प्रदेश में 6 फरवरी से डॉक्टर नहीं करेंगे काम: संपर्क यात्रा में 200 डॉक्टरों ने भरी हुंकार, शासन पर भेदभाव का लगाया आरोप
जबलपुर, यशभारत। प्रदेश में 6 फरवरी से डॉक्टर हड़ताल पर जा सकते इसका ऐलान चिकित्सक संपर्क यात्रा के दौरान करीब 200 डॉक्टरों ने जबलपुर में किया है। 27 जनवरी से शुरू हुई चिकित्सक संपर्क यात्रा सोमवार रात जबलपुर पहुंची। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंची यात्रा का चिकित्सा शिक्षकों ने स्वागत किया। जिसके बाद मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की बैठक छात्रावास में आयोजित की गई। बैठक में चिकित्सक संपर्क यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। तत्पश्चात मांगों को लेकर चिकित्सा शिक्षकों ने रैली निकाली। मेडिकल के प्रवेश द्वारा से शुरू हुई रैली ने तिलवारा व भेड़ाघाट मार्ग पर भ्रमण किया।
विभिन्न संगठनों के 200 चिकित्सकों की उपस्थिति में शासन के भेदभाव एवं विसंगति पूर्ण दमनकारी आदेशों के प्रति विरोध दर्ज कराया गया। बैठक में यह तय किया गया कि यदि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो चिकित्सा शिक्षकों को हड़ताल के लिए बाध्य होना पड़ेगा। मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के पदाधिकारियों द्वारा 27 जनवरी से पांच फरवरी तक समूचे प्रदेश में चिकित्सक संपर्क यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। तीन सूत्रीय मांगों को लेकर शासन के अधिकारियों एवं विभागीय मंत्रियों से वार्ता विफल होने के कारण यात्रा प्रारंभ की गई। पांच फरवरी तक मांगें पूरी न होने पर प्रदेश के समस्त चिकित्सक महासंघ के बैनर तले छह फरवरी से प्रदेशव्यापी चिकित्सीय कार्यबंद आंदोलन करेंगे।
इन मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन
1. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, बिहार सरकार एवं अन्य राज्यों द्वारा चिकित्सकों के लिए लागू की गई डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम (डीएसीपी) को आधार बनाकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम, गृह एवं गैस राहत विभाग में कार्यरत समस्त चिकित्सकों के लिए ग्रेड पे 10,000 तक उन्नयन के निश्चित अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
2. पुरानी पेंशन योजना पुन: प्रदेश में एक जनवरी 2005 के बाद नियुक्त अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए लागू की जानी चाहिए। पुरानी पेंशन स्कीम अधिकारियों व कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम एवं गृह विभाग में कार्यरत समस्त चिकित्सकों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को बंद कर ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू किया जाना चाहिए।
3. चिकित्सीय त्रएवं अस्पताल प्रबंधन एक तकनीकी कार्य है। जो देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में मेडिकल टेक्नोक्रेटस (डाक्टर्स) द्वारा ही किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी यह ही मंशा है कि इन कार्यों में प्रशासनिक अधिकारियों की दखलअंदाजी न हो। वर्तमान में प्रदेश के गरिमामयी चिकित्सा संस्थानों एवं प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्थाओं के पतन का मुख्य कारण प्रशासनिक दखलंदाजी है। इस पर रोक लगाई जाए।