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कार्यकारिणी बिना चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस जिम्मेदारी मिलने के इंतजार में साल भर से बैठे कार्यकर्ता

जबलपुर यश भारत। कांग्रेस में जैसा चलता रहा है वैसे ही चलते जाने की परपाटी सुधरने का नाम नहीं ले रही है। विधानसभा चुनाव नजदीक आने के बाद भी कांग्रेस अपने उसी ढर्रे पर चल रही है जैसे वह पिछले कई सालों से चल रही है । आलम यह है कि कांग्रेस पार्टी को नया नगर अध्यक्ष मिले साल भर का समय बीत गया है उसके बाद भी अध्यक्ष की अपनी कोई कार्यकारिणी नहीं है। गाहे-बगाहे जब तब चर्चाओं का बाजार गर्व होता रहता है कि बस कुछ ही दिनों में कार्यकारिणी की घोषणा होने वाली है लेकिन कार्यकारिणी की घोषणा को नहीं पाती । अब जबकि चुनाव सर पर आकर खड़े हो गए हो ऐसे में भी कार्यकारिणी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही और कार्यकर्ताओं का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

ऐसे में सवाल उठता है कि नगर अध्यक्ष कैसे अपने सिपहसालार के बिना चुनावी जंग में उतरेंगे और कांग्रेस को सफलता दिलाएंगे। वैसे तो नगर अध्यक्ष की घोषणा भी सालों के इंतजार के बाद हुई थी जब पूर्व नगर अध्यक्ष द्वारा कई बार पद छोडऩे की गुजारिश शीर्ष नेतृत्व से की गई थी उसके लंबे समय बाद नया अध्यक्ष बनाया गया था। जैसे-जैसे अध्यक्ष तो बन गया लेकिन कार्यकारिणी के लिए संगठन के पास कोई समय नहीं है। इस हीला हवाली के चलते संगठनात्मक कार्यों में तेजी नहीं आ रही है । वर्तमान में जो कांग्रेस की सक्रियता दिख रही है वह जनप्रतिनिधियों के व्यक्तिगत कार्यक्रम और टिकट के दावेदारों के शक्ति प्रदर्शन से दिख रही है। ऐसे में चुनावों के समय पार्टी अलग-अलग हेमा खेमो और अलग-अलग गुटों में बटी हुई नजर आ रही है। हालांकि यह बात कांग्रेस के लिए कोई नई नहीं है। लेकिन यदि पार्टी पुरानी परपाटी पर चलेगी तो परिणाम भी पुराने ही होंगे। यदि परिणामों में नयापन लाना है पार्टी को अपनी कार्यशैली में परिवर्तन लाते हुए संगठन में भी नयापन लाना होगा।

पार्टी के वर्तमान नगर अध्यक्ष के पास महापौर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी है। ऐसे में कार्यकारिणी का महत्व बढ़ जाता है। पहले कार्यकारिणी की घोषणा गुटबाजी को रोकने के चलते रोक दी गई थी । लेकिन बिना कार्यकारिणी के अब पूरी पार्टी ही पब्लिक लिमिटेड पार्टी की तरह व्यवहार कर रही है। सभी अपनी-अपनी ढपली अपने-अपने राख पर राजनीति के तराने छेड़ रहे है। ऐसे में जल्द से जल्द कार्यकारिणी घोषित नहीं की गई अपनी पुरानी परंपरा अनुसार इस बार भी कांग्रेस का प्रत्याशी अपना चुनाव खुद लड़ेगा और पार्टी मूक दर्शक बनी देखती रहेगी।

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