खिलवाड़ : अपना भविष्य बनाने रंगमंच के भवन में पढ़ने विवश हैं नौनिहाल
- 2 वर्ष से जर्जर है स्कूल का भवन, पहले के पहले से पांचवी तक के बच्चे कभी खुले आसमान के नीचे तो कभी वर्षों के नीचे बैठकर कर रहे पढ़ाई

मंडला यश भारत| हम सब अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, फौजी, पायलट, कलेक्टर बनाने का सपना देखते है, यदि ये सपनें टूट जाए तो बच्चे इन सपनों को कैसे पूरा कर सकते है। आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला का एक ऐसा ही गांव है, जहां कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चे शाला भवन में नहीं एक रंगमंच में अपना भविष्य बनाने पढ़ने के लिए आते है, लेकिन यह रंगमंच भी इनके भविष्य के लिए खतरा है। ऐसे में कैसे बच्चे अपने माता पिता का सपना पूरा कर सकते है। यह प्रश्न चिन्ह जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठता है। विकास कार्य के ढोल पीटने के साथ अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य का दावा किया जाता है, लेकिन मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर सूरजपुरा ग्राम पंचायत के बुजबुजिया ग्राम में इसकी बानगी स्पष्ट देखी जा सकती है।
जानकारी अनुसार आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में बेहतर शिक्षा के लिए शासन, प्रशासन द्वारा अभियान चलाने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता का भी अवलोकन किया जाता है। लेकिन जर्जर शाला भवनों पर जिला प्रशासन की निगाहें नहीं जाती है। इन जर्जर भवनों से मासूम बच्चों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। यदि कोई अनहोनी हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। हम बात कर रहे है जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम बुजबुजिया की। जहां शाला भवन जर्जर हो चुका है, जिसके कारण शासकीय प्राथमिक शाला बुजबुजिया के शिक्षक बच्चों को कभी खुले आसमान के नीचे, तो कभी पेड़ के नीचे और मौसम खराब हुआ तो ग्राम में बने रंगमंच में बैठाकर पढ़ाई करा रहे है। शिक्षकों का कहना है कि शाला भवन जर्जर हो चुका है।
कभी भी कोई हादसा हो सकता है, जिसके कारण शाला भवन में कक्षाएं नहीं लगाते है। अतिरिक्त भवन की व्यवस्था नहीं होने के कारण कक्षाएं रंगमंच में संचालित करनी पड़ रही है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारी को नहीं है, लेकिन आज दिनांक तक शाला भवन के सुधार कार्य की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते जिले के ग्रामीण अंचल में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला बुजबुजिया में पढऩे वाले नौनिहाल मासूम बच्चे रंगमंच में बैठकर अपना भविष्य गढऩे को मजबूर है।
लगभग 2 वर्ष पहले यह भवन जर्जर हो गया था, इस स्कूल भवन की मरम्मत की मांग भी की गई थी, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सूरजपुरा ग्राम पंचायत के बुजबुजिया गांव में दो साल से प्राथमिक स्कूल कभी रंगमंच पर तो कभी पेड़ के नीचे संचालित हो रहा है। वहीं प्राथमिक शाला की कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चों की कक्षाएं अलग-अलग नहीं बल्कि एक साथ ही संचालित हो रही है। शासकीय प्राथमिक शाला में पहली से पांचवी कक्षा तक की पढाई होती है। स्कूल भवन जर्जर होने के कारण गांव के ही एक छोटे से रंगमंच में पेड़ के नीचे कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चों की पढाई होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के भविष्य के साथ किस प्रकार खिलवाड़ संबंधित विभाग कर रहा है।