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जबलपुर के बड़े अस्पतालों पर निगम का डंडा: विक्टोरिया और एल्गिन में गंदगी-अव्यवस्था पर लगा भारी जुर्माना

जबलपुर,: जबलपुर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम ने आज एक कड़ा संदेश दिया। नगर निगम के विशेष मजिस्ट्रेट अरुण कुमार ने शहर के दो प्रमुख शासकीय अस्पतालों – सेठ गोविंद दास (विक्टोरिया) जिला अस्पताल और रानी दुर्गावती (एल्गिन) अस्पताल – का अचानक दौरा किया। उनके चलित न्यायालय के माध्यम से किए गए इस औचक निरीक्षण में दोनों ही अस्पतालों में व्यापक गंदगी और अव्यवस्था का बोलबाला मिला, जिसके बाद हर अस्पताल पर 4,000 रुपये का तत्काल जुर्माना (स्पॉट फाइन) ठोंका गया। यह कार्रवाई उन अस्पतालों के लिए एक चेतावनी है, जिनकी जिम्मेदारी मरीजों को साफ और सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना है।

रसोई से लेकर वार्ड तक, हर जगह लापरवाही

विशेष मजिस्ट्रेट अरुण कुमार ने अपनी टीम के साथ अस्पतालों के हर कोने का बारीकी से मुआयना किया। उन्होंने रसोई घर में जहां खाने की तैयारी होती है, वहीं स्टोर रूम और जनरल वार्ड तक का जायजा लिया। चौंकाने वाली बात यह थी कि इन सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर अत्यधिक गंदगी और अव्यवस्था पाई गई। अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की लापरवाही मरीजों और अस्पताल स्टाफ दोनों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। यह स्वच्छता मानकों का सीधा उल्लंघन है, जो स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बेहद जरूरी हैं।

उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में हुई कार्रवाई

इस महत्वपूर्ण कार्रवाई के दौरान, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजय मिश्रा भी मौके पर मौजूद रहे। उनके साथ नगर निगम कोर्ट के अधिकारी क्रांति समद, अमितकांत दुबे, अजय कुमार सिंह, रजनीश शर्मा, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी पोला राव, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक संतोष गौर, हर्षा पटेल और सौरभ तिवारी भी उपस्थित थे। इन अधिकारियों की मौजूदगी में हुए इस निरीक्षण और जुर्माने ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन अब स्वास्थ्य सुविधाओं में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा।

स्वच्छता मिशन को मजबूत करने की पहल

यह कार्रवाई नगर निगम के शहरी स्वास्थ्य सेवाओं में स्वच्छता और व्यवस्था बनाए रखने के बड़े अभियान का हिस्सा है। नगर निगम का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शहर के सभी सार्वजनिक और निजी संस्थान स्वच्छता के उच्च मानकों का पालन करें, खासकर वे जहां सीधे तौर पर नागरिकों के स्वास्थ्य का सवाल जुड़ा हो। विशेष मजिस्ट्रेट के इस कदम से यह संदेश स्पष्ट है कि भविष्य में भी ऐसे औचक निरीक्षण जारी रहेंगे। इसका सीधा असर अस्पतालों की साफ-सफाई और सेवाओं में सुधार पर पड़ेगा, जिससे अंततः आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

यह घटना उन सभी संस्थानों के लिए एक चेतावनी है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हैं। क्या आपको लगता है कि इस तरह की कार्रवाइयाँ अस्पतालों में स्थायी सुधार लाने में सफल होंगी?

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