भोपाल

प्रदेश में हर साल ड्यूटी के दौरान हो जाता है 400 पुलिसकर्मियों का निधन हार्ट अटैक है सबसे बड़ा कारण, काम का दबाव, लंबी डयूटी भी है वजह  

प्रदेश में हर साल ड्यूटी के दौरान हो जाता है 400 पुलिसकर्मियों का निधन हार्ट अटैक है सबसे बड़ा कारण, काम का दबाव, लंबी डयूटी भी है वजह
भोपाल यशभारत। भोपाल। प्रदेश में हर साल ड्यूटी के दौरान करीब 400 पुलिसकर्मीयों की मौत हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह सामने आयी है हार्ट अटैक की। जानाकरी के अनुसार अटैक आने की सबसे बड़ी वजह है काम का भारी दबाव । इसकी वजह से पुलिसकर्मियों का स्वास्थ्य खराब हो जात है , जो उनकी जान पर भारी पड़ता है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आमतौर पर यह माना जाता है कि पुलिसकर्मी दूसरों की तुलना में अधिक फिट होते हैं, क्योंकि वे शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं, उनके लिए सुबह की पीटी सेशन अनिवार्य है और फिटनेस उनकी नौकरी की आवश्यकताओं में से एक है। यह भी माना जाता है कि अगर वे फिट नहीं होते हैं तो उन्हें दंडित किया जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि पुलिसकर्मी अत्यधिक दबाव में काम कर रहे हैं, उनके पास व्यायाम के लिए समय नहीं है। वे दिन में 14 घंटे से अधिक काम कर रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिलता है। साप्ताहिक अवकाश के बारे में बात करते हुए पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सैद्धांतिक तौर पर, हर किसी को साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए, लेकिन व्यवहार में किसी को भी यह नहीं मिलता। पुलिसकर्मियों को केवल स्वास्थ्य या उनके या उनके परिवार से संबंधित अन्य आपात स्थितियों के मामले में ही छुट्टी दी जाती है। मानसिक तनाव दूर करने के लिए वे हमेशा शराब और तंबाकू का सेवन करते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब होता है। पुलिसकर्मी हृदय संबंधी जटिलताओं, मधुमेह, किडनी फेलियर, ब्रेन हेमरेज, लीवर की समस्या और अन्य कई कारणों से दम तोड़ देते हैं। सडक़ हादसों में आधा सैकड़ा पुलिसकर्मियों की मौत अगर विभाग के आंकड़ों का ेदेखें तो आधा सैकड़ा पुलिसकर्मीयों की मौतें प्रदेश में एक साल के अंदर सडक़ हादसों की वजह से हो जाती है। 15 प्रतिशत मौतें हार्ट अटैक से होती हैं। 8 प्रतिशत मौतें कैंसर के कारण होती हैं, उसके बाद किडनी फेलियर से 4 प्रतिशत हैं। पीडि़त राज्य के कुछ जिलों में जिला बल (डीएफ) और विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) में पुलिसकर्मियों की मौतों की संख्या काफी अधिक है। पिछले 2 वर्षों में जबलपुर में 45 पुलिसकर्मियों की मौत हुई है। इनमें से 33 जिला बल के और 12 जबलपुर में तैनात एसएएफ की छठी बटालियन के हैं। में थे। डीएफ का मतलब जिला बल है, एसएएफ का मतलब विशेष सशस्त्र बल है। इसी तरह से 14वीं एसएएफ धार के12, डीएफ के 14, छिंदवाड़ा डीएफ ेके 14 और एसएएफ के 14, 10वीं बटालिया एसएएफ सागर के 10, खरगोन डीएफ के 12 राजगढ़ डीएफ के 10, 23वीं बटालियन एसएएफ भोपाल के10 भोपाल रेडियो के 10 खंडवा डीएफ के 12, भिंड डीएफ के12, नरसिंहपुर डीएफ के 9 और शिवपुरी 18वीं बटालियान एसएएफ के 9 पुलिसकर्मी शामिल हैं।

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