व्यक्ति के व्यवहार और बदलाव में ज्योतिष और गृहों का रहता है खास प्रभाव
समय परिवर्तनशील है लगातार बदलता है यशभारत के संस्थापक पत्रकार आशीष शुक्ला की ज्योतिषाचार्य मनोहर वर्मा से चर्चा
यशभारत के जीवन ज्योतिष कार्यक्रम में ज्योतिषाचार्य पूर्व आईपीएस अधिकारी मनोज वर्मा से इस बार व्यक्तिों के स्वभाव में अचानक होने बदलाव, उनका व्यवहार और अपने मूल्य कर्तव्यों से हटने को लेकर ज्योतिष और गृहों का कितना प्रभाव रहता है इसको लेकर प्रश्न किया गया। यशभारत संस्थापक पत्रकार आशीष शुक्ला से चर्चा करते हुए ज्योतिषाचार्य मनोहर वर्मा ने कहा कि आमतौर पर हम देखते हैं की समय परिवर्तनशील है लगातार बदलता है जिस वक्त हमारा जन्म होता है उसे समय जो ग्रह नक्षत्र की स्थितियां होती हैं उन स्थितियों के आधार पर हमारा जो चारित्रिक स्वरूप है उसका निर्माण हो जाता है जिस वक्त हमारा जन्म हुआ उसे वक्त में लग्न क्या थी उसे समय में चंद्र कहां पर थे और उसे समय में जो बाकी के हमारे और प्लैनेट्स हैं ।
सूर्य मंगल बुध गुरु शुक्र शनि और जो छाया ग्रह राहु केतु यह कहां पर थे तो उसके आधार पर एक हमारी पूरी करैक्टेरिस्टिक्स जो है वह तय हो जाती है कि हम ऐसे रहेंगे इसलिए कुंडली देखकर के पता लग जाता है कि आदमी जो है आमतौर पर खुशमिजाज होगा अभी विरोधी किस्म का होगा या एकांत प्रिय होगा । बहुत ज्यादा ऊर्जा वाला होगा या बहुत ज्यादा जो है शिथिल होगा या बोलने में कुछ कटु होगा ,साफ दिल का होगा ,डिप्लोमेटो टाइप का होगा । देखने में कैसा होगा यह सारी चारित्रिक जो स्थितियां है उसे समय के आधार पर तय हो जाती है इस आधार पर यह तय हो जाता है कि यह आदमी जीवन में क्या करने वाला है कहां तक जाने वाला है।
भाग्य और कर्म दोनों ही महत्वपूर्ण हंै
ज्योतिषाचार्य मनोहर वर्मा ने कहा कि भाग्य और कर्म को लेकर आमतौर पर प्रश्न किए जाते हैं। बताना चाहूंगा अगर सब कुछ भाग्य ही है फिर कर्म क्या है । भाग्य और कर्म दोनों ही महत्वपूर्ण है यह ज्योतिष जो है एस्ट्रोलॉजी यह बिल्कुल यह नहीं कहती कि सब कुछ भाग्य है । इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे आपके पास एक गाय उसके लिए खूंटा गाड दिया गली में रस्सी बांध दी,। रस्सी बांधने के बाद यह उसे गाय के ऊपर है कि वह वहीं पर बैठी रहे या घूमती रहे। इतनी बड़ी रस्सी है तो तुम वहां तक जा सकते हो लेकिन अब तो वहां तक जाओगे या नहीं जाओगे यह तुम्हारा कर्म है। ठीक इसी तरह से होता है कि जब वह आपका जन्म हुआ कुंडली बनी तो तय हो गया कि आपके लिए यही योग है । उसके लिए आपको प्रयास करना होगा। अगर शेर जो है यह सोचकर रहा है कि कोई हिरण आ जाए जिससें उसका आहार कर लूं। ऐसा तो होता नहीं शेर को तो शिकार तो करना पड़ेगा।
तो कर्म का फल मिलेगा
किसी को कह दिया राजनीति में जाओगे तो राजनीति में आप चले गए अब राजनीति में कहां तक आगे बढ़ोगे की आप कितना कर्म कर रहे हो तो कर्म का फल मिलेगा तो यह दोनों चीज जो है मिलकर के एक दूसरे की पूरक है। व्यक्ति बदल जाता है यह इसलिए होता है कि जैसे-जैसे समय गुजरता है तो यह जो ग्रह नक्षत्र है यह ग्रह नक्षत्र सब लगातार भ्रमण कर रहे हैं घूम रहे हैं तो जब यह घूम रहे हैं तो इनके घूमने का जो प्रभाव है वह प्रभाव भी आपको महसूस होगा । अभी देखो धूप है, गर्मी है तो आप गर्मी महसूस कर रहे हो फिर आप जो है कभी आपको लगेगा रात हो गई तो फिर आप रात महसूस करोगे कभी रितु बदल जाएगी तो आपको जो है ठंडक महसूस होगी । समय के साथ यह परिवर्तन को रिप्रेजेंट करते हैं। जो गृह है आपकी क्वालिटी को रीप्रिजेंट करता है।
आपकी वाणी जो है वह निर्भर करती है बुद्ध
जैसे वाणी की बात है आपकी वाणी जो है वह निर्भर करती है बुद्ध। अगर बुध जो है वह अच्छी स्थिति में है अच्छे स्थिति में तो वाणी अच्छी होगी और अगर बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है तो फिर वाणी खराब हो जाएगी। जैसे आप खुश हो आप प्रसन्न हो तो आप किसी से बात करोगे तब अच्छी बात करोगे मुस्कुरा कर बात करोगे प्यार से बात करोगे वहीं पर अगर आप आक्रोशित हो गुस्से में हो कोई आपका नुकसान हो गया है । यह बुद्ध जो है यह जिस स्थिति में होते हैं समय के साथ स्थितियां बदलती हैं तो अगर वह कुछ ऐसी स्थिति में आए जो आपके लिए उपयुक्त नहीं है तो उसे समय में फिर आपकी वाणी भी थोड़ी सी खराब हो जाएगी अगर ठीक है तो सब अच्छा है वहां ही खराब है तो सब खराब है तो वह खराब हो जाएगा ।
इस कहानी से कुछ समझें
ज्योतिषाचार्य मनोहर वर्मा ने कहा कि इसी क्रम में एक छोटी सी कहानी आपको बताता हूं एक बार क्या हुआ कि एक पंडित जी तो बहुत धार्मिक थे ज्ञानी थे अच्छे थे वह अपने गांव से दूसरे गांव जा रहे थे कुछ काम से तो ऐसी एक जो है गुंडा टाइप का आदमी था लड़का था जो कुछ करता नहीं था चोरी करना ल कर लेना लोगों को गाली बकना हम मारपीट करना उसे तरह का था। तो वह भी जो है पंडित जी को जब जाते हुए देखा तो पूछा कहां जा रहे हो पंडित जी का दूसरे गांव तो बोले चलो मैं चलो आपके साथ पंडित जी ने सोचा कि चलो ठीक है 1 से 2 भले तो दोनों चल दिए दोनों चल दिए रास्ते में धूप में एक पेड.़ दिखा बावड़ी दिखाई तो पंडित जी ने कहा कि चलो यहां थोड़ा आराम कर लेते भोजन कर लेते हैं तो वहीं पर जो है बैठ गए पंडित जी ने कहा कि मैं पानी ले आता हूं और उसका भोजन करते हैं तो पंडित जी जब गए पानी लेने के लिए तो रास्ते में एक कील गड़ी हुई तो उनके पैर में लग गई उससे उनका खून निकलने लगा चोट लग गई बड़ा दुख हुआ । वह आए वहां से पानी भर के दुखी तो उन्होंने देखा कि यह जो लड़का था जो बहुत ही दुष्कर्म करने वाला लड़का था वह अपने हाथ में एक सोने की गिन्नी लेबर बड़ा खुश होकर बैठा हुआ दिखा। पंडित ने कहा गिननी से कहां से आई लड़के ने जवाब दिया कुछ नहीं लेट गया था हाथ से कुरेद रहा था उस वक्त सिक्का मिल गया। मन में बड़ा दुख हुआ इतने सत्कर्म करता हूं मुझे चोट लग गई। उनका खाने में मन नहीं लगा वह लेट गए। भगवान ने दर्शन दिए और कहा कि तुम दुखी क्यों हो बोले प्रभु दुखी क्यों नहीं आऊंगा मैं हमेशा आपकी सेवा करता हूं समाज की सेवा करता हूं सब अच्छा आचरण करता हूं उसके बाद मेरे को तो यहां चोट लग गई । ये सब कर्मों का फल था, तुम्हारे जो कर्म थे जन्म के इतने अच्छे थे कि वह सारे के सारे कट गए और केवल तुमको चोट लगी तो तुम्हारा जीवन जो है वह बच गया और आज के दिन इसको यह जो दुष्ट आदमी इसको तो राजा बना था राज सिंहासन मिलना था लेकिन इसके कम इतने खराब थे कि वह सारे कट करके अब केवल एक उसको सोने का सिक्का मिला। ये कर्मों का फल है। यह जो भाग्य है तो भाग्य में जो चीज लिखी है वह तो घटना तो घटित होनी है लेकिन उसका जो मेग्नीट्यूड है ना वह काम ज्यादा होता है वह काम ज्यादा होता हमारे कर्मों से कि हम किस तरह के कर्म कर रहे हैं तो आदमी जो बदलता है तो जैसे-जैसे दशाएं बदलती हैं । आदमी का जन्म हुआ शनि की महादशा में नौ ग्रह है तो शनि के बाद में फिर अलग-अलग ग्रहों की दिशाएं चलती हैं शनि के बाद जैसे बुद्ध महाराज आ जाएंगे फिर केतु महाराज आ जाएंगे फिर शुक्र आ जाएंगे फिर सूर्य आ जाएंगे फिर चंद्र आ जाएंगे फिर मंगल आ जाएंगे फिर गुरु आ जाएंगे ऐसे करके 120 वर्ष की टोल कुल आयु मानी गई है । अलग-अलग आते हैं तो वह सब अलग-अलग परिणाम आपको देते हैं तो किसी दिशा में कोई आदमी बहुत अच्छा तरक्की करता है सब कुछ अच्छा रहता है किसी में जो है वह तकलीफ में आ जाता है और इस कारण से फिर उसका जो व्यवहार है वह व्यवहार भी बदल जाता है।
दशा के अनुरूप आपको फल मिलेंगे
इसी तरह से आपका जो व्यवहार होता है तो वह व्यवहार भी समय के साथ ग्रहों की जो अनुकूलता और प्रतिकूलता होती है उसे डिटरमिन होता है । जब हमारा जन्म होता है जन्म के समयचंद्र जी नक्षत्र में होते हैं वह हमारा जन्म का नक्षत्र होता है। मान लीजिए किसी का जब जन्म हुआ तब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में थे । पुष्य नक्षत्र जो है अब उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण नक्षत्र हो गया। यह पुष्य नक्षत्र जो है यही इनका पूरा जीवन निर्धारित करने वाला है तो जब वह पुष्य नक्षत्र में है तो पुष्य नक्षत्र के जो स्वामी है शनि ,वह शनि ही उनके जीवन की शुरुआत करेंगे और फिर उसके बाद में इन सारे ग्रहों की अलग-अलग दशाएं आपके जीवन में आते जाएंगे । तो जब जिस ग्रह की दशा आ रही है उसे दशा के अनुरूप आपको फल मिलेंगे कोई ग्रह ऐसा है जो आपके लिए अनुकूल है तो उसे दशा में आप तरक्की करोगे कोई ग्रह ऐसा है जो आपके लिए अनुकूल नहीं है तो समय में आपकों परेशानी होगी। ग्रहों का योग है ग्रहों से ही होता है आपके जीवन में जो कुछ भी घटित हो रहा है मन करके चलिए की यह सब ग्रहों के कारण ही हो रहा है ज्योतिष से आपको यह पता लग जाता है कि यह ग्रह है इस ग्रह के कारण आपको यह तकलीफ आ रही है तो अब आप उसे ग्रह को संभालने की दिशा में काम करना होगा।