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हाई कोर्ट ने कहा 6 पुलिस वालों पर दर्ज हो FIR: अदालत खर्च के1लाख20हजार रुपये एक माह में जमा करे

हाई कोर्ट ने कहा 6 पुलिस वालों पर दर्ज हो FIR: अदालत खर्च के1लाख20हजार रुपये एक माह में जमा करे

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जबलपुर यशभारत।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) ने अनूपपुर के भालूमाड़ा थाने के टीआई समेत 6 पुलिसवालों पर एफआईआर के आदेश दिए हैं। 2023 के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि इस थाने के पूरे स्टाफ का तबादला 900 किलोमीटर दूर किया जाए, जिससे ये लोग जांच प्रभावित न कर पाएं। अगर तीन महीने के आंदर आदेश का पालन नहीं होता है, तो डीजीपी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। टीआई समेत 6 पुलिसकर्मियों पर मोजर बेयर कंपनी के सुपरवाइजर के साथ मारपीट करने और झूठा केस बनाने का आरोप है।जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट ने आरोपी पुलिसकर्मियों से 1 लाख 20 हजार रुपए जुर्माना वसूल कर पीड़ित को दिलाने के लिए कहा

जिला अनूपपुर के भालूखेड़ा निवासी के साथ पुलिस द्वारा पिटाई अवैध पैसों की मांग और झूठी एफआईआर दर्ज करने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश जी एस अहुलवालिया ने पुलिस की पक्षपात पूर्ण कार्यवाही की आलोचना करते हुए मध्यप्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया कि एक माह के अंदर दोषी पुलिस अधिकारियों से न्यायालय के समय बर्बाद करने के लिए एक लाख बीस हजार रुपए जमा करे।

मामला इस प्रकार है कि याचिकाकर्ताअखिलेश के वकील द्वारा बताया गया है कि याचिकाकर्ता को 17 सितंबर2023 को पुलिस स्टेशन भालूमाड़ा, जिला अनूपपुर के अंदर पुलिस अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और बुरी तरह से पीटा गया और उसे दूसरे दिन सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस देने के 12 घंटे बाद रिहा कर दिया गया। इस प्रकार, यह याचिका पुलिस स्टेशन भालूमाड़ा जिला अनूपपुर में पुलिस अत्याचार के खिलाफ है। बताया गया कि घटना के दिन ग्रामीणों ने उस कंपनी के ट्रकों की आवाजाही रोक दी थी।जहां याचिकाकर्ता सुपरवाइजर काकाम कर रहा था। याचिकाकर्ता का दावा है कि चूंकि वह कंपनी का प्रभारी था, इसलिए वह उस स्थान पर भी गया जहां पुलिस का सिपाही  पहले से मौजूद था।  याचिकाकर्ता ने उस से मामले के बारे में पूछा, तो उस ने 5,000/- रुपये की अवैध रिश्वत की मांग की।  याचिकाकर्ता क्रोधित हो गया और प्रतिवादी सिपाही पर चिल्लाया। इसके जवाब में, प्रतिवादी की पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस स्टेशन के सभी कर्मचारी मौके पर पहुंचे और याचिकाकर्ता को  पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उसे  बांस की छड़ी के साथ एक कमरे में ले जाया गया। यह दावा किया जाता है कि उक्त कमरे में कोई सीसीटीवी कैमरा नकोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था। याचिकाकर्ता की बेरहमी से पिटाई की गई। इसके बाद एक साजिश रची और याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई।

इस प्रताड़ना के खिलाफ एसपी को शिकायत की।सुनवाई न होने पर स्मरण पत्र लिखा।लेकिन उसके बाद भी सुनवाई न होने पर न्यायालय की शरण ली।याचिका कर्ता की ओर पैरवीअभिषेक पांडे ने की।

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