Bail in appeal period लोअर कोर्ट में सजा के बाद भी दोषसिद्ध व्यक्ति को छोड़ा जा सकता जमानत पर जाने पूरी डिटेल्स
सजा के बाद जमानत को ऐसे करे
आपको बता देते है की आगे कोई भी आपराधिक मामला कोर्ट मे चलाया जा रहा होता है तो उसका निराकरण अंत में होता है जिसमे की आरोपी को सजा सुनाई जाती है और कुछ दंड भी दिया जाता है,इस प्रकार किसी भी मामले को सजा सुनकर ही खत्म किया जाता है और आरोपी को बरी किया जाता है। जी हां अगर आरोपी को बरी किया जाता है, तो उसमे वह केस चलते तक के अपील पिरिअड खतम होने तक आरोपी को जमानत देना पड़ता है। और कुछ उसी प्रकार से आरोपी को सजा सुनाकर उसे निचली अदालत में जमानत दे दी जाती है उसको अपील किया जाता है।जैसे की अगर तीन साल तक और उसे भी कम शिक्षा होने पर जमानत दे कर सजा को अपील के बाद में सस्पेंड भी किया जाता है।
आपको जानकारी के लिए बता देते है की अपील के बाद में सजा को कैसे सस्पेंड किया जाता है। तब भी कोई मामला आपराधिक सामने आता है तो उसमे ट्रायल पूरा होने के बाद ही आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता हैं, नहीं तो फिर उस आरोपी को बरी कर दिया जाता है।जी हां अब आरोपी को दोषी ठहराने के बाद में ,उस आरोपी को ऊपर की अदालत में अपील दाखिल करने तक का ऑप्शन दिया जाता है। जिसमे दर्मीयान आरोपी को कोर्ट द्वारा दोषी करार करने पर ऊपरी अदालत में अपील दायर करने तक की सभी प्रोसेस पूरी की जाती है।
दोषी करार देना और सजा सुनाना क्या एक ही तारीख में होता है
आपको आपकी जानकारी के लिए बता रहे है की क्या दोषी करार देना और सजा का ऐलान एक ही तारीख में होता है तो आज हम आपको इस पर बता रहे है बहुत से लोगों को ये भ्रम रहता है, अगर जिस दिन आरोपी को दोषी करार किया जाता है तो उसी दिन उसे सजा भी हो जाती है,जी नहीं यह गलत है। इसमें अधिकतर तो मामलो में, दोषी करार करने के बाद में सजा पर बहस करने के लिए एक अगली तारीख आपको दी जाती है।
सजा सुनाने से संबंधित कानूनी प्रावधान
आपको आज हम सजा सुनाने वाले कानूनों के बारे में बता रहे है, इसमें सीआर.पी.सी. की धारा 235(2) में ऐसा बताया गया है की जब भी कोई आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है। तो मजिस्ट्रेट द्वारा ही वह आरोपी को सजा के बारे मे भी बताया जाता है। और आरोपी को उसके अधिकार के बारे मे समझाने के बाद में यह सजा सुनाई जाती है। जिससे की उस तारीख को अपराधी के वकील द्वारा अपराधी का पारिवारीक और सामाजिक, मेडिकल स्तिथि, क्रिमिनल बैकग्राउंड इत्यादि सभी की जानकारी को कोर्ट के सामने रखा जाता है।और गुहार लगाई जाती है कि अपराधी को कम से कम सजा सुनाई जाए।
अपील के लिए नए बेल बॉन्ड
इसमें अपील के लिए नए बेल बॉन्ड कैसे लिए जाते है, आइये हम यह समझते है। आपराधिक केस में फैसला सुनाने से पहले कोर्ट द्वारा सीआर.पी.सी. की धारा 437 क के तहत अपराधी से नए बेल बॉन्ड लिए जाते हैं। मतलब अपराधी द्वारा अपील में जाने के लिए दोबारा बेल के कागजात जमा भी कराये जाते है। जो की छह महीने तक के लिए होते है।
अपील के बाद में सजा सस्पेंड कराने की याचिका
सीआर.पी.सी. की धारा 389 मे अपील के बाद में अगर आरोपी को जमानत पर छोड़ा जाता है ,तो उसके प्रावधान दिया जाता है। ऐसा ये कानून भी कहता है। अगर अपील के लंबित रहने के बाद में अपीलीय अदालत को सजा के एग्जक्यूशन को निलंबित करने की शक्ती है। और अगर आरोपी को कारावास मे है, तो उसको रिहा भी किया जा सकता है।
आरोपी को 3 साल से कम की सजा सुनाई जाती है, जिसमे कि आरोपी बेल पर रहता है, सजा सुनाने वाले कोर्ट के सामने ही इस प्रावधान के तहत अपील में जाने के लिए सजा को सस्पेंड करने की याचिका लगाई जाती है। यह याचिका ज्यादातर मंजूर ही होती है।
कुछ कानूनी सुझाव दिए गए है
आपको जानकारी के लिए यह बता देते है की अगर आपको यह बेगुनाही का भरोसा है, तो आप निचली अदालत से ही दोषी करार अगर दे भी दिए जाते है तो इतना टेंशन नहीं लेना चाहिए।और कोशिश यह करना चहिये की वह आपको कम से कम की सजा देने में मजबूर हो जाये जी हां बहुत से बार तो ऐसा भी देखने में आता है की अगर जुर्म ऐसा है। जिसमें कोर्ट द्वारा बस जुर्माना भी लगाया जाता है,और आरोपी को मात्र जुरमाना भरने पर छोड़ दिया जाता है।
आपको जानकारी के लिए यह बता देते आपको ऐसा लग रहा है की सजा पर बहस वाले दिन आपको तीन साल से कम की सजा दी जा सकती है। तो आपने उसको सस्पेंड करने के लिए कोर्ट में फाइल भी कर सकते है। जिसमे ऐसा चेक बाउंस के केसों में सजा को सस्पेंड करने की याचिका देखने को मिलती है।