भारत में नए घरेलू क्रिकेट सीजन की 11 अक्टूबर (शुक्रवार) को रणजी ट्रॉफी के पहले राउंड से शुरुआत हो गई। इससे पहले, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट के प्लेइंग कंडीशंस (खेल के नियमों) में कुछ बड़े और अहम बदलाव किए हैं। नियमों में हुए बदलाव का असर खेल के कई पहलूओं पर होगा। इसमें पारी के बीच में रिटायर्ड हर्ट होना, बॉल टेम्परिंग, बाउंड्री स्कोरिंग शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर कोई बैटर बीमारी, चोट के अलावा किसी और कारण से पारी के बीच में रिटायर होता है तो उसे तुरंत आउट मान लिया जाएगा। इसका मतलब साफ है कि फिर वो बैटर दोबारा बैटिंग के लिए नहीं उतर सकेगा। फिर भले ही विपक्षी टीम के कप्तान को लेकर कोई आपत्ति न हो। ये नियम सभी मल्टी डे टूर्नामेंट (रणजी ट्रॉफी) और लिमिटेड ओवर टूर्नामेंट पर लागू होंगे।
स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के साथ शेयर किए गए बीसीसीआई के आदेश में साफ कहा गया है, “चोट, बीमारी या अपरिहार्य कारण के अलावा किसी भी वजह से रिटायर होने वाले बल्लेबाज… को रिटायरमेंट पर फौरन आउट माना जाएगा और विरोधी कप्तान की सहमति के बावजूद भी उसे दोबारा बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिलेगा।” बीसीसीआई ने ये भी कहा है कि ये नियम सुपर ओवर होने की सूरत में भी लागू होगा।
गेंद पर लार या थूक लगाने पर भी सख्ती
बॉल टैम्परिंग को रोकने के लिए बीसीसीआई ने गेंद पर लार या थूक लगाने पर गेंद को बदलना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा, उल्लंघन के लिए जिम्मेदार टीम को दंडित किया जाएगा। पहले अगर कोई टीम गेंद पर सलाइवा लगाती थी तो उस पर जुर्माना लगता था। लेकिन अब जुर्माना तो लगेगा ही साथ ही गेंद को भी फौरन बदल दिया जाएगा।
रन रोकने के लिए भी नए नियम
बीसीसीआई ने रन रोकने के नियम में भी बदलाव किए हैं। नए संशोधित नियम में ये कहा गया है कि अगर बैटर एक रन लेने के बाद रुक जाता है और ओवरथ्रो के बाद एकदूसरे को क्रॉस से पहले गेंद बाउंड्री के पार चली जाती है तो स्कोर में केवल 4 रन ही जुड़ेंगे। पहले बैटर द्वारा दौड़कर लिए गए रन और ओवरथ्रो के रन दोनों बैटर के खाते में जोड़े जाते थे।