जबलपुरमध्य प्रदेश

2 अरब तक पहुंचा काली कमाई का ट्रांजेक्शन, अंतर्राज्यीय ऑनलाईन फर्जी बैंक खातों के सिंडीकेट का मामला

जबलपुर, यश भारत। अंतर्राज्यीय ऑनलाईन फर्जी बैंक खातों का सिंडीकेट का भंड़ाफोड़ होने के बाद पुलिस जांच में नित नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे है। खातों में हुए अनाधिकृत लेनदेन का जैसे-जैसे डाटा तैयार हो रहा है वैसे-वैसे काली कमाई की रकम भी बढ़ती जा रही है। अब तक करीब दो अरब से अधिक का लेनदेन पुलिस के हाथ लग चुका है।  खातों में हुए अनाधिकृत लेनदेन का डाटा देख पुलिस भी दंग रह गई है।
हजारों खाते जिसमें हुआ अनाधिकृत लेनदेन
पुलिस की जांच अब हजारों खातों तक जा पहुंची है जिसमें अनाधिकृत लेनदेन हुआ है। जैसे-जैसे जांच के दायरे मेें खाते आते जा रहे है वैसे-वैसे पुलिस जांच के दायरे में आ रहे खातों में हुए लेनदेन का ब्यौरा तैयार कर रही है। खातों में कितनी रकम आई और कितनी रकम ट्रांसफर की गई इसके अलावा रकम कहां से आई है और किस खाते में भेजी गई है समेत अन्य बिन्दुओं पर डाटा तैयार हो रहा है।
कई राज्यों में फैला है नेटवर्क
मप्र में पहली बार अंतर्राज्यीय ऑनलाईन फर्जी बैंक खातों के सिंडीकेट का जबलपुर पुलिस द्वारा भंड़ाफोड़ किया गया था। जिसके बाद जब जांच का दायरा बढ़ा तो प्रकरण के तार जामताड़ा झारखण्ड एवं छग के बाद अब मुंबई और दिल्ली से जुड़ चुके है। पुलिस भी पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच आगे बढ़ा रही है जिसमें और भी बड़े खुलासे हो सकते है।
करोड़ों के ट्रांजेक्शन बाद खाता शून्य
पुलिस को हर खाते मेें तीन से चार करोड़ का ट्रांजेक्शन मिल रहा है। इसके अलावा अधिकांश खाते ऐसे भी मिले है जिसमें करोड़ों का ट्रांजेक्शन तो जरूर मिला है लेकिन ट्रांजेक्शन के बाद खाता शून्य कर दिया गया।
कौन है मास्टरमाइंड  
ऑन लाईन फ्रॉड एवं फर्जी बैंक खातों में अनाधिकृत लेनदेन मामले में अब तक  कुंडम, हनुमानताल,  गोराबाजार, बेलबाग थाने में   एफआईआर दर्ज हो चुकी है। प्रकरणों में कई आरोपियों की भी गिरफ्तारियां भी हो चुकी है और  कई अब भी फरार है लेकिन इस धंधे का मास्टरमाइंड कौन है इस राज से अब तक पर्दा नहीं उठा है।
ऐसे चल रहा काली कमाई का धंधा
गिरोह के सरगना अपने साथियों की मद्द से पहले लोगों को लाखों का लोन दिलाने, निवेश के नाम पर लाखों रूपए कमाने का लालच देकर खाता खुलवाते थे और एडीएम, चैक बुक समेत बैंक किट खुद रख लेते थे जिसके बाद खातों को सरगनाओं को 5 से 16 हजार रूपए में बेच देते है। जिसके बाद सरगना खातों में करोड़ों का अनाधिकृत लेनदेन करते है।

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