पांच जिलों में देख रहे चावल की क्वालिटी
सहकारी समिति, वेयरहाउस,FPO, स्वा सहायता समूह को किया ब्लैकलिस्टेड क्वालिटी कंट्रोल करने वाली कंपनी पर मेहरबानी

जबलपुर, यश भारत। जिले में मूंग उपार्जन को लेकर किस तरह की हेरा फेरी हुई है वह जग जाहिर है। उसको लेकर जो प्रदेश स्तरीय टीम गठित की गई थी उसकी रिपोर्ट सामने आ गई है। लेकिन उसकी रिपोर्ट में भी गोलमाल देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में जांच टीम द्वारा सेवा सहकारी समिति, वेयरहाउस मालिक, एफपीओ, स्वसहायता समूह और क्वालिटी कंट्रोल करने वाले सर्वेयरों को दोषी माना है। इसके बाद उनके खिलाफ स्नढ्ढक्र के आदेश दिए हैं। साथ ही साथ सभी को ब्लैकलिस्टेड करने की भी कार्रवाई की गई है। लेकिन इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्वालिटी कंट्रोल करने वाली कंपनी एनबीएचसी याने नेशनल वर्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन को ब्लैकलिस्टेड क्यों नहीं किया गया।
मूंग की गुणवत्ता को लेकर नेशनल वल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन के 7 कर्मचारी पर एफआईआर के आदेश दिए गए हैं। जो मूंग के आठ उपार्जन केंद्रों पर गुणवत्ता निरीक्षण की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। जिसमें सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह है कि करोड़ों रुपए की मूंग की क्वालिटी में हेरा फेरी की आरोपी कंपनी के पास ही जबलपुर सहित पांच जिलों में चावल की गुणवत्ता देखने की जिम्मेदारी प्रशासन द्वारा दी गई है। जानकारी के मुताबिक नेशनल वल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन जबलपुर, कटनी, मंडला, सिवनी, बालाघाट में नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा जमा किए गए चावल की गुणवत्ता देखती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त कंपनी के जिन सात कर्मचारियों पर स्नढ्ढक्र के आदेश दिए गए हैं उनमें से कुछ जबलपुर सहित अन्य जिलों में चावल की गुणवत्ता का काम भी देखते थे। इन जिलों में नए – पुराने चावल को लेकर केमिकल टेस्टिंग में एक बड़ा खेल सामने आने वाला है, जिसका खुलासा जल्द ही होगा।
बदल गई कंपनी, कर्मचारी वही
जबलपुर जिले सहित अन्य जिलों में नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन के पहले बी आर एसोसिएट नाम की कंपनी के पास चावल की गुणवत्ता की जिम्मेदारी थी। सासन द्वारा कंपनी तो बदल दी गई लेकिन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी जस के तस बने हुए हैं। इस पूरे मामले में एक संदिग्ध युवक की जानकारी सामने आ रही है। जो मूंग उपार्जन के मामले में हर जगह देखा जाता था। हर बड़े अधिकारी की गाडिय़ों में घूमते दिखता था। लेकिन पूरे मामले में आधिकारिक रूप से उसका नाम कहीं भी सामने नहीं आया है। इसी तरह चावल की गुणवत्ता को लेकर उक्त युवक हर केंद्र पर अपनी मौजूदगी दर्ज करता रहता है। जिले के बाहर भी वह चावल की गुणवत्ता को लेकर नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की गाडिय़ों में घूमते दिखता है। कुछ सीएमआर केंद्रों पर उसके नाम से बनाई गई आईडी से चावल भी पास होता है लेकिन आधिकारिक रूप से वह से युवक कभी भी सामने नहीं आता । लेकिन अधिकारियों के साथ उसका याराना पुरानी कंपनी के दौर से चल रहा है । कंपनी बदल गई लेकिन व्यवस्थाएं अभी भी वही बनी हुई है।