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शराब दुकानों के रिनूवल में ठेकेदारों ने नहीं दिखाई कोई रुचि, निकल गई तारीख, नहीं ले गए एक भी फॉर्म

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जबलपुर। यश भारत। जैसी की पहले ही यह संभावना जताई जा रही थी कि वर्ष 2025 – 26 के लिए शराब दुकानों का रिन्यूवल कराने में ठेकेदारों को कोई रुचि नहीं है और वे नई शराब नीति को लेकर कुछ खास उत्साहित नजर नहीं आ रहे ठीक वैसा ही हुआ। नये सत्र के लिए शराब दुकानों के रिन्यूवल के लिए अंतिम तिथि 21 फरवरी निर्धारित की गई थी लेकिन यह तिथि बीतने के बाद भी एक भी ठेकेदार दुकानों के रिन्यूवल के लिए सामने नहीं आया। सूत्रों की मांने तो वर्तमान में शराब दुकान संचालित करने वाले ठेकेदार कहीं ना कहीं इसके लिए नई आबकारी नीति और आबकारी विभाग के उदासीन रवैया को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। ठेकेदारों का मानना है कि नई शराब नीति में 20% अधिक राजस्व देकर दुकान को रेनुवल कराया जा सकता था लेकिन ठेकेदारों की नजर में यह घाटे का सौदा है। इसीलिए कोई भी ठेकेदार दुकानों के रेनुवल कराने के लिए आगे नहीं आया।

अब अगली प्रक्रिया लाटरी के जरिए दुकानों के आवंटन की होगी लेकिन ज्यादातर ठेकेदारों का मानना है कि यह प्रक्रिया भी रिनूवल की तरह फ्लॉप हो जाएगी। इसके बाद एक बार फिर गैंद शासन और आबकारी विभाग के पाले मैं चली जाएगी। सूत्रों की माने तो लॉटरी प्रक्रिया के लिए 27 फरवरी तक का समय निर्धारित किया गया है इसके बाद ही आगे की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

आबकारी विभाग की नाकामी भी आई सामने

सूत्रों की माने तो तो पिछले सत्र में जिन ठेकेदारों ने शराब दुकाने ली थी उनमें से ज्यादातर ठेकेदारों को घाटा उठाना पड़ा इसके पीछे कहीं ना कहीं आबकारी विभाग और इसके अधिकारी ही जिम्मेदार हैं। जिले में जगह-जगह बिकने वाली कच्ची शराब और दूसरे जिलों से आने वाली अवैध शराब की बिक्री को रोकने में आबकारी विभाग पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है और इसी के परिणाम स्वरूप ठेकेदारों को घाटा उठाना पड़ा। अवैध रूप से बिकने वाली शराब और गली बस्तियों में बिकने वाली कच्ची शराब की जानकारी समय-समय पर ठेकेदारों के द्वारा आबकारी विभाग को दी जाती रही लेकिन इसमें लगाम कसने मैं आबकारी विभाग पूरी तरह से विफल साबित हुआ है और इसका खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ा। ठेकेदारों ने एक साल तो किसी तरह घाटा उठाकर काट लिया लेकिन नयी आबकारी नीति में 20% बढ़कर दुकान रेनूवल की शर्त पूरी करपाने में ठेकेदार खुद को विवश पा रहे हैं।

जिले में संचालित हैं 145 दुकाने

यदि जबलपुर जिले में शराब दुकानों की बात की जाए तो पूरे जिले में करीब 145 शराब दुकान संचालित हो रही हैं जो की अलग-अलग समूहों में ठेकेदारों के द्वारा संचालित की जा रही हैं सभी दुकान कंपोजिट दुकान हैं। जिनमे देसी विदेशी दोनों तरह की शराब बेचने की सुविधा है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इनमें से एक भी समूह का ठेकेदार 20% अधिक राजस्व देकर दुकान लेने के पक्ष में नजर नहीं आया। जानकार सूत्रों की मांने तो नई शराब नीति में शासन ने राजस्व बढ़ाने के लिए जो शर्तें निर्धारित की हैं उसे आबकारी विभाग की उदासीनता के कारण ही पलीता लग रहा है।

विभाग का पूरा फोकस था रेनुवल पर

मध्य प्रदेश शासन के द्वारा वर्ष 2025 —26 के लिए जो आबकारी नीति निर्धारित की गई है उसके तहत शासन और आबकारी विभाग का पूरा फोकस इस बात पर था कि ज्यादा से ज्यादा दुकानों का रेनुवल हो जाए लेकिन जबलपुर में यह संभव होता दिखाई नहीं दिया। इसके लिए आबकारी नीति में जो प्रावधान किया गया था कि यदि 80% दुकान रेनुवल पर चली जाती है तो तू बेहतर होगा, लेकिन पहले ही चरण में इस प्रावधान को जबलपुर में पलीता लग गया और अब उम्मीद लॉटरी सिस्टम के जरिए दुकानों के आवंटन से की जा रही है अब देखना यह बाकी है कि 27 तारीख को क्या होता है।

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