रिनूवल के बाद अब लॉटरी सिस्टम भीफ्लॉप कोई ठेकेदार नहीं आया आगे शराब दुकानों को लेकर असमंजस बरकरार

जबलपुर यश भारत। जिले की शराब दुकानों के आवंटन को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है पहले शराब ठेकेदारों ने 20% अधिक राजस्व देकर रेनुवल प्रक्रिया में कोई रुचि नहीं दिखाई इसके बाद लाटरी सिस्टम के जरिए उम्मीद की जा रही थी कि ठेकेदार आगे आएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं सका। लॉटरी प्रक्रिया के लिए 27 फरवरी की तिथि निर्धारित की गई थी लेकिन लेकिन तारीख निकलने के बाद इस प्रक्रिया से भी ठेकेदारों ने दूरी बनाए रखी। आगे क्या होगा इसको लेकर अब गेंद आबकारी विभाग के पाले में है। सूत्रों का कहना है कि अब जो कुछ भी होगा वह 28 तारीख के बाद यानी कि मार्च के पहले सप्ताह में ही होगा। इसके लिए आबकारी विभाग नए सिरे से कवायद में लग गया है। सूत्रों की माने तो वर्तमान में संचालित दुकानों के समूह को छोटा बड़ा करके टेंडर प्रक्रिया के जरिए दुकानों का आवंटन किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2025 26 के लिए राज्य शासन द्वारा जो नई आबकारी नीति बनाई गई है वह शुरुआत से ही ठेकेदारों को रास नहीं आ रही और इसी के चलते नए सत्र के लिए दुकानों के आवंटन में ठेकेदार कोई विशेष रुचि नहीं दिख रहे हैं। शराब कारोबारियो का कहना है कि नई शराब नीति में जिस तरह से नए-नए नियम बनाए गए हैं वह घाटे का सौदा है। नई आबकारी नीति में विगत वर्ष की तुलना में 20% आबादी अधिक राजस्व देकर दुकानों की रेनुवल की प्रक्रिया अपनायी और रिन्यूअल के लिए 21 फरवरी तक का समय निर्धारित किया गया था लेकिन रेनुवल में ठेकेदारों ने कोई रुचि नहीं दिखाई इसके बाद विभाग को यह उम्मीद थी कि लॉटरी सिस्टम के जरिए ठेकेदार आगे आएंगे लेकिन ऐसा भी नहीं हो पाया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिस दिन से नई शराब नीति जारी हुई है उसी दिन से यह आशंकाएं बलवती हो गई थी कि जिले में संचालित शराब दुकानों को संचालित करने वाले ठेकेदारों को इस बार कोई विशेष रुचि नहीं है और यह बात रेनुवल और लॉटरी प्रक्रिया के लिए निर्धारित की गई तिथियां से सामने भी आ गया है जब कोई भी ठेकेदार आगे नहीं आया। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आगे क्या होगा। सूत्रों की मांने तो जिन ठेकेदारों ने पिछले सत्र में शराब दुकान ली थी उनमें से ज्यादातर ठेकेदारों को उठाना पडा है ऐसे में ज्यादातर ठेकेदार अधिक राजस्व देकर दुकान लेने के मूड में नहीं है। पिछले सत्र में हुए घाटे को लेकर ठेकेदार कहीं ना कहीं आबकारी विभाग को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनका कहना है कि विभाग की नाकामी के चलते ही उन्हें घाटा उठाना पड़ा क्योंकि शहर में जगह-जगह अवैध शराब और कच्ची शराब की बिक्री धड़ल्ले से चलती रही और विभाग का ध्यान आकर्षित कराने के बाद भी कोई कार्यवाही इनके खिलाफ नहीं की गई। जिसका खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ा।