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डोरीलाल की चिंताः दुनिया कैसे चलती है

डोरीलाल से बंदे ने पूछा कि ये दुनिया कैसे चलती है। मैंने कहा – ये प्रश्न है या परीक्षा। इसका उत्तर देना खतरे से खाली नहीं है। कुछ भी हो सकता है। मान लो मैं कह दूं कि तुम सही सोच रहे हो। दुनिया को वही चलाते हैं जिनकी रगों में वो नहीं बहता जो सेना के जवानों की रगों में बहता है। सिन्दूरररररररररररररररररर
बंदे ने आश्वस्त किया कि आप यदि अपने मन की बात बोलेंगे तो आपके ऊपर कोई एक्शन नहीं होगा। मैंने कहा कि मुझे अब भी तुम्हारे ऊपर शक है, तुम रिपोर्ट कर सकते हो। क्योंकि मेरे पास दिमाग है। मैं सोच सकता हूं। मैं मन की नहीं दिमाग की बात बोलूंगा जो मेरे पास है। मैं सच बोलूंगा। और सच बोलने वालों का तुम लोगों ने क्या हाल किया है ये सबके सामने है। उसने कहा सच बोलने वालों को कोई सत्ता, कोई राजा कभी पसंद नहीं करता। क्योंकि दुनिया सच बोलने वालों के चलाए नहीं चलती।
मैंने झपटकर पूछा जब तुम्हें मालूम है तो फिर तुमने मुझसे क्यों पूछा कि दुनिया कैसे चलती है ? उसने कहा कि जो जिस सवाल का जवाब दे सकता है उसी से पूछा जा सकता है। बात समझो डोरीलाल जी। गली गली में प्रवचन हो रहे हैं। भागवत हो रही है। मंदिरों का निर्माण हो रहा है। नए नए लोकों का निर्माण हो रहा है। हजारों करोड़ रूपये इन पर खर्च हो रहे हैं। शहरों महानगरों में प्रवचन हो रहे हैं। चारों ओर भक्ति का समुद्र ठांठें मार रहा है। दीवाली दशहरे पर लाखों दीपक जलाने का कीर्तिमान बनाया जा रहा है। हर तरफ धर्माचार्यों की चरण वंदना हो रही है और उनके आशीर्वादों, उनके शापों से धरा आप्लावित है। जब इतना कुछ हो रहा है तो मनुष्य सुखी क्यों नहीं है ? इसलिए मैंने आपसे पूछा कि बताओ डोरीलाल इस दुनिया को कौन चला रहा है ? इतनी सी बात है। एक पीडि़त की जिज्ञासा है।
डोरीलाल ने कहा कि इस दुनिया को काम करने वाले चलाते हैं।

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दो तरह के लोग हैं – काम करने वाले और काम करवाने वाले। काम करने वाले लगातार काम करते हैं। यदि उन्हें जीवित रहना है तो काम करना ही है। इसलिए छोटे छोटे बच्चे काम करते दिखते हैं। औरतें मर्द काम करते दिखते हैं। और अस्सी साल का बुजुर्ग भी काम करता दिखता है। काम करे बिना पेट नहीं भरेगा। बिना खाये जियेगा कैसे ? काम कोई भी हो। काम छोटा या बड़ा नहीं होता। तो डोरीलाल के हिसाब से दुनिया चल रही है क्योंकि काम करने वाले काम कर रहे हैं। समझो यात्रियों से भरी एक ट्रेन है। इंजन चालू है। मगर आगे नहीं बढ़ रही है। क्यों ? क्योंकि ड्राइवर नहीं है। यानी काम करने वाला नहीं है। ट्रेन, हवाई जहाज, मोटर गाड़ी, बैंक, दुकान, शो रूम, दफतर, कारखाना, अस्पताल, घर हर किसी को चलाने के लिए काम करने वाला जरूरी होता है।

काम करवाने वाले, काम करने वालों से काम लेते हैं और उनकी मेहनत से कमाई करते हैं। उनका यही काम है। धूमिल की प्रसिद्ध कविता है – एक आदमी है जो रोटी बेलता है, एक आदमी है जो रोटी सेंकता है, एक आदमी है जो न रोटी बेलता है न रोटी सेकता है, वो रोटियों से खेलता है। वो आदमी कौन है, मेरे देश की संसद मौन है। तो जो आदमी रोटियों से खेलता है उसकी ताकत और उसके पैसे के आगे सब झुकते हैं। वही दुनिया चलाते हैं। देश, दुनिया, युद्ध, शांति सुख दुख जीवन मरण सब उनके हाथ में है। वो सर्वशक्तिमान हैं। दुनिया उनसे चलती है।

तो उस बड़े आदमी के पास कितना पैसा होगा ? बड़े भालेपन से उसने पूछा। डोरीलाल ने कहा कि जिनकी बात में कर रहा हूं वो कोई एक आदमी नहीं है। वो एक वर्ग है। काम करने वाले अपनी मेहनत का पूरा पैसा चाहते हैं। और काम करवाने वाले कम से कम देकर अपने मुनाफे को बढ़ाना चाहते हैं। सारा झगड़ा यहीं हैं। मेहनत का पैसा और मुनाफे का पैसा। मुनाफा कमाने वाले चाहते हैं कि इस पृथ्वी पर जो लोग हैं वो उनके लिए मुनाफा कमा कर दें नहीं तो मर जाएं। मेहनत करने वालों के पास अपनी मेहनत को बेचने के अलावा कुछ नहीं है। वो जब तब उठ खड़े होते हैं। अपनी मेहनत का पैसा मांगते हैं। जीवन जीने का अधिकार मांगते हैं। लड़ते हैं, हारते हैं। मेहनत करने वालों के पास हारने का लंबा इतिहास है। हर हार के बाद वो कुछ आगे बढ़ जाते हैं। वो लड़कर, मर कर, हार कर फिर जीवित हो जाते हैं। यही लड़ाई चलती रहती है। और दुनिया भी चलती रहती है।
जैसे पहले राजा होते थे वैसे ही आज लोकतंत्र के राजा हैं। तुम इनकी प्रजा हो। राजा प्रजा के वोट बनते हैं। राजा हारते जीतते हैं। प्रजा इस मुगालते में रखी जाती है कि वो राजा चुनती है। हर राजा से प्रजा शांति सुख समृद्धि की उम्मीद करती है। हर राजा प्रजा से देश के लिए त्याग और बलिदान की उम्मीद करता है।
बंदा भड़क गया। मैं आपके पास ज्ञान लेने आया था। और आप मुझे ये राजा प्रजा क्या क्या बता रहे हैं? आप मुझे बेवकूफ समझते हैं ? जब से अंड बंड समझाए जा रहे हो। अरे इन बातों का हमारी समस्याओं से क्या संबंध ? मेहनत से दिन रात खटकर कमाने वालों की परेशानी का हल क्या है? हमारे हाथ में क्या है बताओ ? हम तो केवल राजा ही बदल सकते हैं न ? हर राजा कहता है कि हम तुम्हारे अच्छे दिन ला देंगे। हम किसे चुनें ?
डोरीलाल को अच्छा लगा कि इस बंदे को गुस्सा तो आया। बहुत दिनों बाद किसी को गुस्सा होते देखा। मैंने कहा ये गुस्सा बनाए रखो। प्रजा पहले अपना दुश्मन तो पहचान ले। वो कोई आसान काम नहीं है। प्रजा राजा चुने उसके पहले एक और चुनाव होता है जिसमें मुनाफा कमाने वाले एक आदमी चुनते हैं जो प्रजा के लिए राजा बने और उनका मुनाफा बढ़ाये। जो राजा होने का बढिय़ा अभिनय करता है, तरह तरह की कॉस्ट्यूम पहनकर दिखाता है, तरह तरह के मेकअप करता है, बढिय़ा डायलॉग बोलता है। बोलते बोलते रो पड़ता है। ऐसे अभिनेता को मैदान में उतारा जाता है। वो चुनाव जीतता है। राज करता है।
अब समझ में आया दुनिया कैसे चलती है ?
डोरीलाल दुनियाप्रेमी

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