ज्योतिष में नक्षत्र है अहम: जीवन से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के जीवन में निभाते हैं किरदार
यश भारत जीवन ज्योतिष
यश भारत के लोकप्रिय कार्यक्रम जीवन ज्योतिष में आज नक्षत्र की विशेषताओं पर प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पूर्व डीआईजी मनोहर वर्मा से यश भारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने विस्तृत चर्चा की। इस दौरान श्री वर्मा ने कहा कि ज्योतिष में नक्षत्र ही सब कुछ हैं, नक्षत्र जीवन में एक ऐसा नाम है जो हमारे साथ जीवन से लेकर मृत्यु तक जुड़ा होता है ।
• 12 राशियों के 27 भाग ही नक्षत्र
श्री वर्मा ने बताया कि सभी जानते हैं कि 12 राशियां होती हैं इन 12 राशियों के 27 भागों का नाम ही नक्षत्र है। पहले 28 नक्षत्र माने गए, अभिजीत नामक एक नक्षत्र भी होता है लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया और 27 नक्षत्र प्रभावशील है।
• ऐसे बांटे गए हैं नक्षत्र
श्री वर्मा ने जीवन ज्योतिष कार्यक्रम के दौरान बताया कि आकाश में टिमटिमाते हुए जो तारे दिखाई देते हैं उन तारों से मिलकर जो आकृतियां उभरती हैं वह आकृतियां नक्षत्र ही हैं। इस तरह से हमारे दिव्य ऋषि गणों ने आकाश में 27 विभिन्न प्रकार की आकृतियों को चिन्हित किया और मजेदार बात यह है कि सभी नक्षत्रों का माप बराबर है। एक भाग 13 डिग्री 20 मिनट का होता है, यही 13 डिग्री और 20 मिनट की 27 आकृतियां हैं जो नक्षत्र के रूप में है और कुल मिलाकर यह 360 डिग्री हो जाती हैं।
• यह है 108 की संख्या का रहस्य
आकाश में सूर्य के आसपास सभी ग्रह भ्रमण करते हैं । इसी प्रकार से चंद्रमा भी अपनी दशा बदलते हैं अब जिस वक्त हमारा जन्म हुआ है उस वक्त चंद्रमा जहां पर स्थित होते हैं उस जगह आकाश में जो आकृति दिखती है उस नक्षत्र में आपका जन्म हुआ है। श्री वर्मा ने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर कोई व्यक्ति पुष्य नक्षत्र में जन्मा है तो यह माना जाएगा कि उस व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा आकाश में भ्रमण करते हुए उक्त नक्षत्र की आकृति में था और उस नक्षत्र के जो प्रभाव है ,वह जन्म लेने वाले व्यक्ति पर स्पष्ट दिखाई देंगे ,जैसे राशि के प्रभाव व्यक्ति पर दृष्टिगोचर होते हैं इसी प्रकार से नक्षत्र के भी प्रभाव दिखाई देते हैं ।12 राशि और 27 नक्षत्र है इस प्रकार से एक राशि में सवा दो नक्षत्र पडते हैं। इस हिसाब से एक राशि में पडने वाले सवा दो नक्षत्रों में भी, प्रति नक्षत्र को भी 4 भागों में बांटा गया है। जिसे नक्षत्र के चार चरण कहे जाते हैं। ज्योतिषीय भाषा में नक्षत्र के प्रथम चरण, द्वितीय चरण में जन्म हुआ है यह कहा जाता है । इस प्रकार से 27 नक्षत्रों को चार भागों में बांटने पर कुल 108 भाग होते हैं। इसलिए 108 का जप भी होता है इसलिए 108 माला की गुरिया का विधान है , इस प्रकार से कुल 108 चरण हुए।
श्री वर्मा ने बताया कि जप का विधान भी गुप्त है ताकि इसकी ऊर्जा कहीं और न जाए और आप ही को मिले ।इस प्रकार से देखा जाए तो जीवन में नक्षत्रों का विशेष योगदान है।
• 27 नक्षत्रों को तीन समूह में बांटा गया
27 नक्षत्रों को वैज्ञानिक विद्या से तीन समूह में बांटा गया है । श्री वर्मा ने बताया कि हमारा आकाश 360 डिग्री का है इस 360 डिग्री को तीन भागों में बांट दिया जिसमें 120,120 और 120 डिग्री के तीन भाग बने । इस प्रकार से पहला भाग जीरो से लेकर 120 डिग्री का, दूसरा भाग 120 से लेकर 240 डिग्री का, तीसरा भाग 240 से लेकर 360 डिग्री का निर्मित हुआ । श्री वर्मा ने बताया कि यह जो तीन भाग हैं इन्हीं तीन भागों में हमारे 27 नक्षत्र होते हैं । इस प्रकार से प्रत्येक भाग में नौ नक्षत्र होते हैं और 9 ही हमारे ग्रह होते हैं।
• त्रिदेव स्वरूप हैं नक्षत्र
श्री वर्मा ने बताया कि त्रिदेव स्वरूप ही नक्षत्रों के तीन भाग है। जिस प्रकार से ब्रह्मा जी ने जन्म दिया, विष्णु जी ने पालन किया और संघारक देव महादेव है। इसी प्रकार से हमारे नक्षत्र भी है और प्रत्येक नक्षत्र का स्वामित्व एक-एक ग्रह को प्राप्त है । इस प्रकार से एक ग्रह के पास तीन नक्षत्रों का स्वामित्व है।श्री वर्मा ने उदाहरण स्वरूप बताया कि केतु हमारा छाया ग्रह है। जिसके पहले खंड में अश्विनी नामक नक्षत्र का स्वामित्व, दूसरे खंड में माघ और तीसरे में मूल नामक नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है । इस तरह से केतु के तीन नक्षत्र हो गए इसी तरह से अन्य ग्रह के भी अपने नक्षत्र हैं।
•हर नक्षत्र का होता है विशेष गुण
श्री वर्मा ने बताया कि वैसे तो सभी नक्षत्र अच्छे होते हैं लेकिन हर नक्षत्र का अपना विशेष गुण होता है । श्री वर्मा जी ने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर हमारा पुष्य नक्षत्र है, जो बहुत प्रसिद्ध नक्षत्र भी है जिसमें खरीदारी और पूजा विधान का विशेष महत्व रहता है। जिसे पुण्य नक्षत्र भी माना जाता है ,इसी तरह से सभी नक्षत्रों की अपनी विशेषताएं होती है पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि होते हैं और यह नक्षत्र नेतृत्व का होता है। पुष्य नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति में नेतृत्व के गुण प्रधान होते हैं। यह नक्षत्र वृद्धि का सूचक है । श्री वर्मा ने बताया कि अगर हमें नक्षत्र का ज्ञान है तो हम नक्षत्र के हिसाब से जन्मे व्यक्ति का जीवन भाव सहज ही पढ़ सकते हैं।
• यह है गंड मूल
श्री वर्मा ने बताया कि इन तीन समूहों का जो जोड़ होता है उसे गंड मूल कहा जाता है । श्री वर्मा ने बताया कि केतु और बुद्ध उनके जो नक्षत्र हैं उनके नक्षत्र के दो-दो चरण से गंड मूल नक्षत्र निर्मित होता हैं। इस तरह से यह तीनों नक्षत्र ब्रह्मा विष्णु महेश जैसे जुड़े होते हैं । श्री वर्मा ने बताया कि नक्षत्र विशेष रूप से वैज्ञानिकता का विषय है।