जबलपुर में बगैर मान्यता के चल रहे कई स्कूल
जबलपुर, यशभारत। शिक्षा विभाग की हिदायतों के बावजूद भी जबलपुर में कई ऐसे स्कूल हैं जो पिछले कई सालों से अपनी आर.टी.ई. की मान्यता ही रिन्यू नहीं करवा रहे और बिना मान्यता के ही 8वीं तक स्कूल चला रहे हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार कदम नहीं उठा रहा और गहरी नींद में सोये हुए हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अंधेरे में है। क्योंकि ऐसे स्कूलों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य स्टाफ ही नहीं है।
शिक्षा विभाग का काम सिर्फ आदेश जारी करने तक ही सीमित है। कहा जा रहा है कि शिक्षा विभाग हमेशा निजी स्कूलों को निर्देश जारी करता है कि आर.टी.ई. अधिनियम 2009 के तहत जिन स्कूलों की मान्यता समाप्त हो गई है वे तुरंत आवश्यक दस्तावेज अपलोड करके ई-एमपी पोर्टल पर मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन करें। इस संबंध में बताया गया है कि अगर कोई संचालक बिना मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किए स्कूल चला रहा है अथवा मान्यता रद्द होने के बाद भी स्कूल खुला रखता है तो उस पर अच्छा-खासा जुर्माना लगेगा और उल्लंघन जारी रहने की स्थिति में जितने दिनों तक उल्लंघन जारी रहेगा, जुर्माना प्रतिदिन तक बढ़ाया जा सकता है। विभाग ने कहा कि जिन स्कूलों पर ऑनलाइन आपत्तियां आई हैं उन्हें दूर करने की कार्रवाई करते हुए ई-पोर्टल पर फाइल दोबारा अपलोड की जाए। अगर कोई लापरवाही बरती गई तो विभाग की ओर से इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यदि स्कूलों द्वारा समय पर आवेदन नहीं किया जाता है तो इस संबंध में लापरवाही के लिए स्कूल प्रमुख जिम्मेदार होंगे।
बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
ऐसे गैर मान्यता प्राप्त स्कूल छात्रों के साथ शिक्षकों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। ये स्कूल शिक्षकों को कम वेतन पर रखते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर स्कूलों में कुछ भी उपलब्ध नहीं है। कई स्कूल तो ऐसे हैं जो किराए की बिल्डिंग अथवा किसी पुराने घर में चल रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ न तो ऐसे स्कूलों को विभाग के नियमों की कोई चिंता है और न ही आज तक विभाग द्वारा ऐसे स्कूलों पर कभी कोई प्रभावी कार्यवाही की गई है जिससे इस प्रथा को रोका जा सके। अब देखने वाली बात यह है कि पत्र जारी करने के बाद भी जिन स्कूलों ने मान्यता नहीं ली क्या उन पर कोई कार्यवाही होगी या नहीं?