैए इसी सिलसिले में हड़ताल तेज होती देख कॉलेज प्रशासन ने एक अजीबोगरीब कदम उठायाएजिसके अंतर्गत उन्होंने कुछ जूनियर डाक्टरों के खाते में 15 दिन का वेतनमान डाल दिया। हालांकि हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना था कि कॉलेज प्रशासन के इस कदम से आने वाली हड़ताल पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा और हड़ताल का कार्यक्रम यथावत रहेगा।
हड़ताल में जूडा संघ की प्रमुख माँगे
जेडीए अध्यक्ष डॉण् चंद्रबाबू रजक ने बताया कि जूडा संघ की प्रमुख मांगे है कि सभी जूनियर डाक्टरों को उनका जनवरी माह के पहले का पूरा वेतन भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए अर्थात नवंबर एवं दिसंबर माह का पूर्ण वजीफ़ा तत्काल प्रभाव से दिया जाए। प्रथम वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स का 3 से 4 माह का बकाया वजीफ़े का भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए। यह लिखित में आश्वासन दिया जाए कि आगे से प्रत्येक माह की 5 तारीख तक सभी जूनियर डॉक्टर्स के वेतन का भुगतान सुचारु रूप से किया जाएगा।। इंटर्न डॉक्टर्स को 5 महीने से उनका स्टाइपेंड का भुगतान नहीं किया गया हैए उनका भी भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए। इन तमाम माँगों के पूरा ना होने तक जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल जारी रहेगी।
मरीज हुए परेशान
डॉक्टरों की हड़ताल से मेडिकल में मरीज आज परेशान होते दिखें। ओपीडी में रूटीन चैकअप नहीं हुआ जिसकी वजह से नए मरीज भर्ती पर असर पड़ा। हालांकि सीनियर डॉक्टरों ने मोर्चा संभाला परंतु मेडिकल में मरीजों के भर्ती होने की संख्या रोजाना हजारों में रहती है इसलिए सीनियर डॉक्टर ज्यादा मरीजों का चैकअप नहीं कर पाए।