ट्रेनों व रेलवे स्टेशनों पर बेलगाम हुई अवैध वेंडरों की फौज: आखिर किसके नेतृत्व में चल रहा यह गोरखधंधा
लाख प्रयास के बाद भी नहीं थम रहा यह सिलसिला
जबलपुर यशभारत।
ट्रेनों एवं स्टेशनों में अवैध वैंडरो की धर पकड़ के लिए रेलवे के अधिकारी एवं आरपीएफ जीआरपी द्वारा इनकी रोकथाम के लिए अभियान चलाया जा रहा है बावजूद इसके इन अवैध वेंडरो की फौज पर यह अभियान बेअसर साबित हो रहा है। जिस तरह से जबलपुर रेल मंडल में अवैध वैडरों की फौज चल रही है उससे तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे इनको खुली छूट दे दी गई हो। सवाल यह उठता है कि आखिर किसके नेतृत्व में यह अवैध व्यवसाय चल रहा है।उल्लेखनीय है कि जबलपुर रेल मंडल से गुजरने वाली कई ट्रेनों में व रेलवे स्टेशन पर अवैध वेंडर चना मूंगफली पॉपकॉर्न चार्जर पावर बैंक एवं यहां तक की गुटखा और सिगरेट भी बेच रहे हैं। हालांकि इन पर रेलवे के अधिकारियों की नजर रहती है लेकिन कोई भी इन्हें रोकता नहीं है। रेलवे स्टेशन पर स्टाल संचालक भी अवैध वेंडरों से परेशान है। रेलवे प्रशासन की ओर से कई बार पकड़े जाने के बावजूद रेलवे प्रशासन व पुलिस इन पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। ऐसा प्रतीत लगता है कि इस धंधे को पुलिस व रेलवे के अधिकारियों की मिली भगत के कारण इन्हें रोकने में नाकाम हो रहे है।
अवैध वेंडरो के अलग-अलग बटे हैं क्षेत्र
इस संबंध में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जबलपुर रेल मंडल से गुजरने वाली अधिकांश ट्रेनों में अवैध वेंडरों के क्षेत्र बंटे हुए हैं। जिसमें जबलपुर से कटनी सतना एवं इटारसी के मध्य 150 से 200 तक ये अवैध वेंडर अलग-अलग समूहों में खाद्य सामग्री बेचते हैं। इससे ऐसा लगता है कि रेलवे पुलिस ने इन्हें मौन स्वीकृति दे रखी है।
न पास होता है न टिकट
जबलपुर रेलवे स्टेशन एवं यहां से प्रतिदिन गुजरने वाली ट्रेनों में ऐसे अवैध वैडरो के पास खाद्य सामग्री बेचने वालों के पास ना तो कोई टिकट होता है, ना ही इनके पास कोई लाइसेंस होता है। और यदि कभी टिकट चेकिंग अभियान चलता भी है तो पहले ही इनको सूचना मिल जाती है। इस कारण उस दिन वे ट्रेनों में सामग्री बेचने नहीं जाते हैं। इसके साथ ही यह अवैध वेंडर यात्रियों की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं।पंजीकृत नहीं होने के कारण इन पर नियमों की पालना व अन्य मापदंडों की पूर्ति करने का भी कोई दवाब नहीं होता जबकि पंजीकृत वेंडरों को रेलवे के नियमों की पालना करनी होती है।
अवैध वैंडरो में चल रही है खींचतान
इस संबंध में यदि स्टेशन सूत्रों की माने तो अवैध वेंडरो के अंदर इस व्यवसाय को लेकर अंदरुनी खींचतान भी चल रही है। जिसके कारण विवाद की स्थितियां भी बनी हुई है। यदि समय रहते संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो स्थिति बिगड़ भी सकती है। जैसे की पूर्व में रेल यात्रियों के साथ अवैध वेंडर चाकूबाजी जैसी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं यह सब गुटबाजी का ही कारण है।
बेलगाम हो गये अवैध वेंडर
रेलवे स्टेशन पर अवैध रुप से खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर आरपीएफ समय-समय पर कार्रवाई तो करती है और उनके विरुद्ध जुर्माना भी करती है इसके बावजूद इन पर लगाम नहीं है। इन अवैध वेंडरों पर अधिक से अधिक 1000 तक का जुर्माना भी किया जाता है। इसके बावजूद इनकी संख्या में कमी नहीं है।